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मध्य प्रदेश में प्रियंका गांधी ने किया चुनावी शंखनाद: प्रवीण तिवारी बोले, जमीन मजबूत है
मध्य प्रदेश में महाकौशल का क्षेत्र कांग्रेस के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछली बार सरकार बनाने में इसी क्षेत्र की सीटों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
डॉक्टर प्रवीण तिवारी, असिस्टेंट एडिटर, अमर उजाला डिजिटल।
मध्य प्रदेश में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या बीजेपी ने देर कर दी? बीजेपी की देरी कई मुद्दों पर देखी जा रही है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बीजेपी में अभी चेहरे को लेकर काफी खींचतान है।
शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर सभी राजी नहीं दिखाई पड़ते हैं और उनके अलावा कोई चारा भी नहीं दिखाई पड़ता। उधर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आने से सरकार तो बन गई लेकिन अब टिकटों की मारामारी ने एक नई चुनौती सामने खड़ी कर दी है। इस सबके बीच में कांग्रेस कर्नाटक मॉडल को लेकर एमपी में उतर गई है।
कर्नाटक का यह मॉडल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले हिमाचल और फिर कर्नाटक में प्रियंका गांधी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। उन्हीं प्रियंका ने अब धुआंधार प्रचार की शुरुआत महाकौशल के क्षेत्र से कर दी है। मध्य प्रदेश में महाकौशल का क्षेत्र कांग्रेस के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछली बार सरकार बनाने में इसी क्षेत्र की सीटों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
यह कमलनाथ के प्रभाव का क्षेत्र भी माना जाता है। दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र है चंबल का इलाका, जहां पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया फिलहाल बीजेपी के साथ आ चुके हैं और उनके साथ आए हुए सहयोगी उन्हें अपना नेता मानते हैं जो कि बीजेपी की परिपाटी से बिल्कुल भिन्न बात है।
बीजेपी के कई पुराने नेता इस बात से नाराज दिखाई पड़ते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को तवज्जो दी जा रही है। टिकट वितरण एक और चुनौती के तौर पर देखने को मिलेगा। कांग्रेस के सामने इस समय कई सकारात्मक पहलू दिखाई पड़ रहे हैं।
सबसे अहम बात यह है कि वह हिमाचल और कर्नाटक की जीत के रथ पर सवार है। इससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में उत्साह है। कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी समानता यह है कि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराकर बीजेपी की सरकार बनी थी।
कर्नाटक में हालांकि कांग्रेस और जेडीएस साथ में थे लेकिन मध्य प्रदेश में तो कमलनाथ लगभग अपने दम पर सरकार ले ही आए थे। मुकाबला बहुत कांटे का था इसके बावजूद कांग्रेस मध्य प्रदेश में वापसी कर रही है यह बात स्पष्ट हो गई थी। इस बार कांग्रेस के हौसले और ज्यादा बुलंद हैं। बीजेपी की अंदरूनी उठापटक कर्नाटक और हिमाचल में भारी पड़ी है।
मध्य प्रदेश में यही स्थिति दिखाई पड़ती है। यह बात स्पष्ट है कि कांग्रेस को मध्य प्रदेश में एक मजबूत जमीन मिली है। कर्नाटक में एक और बड़ी ताकत कांग्रेस की रही कि उन्होंने चुनाव से बहुत पहले ही प्रचार करना शुरू कर दिया था कुछ उसी अंदाज में एमपी में भी जोरदार प्रचार की शुरुआत हो गई है।
अहम बात यह भी है कि मध्य प्रदेश में बहुत मुमकिन है कांग्रेस बहुत पहले ही अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दे।
( यह लेखक के निजी विचार हैं, लेखक अमर उजाला में कार्यरत हैं)
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