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वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष चतुर्वेदी ने बताया, क्यों हैं भारतीय टीम में बदलाव की जरूरत

कई वरिष्ठ खिलाड़ियों ने टीम के चयन पर सवाल उठाये थे। जब मुकाबला बेहद कड़ा हो, तो खिलाड़ियों का चयन बहुत अहम हो जाता है

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago

आशुतोष चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार ।।

कहा जाता है कि इस देश पर दो बुखार ‘चुनाव और क्रिकेट’ बड़ी तेजी से चढ़ते हैं। हम सब जानते हैं कि यह देश क्रिकेट का दीवाना है, लेकिन टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड से भारत की शर्मनाक हार से क्रिकेट प्रेमी निराश हैं। सभी विश्व कप में टीम से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद लगाये बैठे थे। विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में आपको हर मैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है। माना जा रहा है कि सीमित ओवरों की क्रिकेट प्रतियोगिता में यह भारतीय टीम का सबसे खराब प्रदर्शन है।

पहली बार टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में कोई टीम 10 विकेट से हारी है, लेकिन यह कोई रहस्य नहीं है कि भारतीय टीम के पहले तीन-चार खिलाड़ी आप जल्दी आउट कर दीजिए, उसके बाद टीम को धराशायी होने में देर नहीं लगती है। वैसे तो टीम को तैयार करने में काफी दिनों से मशक्कत चल रही थी, लेकिन जब टीम घोषित हुई, तो पता चला कि एशिया कप में खेलने वाले ज्यादातर खिलाड़ियों को ही जगह दे दी गयी, जबकि इन खिलाड़ियों का प्रदर्शन स्तरीय नहीं रहा था।

कई वरिष्ठ खिलाड़ियों ने टीम के चयन पर सवाल उठाये थे। जब मुकाबला बेहद कड़ा हो, तो खिलाड़ियों का चयन बहुत अहम हो जाता है, पर भारतीय चयनकर्ता हमेशा से ही प्रदर्शन के बजाय नामों की चमक पर ज्यादा ध्यान देते आये हैं। राहुल द्रविड़ की अगुआई में भारतीय टीम में इतने प्रयोग हो रहे थे कि कहा जा सकता है कि भारतीय टीम प्रयोगों की कहानी बन गयी है। पता ही नहीं चलता कि कौन खिलाड़ी कब खेलेगा और क्यों खेलेगा।

यह कहने में मुझे कोई हिचक नहीं है कि विश्व कप में भारतीय टीम की हार में चयनकर्ताओं की गलतियों का भी योगदान रहा है। चयनकर्ताओं ने 2021 टी-20 विश्व कप के बाद सात कप्तान बदले हैं और यह सिलसिला जारी है। इस पर चिंतन जरूरी है कि 2011 के बाद हम कोई बड़ा टूर्नामेंट क्यों नहीं जीत पाये हैं। सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों भारत की शर्मनाक हार से वह काफी निराश हैं, लेकिन उन्होंने आग्रह किया है कि टीम का आकलन एक हार के आधार पर न किया जाए।

तेंदुलकर ने कहा कि एडीलेड पर 168 रन अच्छा स्कोर नहीं था। उस मैदान पर बाउंड्री बहुत छोटी है, लिहाजा 190 के आसपास रन बनाने चाहिए थे। हमारे गेंदबाज भी विकेट नहीं ले पाये। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने कहा कि भारतीय टीम ने पुरानी शैली का क्रिकेट खेला। उन्होंने लंदन के अखबार द टेलीग्राफ में लिखे अपने लेख में कहा कि टी-20 प्रतियोगिता में खेलने वाली यह भारत की सबसे कमजोर टीम है।

उनका कहना है कि इंडियन प्रीमियर लीग में खेलने वाला हर खिलाड़ी कहता है कि इससे उसके खेल में सुधार हुआ है, लेकिन भारतीय टीम को इससे क्या हासिल हुआ है। वॉन ने कहा कि भारत के पास गेंदबाजी के विकल्प बहुत कम हैं। उनकी बल्लेबाजी में भी गहराई नहीं है। एक-डेढ़ दशक पहले भारत के सभी शीर्ष बल्लेबाज गेंदबाजी कर सकते थे। सचिन तेंदुलकर, सुरेश रैना, वीरेंद्र सहवाग और यहां तक कि सौरव गांगुली भी गेंदबाजी कर लेते थे। अब कोई भी बल्लेबाज गेंदबाजी नहीं करता, इसलिए कप्तान के पास केवल पांच ही विकल्प थे।

लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल को न खिलाने का खामियाजा भी भारत को भुगतना पड़ा। जाने-माने ऑलराउंडर कपिल देव ने मौजूदा भारतीय टीम को चोकर्स करार दिया है। चोकर्स ऐसी टीमों को कहा जाता है, जो अहम मैचों को जीतने में नाकाम रहती हैं। पिछले छह विश्व कप में भारतीय टीम पांचवीं बार नॉकआउट चरण में हार कर टूर्नामेंट से बाहर हुई है। कपिल देव ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि वह ज्यादा कड़े शब्दों में आलोचना नहीं करेंगे, क्योंकि ये वही खिलाड़ी हैं, जिन्होंने हमें अतीत में जश्न मनाने का मौका दिया है, लेकिन हां, हम उन्हें चोकर्स कह सकते हैं।

पिछले कुछ वर्षों से टीम इंडिया के लिए अंतिम मौके पर हार बड़ी समस्या बनी हुई है। टीम 2014 के टी-20 विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी, पर श्रीलंका से हार गयी। साल 2015 और 2016 के विश्व कप में भी टीम सेमीफाइनल में हारी थी। साल 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भी उन्हें पाकिस्तान से बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा टीम 2019 के विश्व कप सेमीफाइनल में भी हार गयी थी। वर्ष 2021 के टी-20 विश्व कप से टीम पहले ही दौर से बाहर हो गयी थी। अब 2022 में भी भारतीय टीम एक बार फिर सेमीफाइनल में हार गयी।

जब पुरवइया हवा चलती है, तो दर्द उभर आता है। उसी तरह जब भारतीय टीम हारती है, तो महेंद्र सिंह धौनी की कमी याद आती है। पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भारतीय टीम हार के बाद धौनी को याद किया है। उन्होंने कहा कि धौनी जैसा कप्तान दोबारा टीम को नहीं मिलेगा। धौनी भारत के सबसे सफल कप्तान रहे हैं। ऐसी कोई ट्रॉफी नहीं है, जो उन्होंने अपनी कप्तानी में न जीती हो।

उनकी कप्तानी में टीम ने सबसे पहले 2007 में टी-20 विश्व कप जीता, 2011 में वनडे का विश्व कप जीता और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती थी। गौतम गंभीर ने कहा कि कोई खिलाड़ी आयेगा और रोहित शर्मा व विराट कोहली से ज्यादा शतक लगा देगा, लेकिन उन्हें नहीं लगता है कि कोई भी भारतीय कप्तान आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीत पायेगा। खेल विशेषज्ञ भी मानते हैं कि एक दौर में भारतीय टीम के लगातार टूर्नामेंट जीतने की एक बड़ी वजह धौनी की कप्तानी रही थी।

कप्तानी छोड़ने के बाद उनकी बनायी टीम अगले कुछ साल खेलती रही। नतीजतन 2018 में रोहित शर्मा की कप्तानी में भी हम एशियाई चैंपियन बनने में सफल रहे। लेकिन उसके बाद टीम का प्रदर्शन गिरता चला गया। बतौर कप्तान धौनी जानते थे कि किस खिलाड़ी का कब इस्तेमाल करना है और कैसे खिलाड़ियों पर दबाव को हावी नहीं होने देना है। उनके जाने के बाद परिदृश्य बदल गया। अब भारतीय टीम दो देशों की सीरीज तो जीत जाती है, लेकिन बड़ी प्रतियोगिताओं में हार जाती है।

अब समय आ गया है कि खिलाड़ियों के चयन में नामों की चमक के बजाय प्रदर्शन पर ध्यान दिया जाए। टी-20 युवा खिलाड़ियों का खेल है। चयनकर्ताओं को चाहिए कि वे उम्रदराज खिलाड़ियों को विश्राम दें और युवा खिलाड़ियों को खेलने का मौका दें।

(साभार: प्रभात खबर)


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