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डिजिटल पर बहुत ज्यादा बढ़ी है सीनियर जर्नलिस्ट की डिमांड: विनीता यादव
‘डिजिटल का तेजी से बढ़ता प्रभुत्व और भविष्य की पत्रकारिता’ विषय पर बोलते हुए ‘न्यूज नशा’ की एडिटर विनीता यादव ने कहा, ‘डिजिटल को समझना पहले ज्यादा जरूरी है
विकास सक्सेना 2 years ago
एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की गई समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से 28 अप्रैल 2022 की शाम को पर्दा उठ गया। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपरपज हॉल में 28 अप्रैल 2022 को आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल हुए प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित भी किया गया।
इस दौरान ‘डिजिटल का तेजी से बढ़ता प्रभुत्व और भविष्य की पत्रकारिता’ विषय पर बोलते हुए ‘न्यूज नशा’ की एडिटर विनीता यादव ने कहा, ‘डिजिटल को समझना पहले ज्यादा जरूरी है कि किस तरह से डिजिटल आपको पहले अपनाता है और फिर आप डिजिटल को। ग्राउंड पर टीवी के लिए काम करना (जोकि मैंने खुद 18 साल काम किया) और फिर डिजिटल में आकर काम करना दोनों में बहुत फर्क है। ग्राउंड में जाकर टीवी के लिए काम करने से टीवी का इम्पैक्ट ज्यादा होता है और यहीं से डिजिटल का कॉम्पटीशन बढ़ जाता है, क्योंकि आपके पास रिसोर्सेज उतने ज्यादा नहीं होते हैं। मुझसे कई सरकार के अधिकारी और मंत्री हैं, जो बार-बार ये पूछते हैं कि खर्चा कहां से आ रहा है, आप चला कैसे रहे हैं इसको। इसलिए कहना चाहूंगी कि आपके पास रिसोर्सेज बहुत कम होते हैं और इसी के बीच में रहकर टीवी से बेहतर काम करना है। टीवी पर कोई खबर चलती है, तो वो चलकर आगे बढ़ जाती है, लेकिन जब डिजिटल पर वीडियो वायरल होता है, तो बड़ी तसल्ली मिलती है कि हम वायरल हो गए हैं। लिहाजा फर्क पड़ता है, जिसका असर आपको हाथों-हाथ मिलता है।’
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, 'जब मैं 'न्यूज नेशन' में थी, तो मेरे केबिन के सामने डिजिटल की एक पूरी टीम बैठती थी, जिसमें कई लोग शामिल थे। मैंने एक बार जाकर देखा कि ये लोग करते क्या हैं, लिहाजा जब मैंने देखना शुरू किया और फिर दो-तीन एपिसोड्स बनाए, उसके बाद से ही मेरी रुचि इस ओर आई और सोचा कि बहुत कुछ डिजिटल में किया जा सकता है, क्योंकि जब मैं डिजिटल के लिए खुद पैकेजिंग कर रही थी अपने खुद के एक प्रोग्राम के लिए, तो मुझे खुद कि टाइम बाउंडेशन वहां बिल्कुल नहीं है। यहां पर आप खुलकर बोल सकते हैं। आज के समय में जो वरिष्ठ पत्रकार हैं, उनकी सोच, उनके विचार डिजिटल के द्वारा लोगों तक इस तरह से पहुंच गए हैं, जोकि शायद टीवी चैनल पर एक फॉर्मेट में फिट नहीं होते हैं, लेकिन डिजिटल में बहुत फिट होते हैं। डिजिटल पर कई बार लोग अपनी डिमांड लिखते हैं कि फलां-फलां वक्ता को क्यों नहीं बुलाया, इसका मतलब है कि हम वो चीज अपने वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा अच्छे से एनलाइस करके लोगों तक पहुंचा रहे हैं, जो लोग जानना चाहते हैं। सीनियर जर्नलिस्ट की डिमांड बहुत ज्यादा हो गयी है खासतौर से डिजिटल पर और लोग एक-एक घंटा उन्हें सुनना पसंद करते हैं। एक और बात की जहां पर चुनाव है वहां पर लोगों की नजर डिजिटल पर पूरी तरह से गढ़ जाती है कि अब क्या होने जा रहा है।'
वीडियो के जरिए देखें उनका वक्तव्य:
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