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पढ़ें, मोदी की इतनी बड़ी वापसी पर वरिष्ठ पत्रकारों की त्वरित टिप्पणी
लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी की जीत के बताए कई कारण
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
संतोष भारतीय, प्रधान संपादक, चौथी दुनिया
नरेंद्र मोदी की इतनी बड़ी जीत की मुझे कतई उम्मीद नहीं थी। इसके पीछे के त्वरित कारण के तौर पर मैं राहुल गांधी द्वारा पिछले 5 सालों में मजबूत तैयारी न करना मानता हूं। राहुल गांधी की विफलता है कि वे उन राज्यों में कांग्रेस के संगठन को दुरुस्त नहीं कर पाए, जहां कांग्रेस बेहतर कर सकती थी। साथ ही राहुल गांधी के भाषणों पर देश की जनता भरोसा नहीं कर पाई और वे अपनी बात को कम्युनिकेट करने में फेल रहे। एक बड़ा कारण राहुल गांधी का 24 घंटे पॉलिटिक्स न करने वाली शख्सियत का होना रहा, जबकि इसके उलट नरेंद्र मोदी ने पूरे 5 साल जमकर राजनीति की, चाहे वे विदेश में हो या देश के किसी राज्य में, उन्होंने अपना मजबूत प्रचार किया।
अमित शाह ने जहां लोकसभा चुनावों की भरपूर तैयारी की, वहीं कांग्रेस तो इस चुनाव में लॉजिस्टिक की भी तैयारी करने में असफल रही थी। प्रियंका गांधी ने अपनी टीम जरूर बनाई, पर वे पूरी कांग्रेस को साथ लेकर चलने में चूक गईं। देश के गरीब तबके ने भी ये माना कि मोदी सरकार उसके लिए कुछ योजनाओं पर काम कर रही है। उज्ज्वला योजना, शौचालय निर्माण का सकारात्मक असर दिखा। फर्स्ट टाइम वोटर ने इस उम्मीद में इस सरकार को चुना है कि उसे नौकरी मिल सकेगी। पर आज भी मेरा ये कहना है कि जिस बड़े बहुमत से सरकार चुनकर आती है, अगर वो जनता को किए वादे पूरे न कर पाई तो उसका बुरी तरह से हारना भी निश्चित होता है।
अजय शुक्ल, प्रधान संपादक, आईटीवी (मल्टीमीडिया)
इस जीत के पीछे मैं दो कारणों को अहम मानता हूं। पहला जिस तरह बालाकोट की एयर स्ट्राइक का प्रचार-प्रसार हुआ, उसके चलते राष्ट्रवाद का मुद्दा बहुत मजबूत हुआ। पाकिस्तान के खिलाफ हुए एक्शन के बाद मोदी की छवि आमजन के बीच मजबूत हुई।
दूसरा, मैं इस चुनाव में हुई बड़ी जीत को हिंदू सेंटिमेंट्स से भी जोड़कर देखता हूं। महाकुंभ के जरिये बीजेपी हिंदू सेंटिमेंट्स को भुनाने में कामयाब रही। सांप्रदायिक धुव्रीकरण ने भी इस जीत में अहम भूमिका निभाई है।
राजेश बादल, वरिष्ठ पत्रकार
जिस तरह पीएम मोदी ने इस चुनाव में हर रैली में उम्मीदवार के बजाय खुद को चुनने की बात कही,उसने इस इलेक्शन का सिनोरियो चेंज किया। ये चुनाव सांसद चुनने का चुनाव न रहकर सीधे पीएम चुनने का चुनाव हो गया। ऐसे में आमजन पर उनकी ये ट्रिक काम कर गई।
दूसरा, जिस तरह लगातार उन्होंने 2022 को लेकर कई योजनाओं का जिक्र किया, ऐसे में पब्लिक ने उन्हें एक और मौका देने का मन बनाया। साथ ही सांप्रदायिक धुव्रीकरण और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर फोकस कर बीजेपी ने इस चुनाव से अहम मुद्दों को नगण्य करने की रणनीति बनाई, जो सफल रही।
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