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अडाणी की जांच में सेबी की ढिलाई? पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'
हिंडनबर्ग पर चर्चा के साथ SEBI पर सवाल उठ रहे हैं कि वो बड़ी कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाती है। रिलायंस पर 2021 में ₹25 करोड़ का जुर्माना लगाया गया क्योंकि टेक ओवर नियमों का उल्लंघन किया था।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 months ago
मिलिंद खांडेकर, मैनेजिंग एडिटर, तक चैनल्स, टीवी टुडे नेटवर्क।
अमेरिका की रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग फिर से चर्चा में हैं। पिछले साल अडाणी ग्रुप पर रिपोर्ट बनाईं थीं। रिपोर्ट के बाद अडाणी के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। गौतम अडाणी उस समय दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति थे और अब 20वें नंबर पर हैं। शेयर बाज़ार की देख रेख करने वाली संस्था Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने अब हिंडनबर्ग को नोटिस भेजा है कि उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाए? हिंडनबर्ग ने जवाब में SEBI को तो लपेटा ही है, इसमें कोटक महिंद्रा बैंक का नाम भी घसीट लिया है।
उसका कहना है कि अदाणी की जाँच करने के बजाय आरोप लगाने वाले के पीछे पड़ी है SEBI, हिंडनबर्ग को SEBI की नोटिस की जड़ में है शॉर्ट सेलिंग। हम समझते आए हैं कि शेयर बाज़ार में पैसे बनाने का एक ही तरीक़ा है कि शेयर हमने आज के दाम पर ख़रीदें और तीन महीने बाद दाम बढ़े तो बेच दिए। आपने किसी कंपनी के शेयर मान लीजिए ₹100 में ख़रीदें और दाम ₹150 होने पर बेच दिए। आपको ₹50 फ़ायदा हुआ। इसे लॉंग पोजिशन कहते हैं। शॉर्ट पोजिशन में आप आज के भाव पर किसी कंपनी के शेयर बेच देते हैं। आज भाव ₹100 है। शेयर आपके पास नहीं है।
आप किसी से उधार लेते हैं। उधारी महीने भर बाद लौटाने का सौदा करते हैं। महीने भर बाद भाव ₹80 हो गया। तब आपने बाज़ार से शेयर ख़रीदे और उधारी लौटा दी। हर शेयर पर ₹20 का मुनाफ़ा। आपका अनुमान था कि इस शेयर के दाम गिरेंगे। वह सही साबित हुआ। हिंडनबर्ग ने यही दांव खेला। उसे भरोसा था कि रिपोर्ट आने के बाद अदाणी ग्रुप के शेयर गिरेंगे। हिंडनबर्ग ने मार्क किंग्सडन की कंपनी से रिसर्च करने का समझौता किया था। समझौते के तहत रिपोर्ट की कॉपी किंग्सडन को पहले दे दी। किंग्सडन के पास भारतीय बाज़ार में सीधे निवेश करने के लिए विदेशी निवेशक Foreign Portfolio Investment का लाइसेंस नहीं था।
यह लाइसेंस मिलने में समय लगता इसलिए उसने मॉरीशस में कोटक के फंड का इस्तेमाल किया। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने से पहले अदाणी एंटरप्राइज़ के शेयर की शॉर्ट सेलिंग की 24 जनवरी 2023 को अदाणी एंटरप्राइज़ के शेयर का भाव ₹3442 था। 25 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिपोर्ट आयीं। 22 फ़रवरी 2023 को भाव था ₹1404 यानी ₹2000 से ज़्यादा गिर गया। किंग्सडन ने ₹183 करोड़ का मुनाफ़ा कमाया। SEBI ने अपने नोटिस में हिंडनबर्ग पर दो बड़े आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग ने अदाणी ग्रुप की रिपोर्ट 25 जनवरी 2023 को जारी की लेकिन अपने पार्टनर किंग्सडन को इसका ड्राफ़्ट 30 नवंबर 2022 को दे दिया था यानी Non Public Information दी।
यह Inside trading है। हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट में लिखा था कि भारतीय बाज़ार में कोई सौदे नहीं किए गए हैं जबकि किंग्सडन ने मॉरीशस में कोटक महिंद्रा के फंड के ज़रिए अदाणी के शेयरों में सौदे किए। हिंडनबर्ग ने जवाब में कहा है कि SEBI ने अदाणी ग्रुप पर गड़बड़ी के आरोपों पर तो कुछ नहीं किया है, ना ही हमारे आरोपों में कोई ख़ामी निकाली है। अदाणी पर कार्रवाई करने के बजाय हमें ही घेर रही है। हिंडनबर्ग का कहना है कि वो अदाणी पर शॉर्ट सेलिंग कर रही है कि यह बात रिपोर्ट में साफ़ साफ़ लिखी गई है।
हमें जितना मुनाफ़ा हुआ है उससे दो साल के रिसर्च का खर्चा निकला है। 2021 में हिंडनबर्ग ने किंग्सडन के साथ समझौता किया था कि वो सात कंपनियों का रिसर्च करेगी। शॉर्ट सेलिंग से जो फ़ायदा होगा उसका 30% हिंडनबर्ग को मिलेगा। अब तक पाँच रिपोर्ट आ चुकी है। अदाणी एकमात्र भारतीय कंपनी है, इसमें हिंडनबर्ग ने 25% मुनाफ़ा लिया है। SEBI तो शॉर्ट सेलिंग का सौदा करने वाली कोटक महिंद्रा बैंक को बचा रही है। नोटिस में K India Opportunities fund का ज़िक्र है और इसके मालिक KMIL का ज़िक्र शॉर्ट फ़ॉर्म में किया गया है ताकि पूरा नाम कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड छिप जाएँ।
यह कंपनी मॉरीशस में है। भारतीय शेयर बाज़ार में विदेशी निवेश का काम करती हैं। यह कंपनी कोटक महिंद्रा बैंक की सब्सिडरी है। SEBI ने हिंडनबर्ग, किंग्सडन के साथ साथ K India Opportunities Fund को भी नोटिस जारी किया है। कोटक का कहना है कि उसे यह पता नहीं था कि किंग्सडन और हिंडनबर्ग मिलकर काम कर रहे हैं। इन आरोप प्रत्यारोपों के बीच अदाणी पर लगे आरोप कहीं पीछे छूट गए।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि अदाणी ग्रुप ने अपने ही शेयरों के दाम हेराफेरी से बढ़ाए। मॉरीशस और अन्य देशों से अपने ही पैसे विदेशी निवेश कहकर लगवाएँ और इससे शेयर के दाम बढ़ते रहे। यह क़ानूनन अपराध है। ये केस सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुँचा था। 13 विदेशी फंड के अदाणी ग्रुप की कंपनियों में शेयर होने की बात पता चली। सेबी ने इन फंड में पैसा लगाने वाले 42 लोगों का नाम पता भी खोज लिया है।
अब यही असली मालिक है या इनके पीछे कोई और है यह पता नहीं चल पाया है। अदाणी ग्रुप का कहना है कि इन लोगों से उसका कोई लेना देना नहीं है। SEBI ने कहा था कि यह जाँच अब Dead End पर पहुँच गई है यानी आगे कुछ पता नहीं चल पा रहा है। हिंडनबर्ग पर चर्चा के साथ SEBI पर सवाल उठ रहे हैं कि वो बड़ी कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाती है। रिलायंस पर 2021 में ₹25 करोड़ का जुर्माना लगाया गया क्योंकि टेक ओवर नियमों का उल्लंघन किया था। यह मामला 1999-2000 का था यानी 21 साल बाद फ़ैसला हुआ। अब देखना होगा कि अदाणी ग्रुप पर फ़ैसला कब होगा?
(वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर 'टीवी टुडे नेटवर्क' के 'तक चैनल्स' के मैनेजिंग एडिटर हैं और हर रविवार सोशल मीडिया पर उनका साप्ताहिक न्यूजलेटर 'हिसाब किताब' प्रकाशित होता है।)
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