होम / विचार मंच / सौरभ द्विवेदी ने बताया, मीडिया में किन लोगों को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस करेगा रिप्लेस
सौरभ द्विवेदी ने बताया, मीडिया में किन लोगों को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस करेगा रिप्लेस
समाचार4मीडिया के 'मीडिया संवाद 2023' कार्यक्रम में 'द लल्लनटॉप' व इंडिया टुडे मैगजीन के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने मीडिया के बदलते हुए परिदृश्यों और उनसे जुड़ी विभिन्न चुनौतियों के बारे में चर्चा की।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
समाचार4मीडिया (samachar4media) ने पत्रकारिता के विभिन्न आयामों पर चर्चा करने और चुनौतियों की पहचान करने के लिए एक सितबंर को दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर में 'मीडिया संवाद 2023' कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां विभिन्न पैनल पर चर्चा की गई। इस दौरान 'द लल्लनटॉप' व इंडिया टुडे (हिंदी) के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने मीडिया के बदलते हुए परिदृश्यों और उनसे जुड़ी विभिन्न चुनौतियों के बारे में चर्चा की।
इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया जो देखती है, जो दिखता है, वही हिट है और वही नरेटिव सेट करता है, आदि-इत्यादि। यदि आप दिखते हैं, उससे आपको तात्कालिक सफलता मिल सकती है, आप किसी रील पर हिट हो सकते हैं, कोई क्रिंज पर कॉन्टेंट बना सकते हैं, जोकि कुछ दिन तक तो चल जाएगा, लेकिन अंतत: आपको पढ़ना ही पड़ेगा लोगों को, किताबों को, ड्राफ्ट्स को, टेक्स्ट को और इसके बाद जो आप बोलेंगे, तो उस बोले में गुरुत्व होगा। वरना बहुत फर्जी किस्म का गुरूर होगा, क्योंकि फिलहाल लहराने के लिए आपके पास कुछ लाइक्स और सब्सक्राइबर्स की संख्या है।
उन्होंने यह भी बताया कि लल्लनटॉप में जो भी लोग काम करते हैं, वो सभी 'हम' शब्द का इस्तेमाल करते हैं, यहां तक मैं भी। दरअसल, मैं-मैं में एक तरह की अश्लीलता झलकती है।
सौरभ द्विवेदी ने आगे कहा कि हमनें जो कुछ भी सीखा है और डिजिटल मीडिया में हम जो कुछ भी बरतने की कोशिश कर रहे हैं, वो हम इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि हमसे पहले के जो पत्रकार हैं, संपादक हैं, उन्होंने अपने तजुर्बों को लिपिबद्ध किया। हमनें उनको पढ़ा, उससे हमें राजनैतिक विवेक भी मिला और उनसे सहमतियों व असहमतियों के क्रम में वो साहस भी मिला, जो हमें अपनी पगडंडी बनाने के लिए जरूरी लगता था।
उन्होंने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि हिन्दुस्तान जबान, जिसको हम लोग अकसर वर्नाकुलर मीडिया कह देते हैं, उससे मेरी असहमति है। भाषा की जो राजनीति है, उसमें 'वर्नाकुलर' शब्द एक किस्म की श्रेष्ठता के बोध के साथ भारतीय भाषाओं के लिए इस्तेमाल किया गया है। उसकी एक लंबी पॉलिटिक्स है। मैं भी पहले 'वर्नाकुलर' बोल देता था, जिसके बाद मुझे किसी ने टोका। इसके बाद से हम लोग इंडियन लैंग्वेज या भारतीय भाषा परिवार शब्द इस्तेमाल का करते हैं। भारतीय भाषा परिवार के न्यूज रूम की पहली चुनौती ये होनी चाहिए कि आप आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस को कैसे कोऑप्ट करने वाले हैं। यदि हममें से किसी को लगता है कि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस हममें से किसी को रिप्लेस कर देगा, तो हम लोग गलत हैं। वो हमें रिप्लेस नहीं करेगा, बल्कि उन्हें रिप्लेस करेगा, जो आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस से दूर भाग रहे हैं और जो आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस से साझेदारी करेंगे, गठजोड़ गाठेंगे, उनके लिए वो मददगार है। इसलिए सभी न्यूजरूम्स और सभी वेंचर्स में इस चीज पर चर्चा हो रही है कि भारतीय भाषाओं को लेकर चैट जीपीटी और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के जो अलग-अलग उपकरण हैं, वो कैसे इस्तेमाल किए जा सकते हैं, कैसे उस मशीन को ज्यादा से ज्यादा साहित्यिक अभिव्यक्ति के लिहाज से या बोलचाल की अभिव्यक्ति के लिहाज से, मिलेनियल या जेनजी क्लाउड्स की लैंग्वेज के हिसाब से ट्रेंड किया जा सके।
सौरभ द्विवेदी का ये पूरा वक्तव्य आप नीचे दिए वीडियो में देख सकते हैं:
टैग्स पत्रकार सौरभ द्विवेदी मीडिया संवाद 2023