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जयदीप कर्णिक ने बताया, कैसे होगी मणिपुर में शांति की सुबह
उत्तर पूर्व के सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस राज्य में स्थायी शांति के लिए ठोस और दूरगामी उपाय आवश्यक हैं।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
नॉर्थ-ईस्ट में आने वाले राज्य मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। पिछले कई हफ्तों से पूरे राज्य में तनावपूर्ण माहौल है। हर दूसरे दिन मणिपुर में किसी न किसी तरह की हिंसा की घटना सामने आ रही है, जिसे देखते हुए अब इंटरनेट पर पाबंदी को आगे बढ़ा दिया गया है।
हालात को देखते हुए मणिपुर में शनिवार 10 जून तक इंटरनेट पर बैन जारी रहेगा। इस पूरे मामले पर समाचार4मीडिया ने वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक से बात की है। उन्होंने बताया कि मणिपुर हिंसा अब पहले से भी बड़ी चिंता का सबब बन गई है।
गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से बंधी पूर्ण शांति की उम्मीद को लगातार हो रही हिंसा की घटनाओं ने चोट पहुंचाई है। सेना, पुलिस और अर्ध सैनिक बलों से लूटे गए 1400 से अधिक हथियारों में से कुछ ही वापस जमा हो पाए हैं। उत्तर पूर्व के सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस राज्य में स्थायी शांति के लिए ठोस और दूरगामी उपाय आवश्यक हैं। शांति तभी आएगी जब आदिवासी कुकी समुदाय में व्याप्त असुरक्षा की भावना खत्म होगी।
मूल मुद्दा वही है। मणिपुर की आबादी में बहुसंख्य मैतेई समुदाय का शहरी क्षेत्र में निवास है। कुकी और नगा समुदाय पहाड़ों और जंगलों में रहता है। मणिपुर के भूगोल में शहरी क्षेत्र कम हैं, जंगल और पहाड़ ज्यादा। मतलब ज्यादा आबादी कम क्षेत्र में रहती है और कम आबादी बहुत ज्यादा क्षेत्र में।
और यह स्थिति इतने लंबे समय तक ऐसी ही इसलिए बनी हुई है एक कानून के कारण। इस कानून के मुताबिक मैतेई लोग पहाड़ों और जंगलों में जमीन नहीं खरीद सकते। पर कुकी और नगा शहरी क्षेत्र में जमीन ले सकते हैं। यही विवाद का बड़ा कारण है।
दूसरी ओर कुकी और नगा लोगों को आदिवासी होने के कारण कई तरह के आरक्षण का भी लाभ मिला हुआ है। मैतेई इसकी मांग लंबे समय से कर रहे थे जो कि कुछ समय पहले ही आए उच्च न्यायालय के फैसले से संभव हो गया है। इसी फैसले से आदिवासी समुदाय भड़का हुआ है और उसमें असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।
इस असुरक्षा की भावना को एक दिन में खत्म नहीं किया जा सकता। साथ ही बहुसंख्य मैतेई समुदाय की आकांक्षाओं पर ध्यान देना आवश्यक है। इसीलिए दोनों के प्रतिनिधियों के मार्फत एक कोर ग्रुप बने जो इसके समग्र हल पर काम करे तो ही मणिपुर में शांति की सुबह हो पाएगी।
(यह लेखक के निजी विचार हैं। जयदीप कर्णिक अमर उजाला डिजिटल के संपादक हैं)
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