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‘2022 के खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ नए साल पर मीडिया के सामने हैं कई चुनौतियां’
कोई भी साल सभी के लिए अच्छा या बुरा नहीं होता। 50 वर्षों में माना जाता है कि कोरोना काल सबसे बुरा समय था, लेकिन यही समय दवा कंपनियों के लिए और कुछ डॉक्टरों के लिए पैसे कमाने का सबसे अच्छा समय बन गया।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
संतोष भारतीय।।
कोई भी साल सभी के लिए अच्छा या बुरा नहीं होता। 50 वर्षों में माना जाता है कि कोरोना काल सबसे बुरा समय था, लेकिन यही समय दवा कंपनियों के लिए और कुछ डॉक्टरों के लिए पैसे कमाने का सबसे अच्छा समय बन गया। डायग्नोस्टिक केंद्रों की चांदी ही चांदी थी. पर इसमें कोई दो राय नहीं कि जो लोग मीडिया से जुड़े थे, वे सभी लोग अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर पा रहे थे। पहले से कुछ बीमारियां थीं, वे अपनी जान नहीं बचा पाए और कई लोग हिम्मत के साथ इस बुरे समय का सामना करते हुए और अपने कर्तव्य का पालन करते हुए इस दुनिया को छोड़कर अनंत यात्रा पर चले गए।
पूरा पिछला वर्ष यानी 2022 इस सदमे से उबर नहीं पाया, लेकिन यही साल मीडिया के एक वर्ग के लिए नया रास्ता तलाशने का एक सफल काल बन गया। एक नई पत्रकार शैली का जन्म हुआ, जिसने पत्रकारिता को लेकर के सारी पुरानी मान्यताएं, सारे पुराने सिद्धांत बदलने की सशक्त कोशिश की। पत्रकारिता की उस शैली को, जो शैली कभी पब्लिक रिलेशन जर्नलिज्म या दलाली जैसे शब्दों से जानी जाती थी, अब इसे कॉर्पोरेट जगत का संरक्षण मिल गया और कारपोरेट जगत ने इसे सत्ता को प्रभावित करने के लिए और उससे आर्थिक फायदा उठाने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल करना शुरू किया।
जो इस धारा में शामिल हो गए, वे धन से मालामाल हो गए। देश में बिचौलिए कहे जाने वाली जमात अचानक बहुत बड़ी हो गई और लगभग वे सभी लोग पत्रकार संस्थानों से बाहर कर दिए गए, जिनकी ‘आंख’ थी। ऐसे लोगों को कहा जाने लगा कि यह लोग मूर्ख हैं और देश को आगे बढ़ाने में या देश का विकास करने में रुचि नहीं रखते। इन्हें हमेशा गरीबी, बेईमानी भ्रष्टाचार और सरकार का विरोध ही दिखाई देता है। पत्रकारिता की नई शैली ने ईमानदार और सही रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के सामने जीवन यापन की नई चुनौती खड़ी कर दी। देश में नए पत्रकारों ने सच्चाई के पक्षधर पत्रकारों को कैसे देश विरोधी साबित किया जाए, इसके लिए नए-नए रास्ते तलाशने शुरू कर दिए।
चाहे पत्रकार सपना लेकर प्रोफेशन में आया हो या प्रोफेशन में सर्वोच्च पद तक पहुंचा हो, उसके सामने समझौता करने की या फिर जीवन यापन के लिए बेरोजगारी और अनिश्चितता के जंगल में भटकने की चुनौती खड़ी हो गई। बहुत सारे लोग इसका सामना नहीं कर पाए। लेकिन एक बड़ी संख्या है, जो इसका सामना कर रही है और अपना कर्तव्य निभा रही है।
2023 की सबसे बड़ी चुनौती यही है। क्या फिर से पत्रकारिता कॉरपोरेट और सत्ता की गुलामी से, उसके शिकंजे से निकलकर देश के लोगों के लिए देश और मानवता के लिए अपना ऐतिहासिक कर्तव्य निभा पाएगी?
आजादी के आंदोलन में भी दो तरह की धाराएं थीं। अंग्रेज समर्थक और आजादी के आंदोलन की समर्थक। हम अंग्रेज समर्थक चाटुकार पत्रकारों की याद नहीं करते, हम उन्हें ही याद करते हैं जो आजादी के लिए लड़ने वाली धारा का समर्थन करते थे। ऐसे ही लोग इतिहास में सम्मान पाते हैं और लोगों के हृदय में अपने लिए आदर और सम्मान का भाव पैदा कर पाते हैं।
चाटुकार और ताकतवर के पक्ष में, गरीब और आम जनता के विरोध में खड़े पत्रकारों की गाथाएं नहीं लिखी जातीं। 2023 नई-नई चुनौतियां लेकर आने वाला है और इसमें सारी दुनिया में पत्रकारिता जगत की चुनौती कम महत्वपूर्ण नहीं है। पत्रकारिता जगत से जुड़े लोग इसका कैसे सामना करते हैं, यह भी पत्रकारिता के इतिहास में दर्ज होने वाला है।
पत्रकारिता को 30 प्रतिशत के लिए काम करने वाली जमात की जगह 70 प्रतिशत के लिए या फिर 100 प्रतिशत जनता के लिए काम करने वाली जमात के रूप में बदलने की एक बड़ी चुनौती है। 2023 आप सबके लिए मंगलमय हो और आप इस चुनौती का सफलतापूर्वक पूर्वक सामना कर सकें, इसके लिए मेरी आप सभी को शुभकामनाएं हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं। लेखक वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और चौथी दुनिया के प्रधान संपादक हैं।)
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