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जानें, वरिष्ठ पत्रकारों को साल 2023 में मीडिया इंडस्ट्री से क्या हैं उम्मीदें

आइए जानते हैं कि मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार आने वाले साल में किस तरह की चुनौतियां/संभावनाएं देखते हैं

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago

मीडिया इंडस्ट्री के लिए बीते दो-तीन साल काफी चुनौतियों भरे रहे हैं। कोरोनावायरस (कोविड-19) और इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में जब लॉकडाउन की घोषणा की गई, तो तमाम उद्योग-धंधों के अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई। मीडिया इंडस्ट्री भी इससे अछूता नहीं रहा। लेकिन अर्थव्यवस्था के धीरे-धीरे पटरी पर लौटने के दौरान मीडिया इंडस्ट्री एक नया रूप ले चुकी थी। उसके साथ एक नया अध्याय जुड़ गया था और वह था ‘टेक्नोलॉजी’ का। वैसे तो मीडिया और टेक्नोलॉजी का साथ चोली-दामन का रहा है। लेकिन बीते एक दो-वर्षों में टेक्नोलॉजी का जो विस्तार हुआ, उससे साल 2022 में मीडिया में कई नए आयाम जुड़े। ओटीटी पर न्यूज के आगाज से लेकर एनएफटी और मेटावर्स जैसी चीजें पहली बार सामने आईं। इससे भारतीयों के लिए कंटेंट क्रिएशन के नए मौके खुले। जॉब का सृजन हुआ और स्टार्टअप के लिए भी कई दरवाजें खुले। लिहाजा यह कहना गलत नहीं होगा कि साल 2022 भारतीय मीडिया के लिए विस्तार का वर्ष रहा है। लेकिन अब 2022 की विदाई हो चुकी है और 2023 का आगाज, ऐसे में आइए जानते हैं कि मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार आने वाले साल में किस तरह की चुनौतियां/संभावनाएं देखते हैं-

अनुराधा प्रसाद, चेयरपर्सन व मैनेजिंग डायरेक्टर,  ‘बीएजी फिल्म्स एंड मीडिया लिमिटेड’

2023 में टीवी न्यूज चैनल्स को ईमानदारी से सोचना होगा कि अगर दर्शकों के बीच अपनी साख बनाए रखनी है, तो ग्राउंड स्टोरी की ओर आना ही होगा। लुटियन जोन के 30 किलोमीटर रेडियस को न्यूज एपिसेंटर समझने वाली सोच से निकलना होगा। आउट ऑफ बॉक्स सोचना होगा, आउट ऑफ बॉक्स स्टोरी दर्शकों के सामने पेश करनी होगी। नए साल में टेलीविजन न्यूज इंडस्ट्री और इससे जुड़े पत्रकार दोनों के लिए अवसर भी हैं और चुनौती भी। पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी दस्तक दे रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियों में भी छंटनी हो रही है। ऐसे में अगर नए साल में टीवी न्यूज़ इंडस्ट्री में नौकरियों का स्वरूप बदल जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।

पंकज पचौरी, वरिष्ठ पत्रकार 

साल 2023 में भारतीय मीडिया कंपनियों को यूरोप और ऑस्ट्रेलिया की तरह साथ आना पड़ेगा, ताकि सरकार पर दबाव डालकर नए कानून बनाए जाएं, जिससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारतीय समाचार क्षेत्र को उसका पूरा मेहनताना देने पर मजबूर हों। भारत में ये मुश्किल लगता है, क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री ऑनलाइन जगत के सुपर स्टार हैं।  सोशल मीडिया पर उनका बोलबाला है। वो खुद भारतीय मीडिया को शायद हिकारत से देखते हैं और शायद इसलिए उन्होंने आठ साल से एक भी समाचार सम्मलेन नहीं किया है। नए साल में मीडिया से जुड़े यदि ये दो करिश्मे सामने आएं, तभी 2023 मीडिया के लिए मुबारक होगा।

अकु श्रीवास्तव, कार्यकारी संपादक, 'पंजाब केसरी' व 'नवोदय टाइम्स'  

नए साल की चुनौती की बात करें तो निष्पक्ष रहना ही सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि, निष्पक्ष रहना काफी मुश्किल काम हो जाएगा। फिर भी नए साल से काफी उम्मीदें हैं, क्योंकि नए रास्ते खुल रहे हैं, नया मीडिया आ रहा है। उसके खतरे भी हैं, लेकिन उसके लाभ ज्यादा हैं। स्वतंत्र मीडिया यदि बनी रहती है, हालांकि यह काफी मुश्किल है, लेकिन यदि ऐसा होता है और इस दिशा में रास्ते खुलते हैं तो शायद स्थिति सुधरेगी। फिर भी नए साल में कुछ अच्छी बातें सोचिए। कोरोना न आए, कोरोना का आतंक न आए और उससे हम प्रभावित न हों, ये ज्यादा बड़ी चीज है। 

 

हर्ष वर्धन त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार 

2022 में मीडिया में पत्रकारों के बीच का संघर्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने की राजनीतिक कोशिशों का अनुभव मेरा रहा। मुझे लगता है कि 2023 में यह दोनों खतरे और अधिक बढ़ेंगे। राजनीतिक दल अपने लिहाज से टीवी चैनलों पर प्रवक्ता भेजते हैं और उससे आगे बढ़कर अपनी पसंद के पत्रकार भी आएं, यह तय करने की कोशिश करने लगे हैं। टीवी से दर्शकों से खारिज होने के बाद नौकरी चली गई है तो कुछ पत्रकारों ने उसी को विक्टिम कार्ड के तौर पर प्रस्तुत करके यूट्यूब पर व्यूज और लाइक्स बटोरने का नया तरीका निकाल लिया है। 2022 में इन खतरों के शुरुआती लक्षण दिखे और अब 2023 में यह लक्षण पूरी तरह से उभरकर सामने आएंगे, लेकिन मैं घोर आशावादी व्यक्ति हूं। मैं मानता हूं कि इसी में पत्रकारिता का नया सूरज उगेगा। लोकतंत्र भारत के मूल में है, थोपा हुआ नहीं है। और, जब तक लोकतंत्र है, तब तक पत्रकारिता का भी महत्व बना रहेगा, इसमें मुझे जरा सा भी संदेह नहीं है। जिसकी पत्रकारिता पूरी हो चुकी है, हमेशा उसने यह साबित करने की कोशिश की है कि, अब पत्रकारिता ही खत्म हो गई है, लेकिन न पहले ऐसा हुआ था और न अब ऐसा होगा। एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह पत्रकारिता नहीं है।

जयदीप कर्णिक, संपादक, 'अमर उजाला' (डिजिटल)  
मुझे लगता है कि साल 2023 इसके लिए एक बड़ी निर्णायक भूमिका लेकर आने वाला है। चूंकि ऑस्ट्रेलिया जैसा मॉडल, जिसमें गूगल-फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स प्रकाशकों को कंटेंट के लिए भुगतान कर रहे हैं, उसकी चर्चा भी अब हमारे देश में शुरू हो गई है। ये चर्चा जहां जाकर रुकेगी, वहीं से डिजिटल मीडिया का उदयकाल शुरू होगा। देश में डिजिटल मीडिया का प्रभाव बढ़ेगा। डिजिटल मीडिया में धीरे-धीरे स्थायित्व आ रहा है, इस संक्रमण को पूरा होने में मुझे लगता है कि अगले दो से तीन साल और लगेंगे। लेकिन, साल 2023 इसमें निर्णायक भूमिका निभाने वाला है। समूचे मीडिया ने बड़ी-बड़ी चुनौतियों को देखा है और उन्हें अपनी संकल्प शक्ति व पुरुषार्थ से पार किया है। कोशिश की है कि देश में मीडिया का जो सम्मान है, चौथे स्तंभ के रूप में उसकी जो प्रतिष्ठा है, वो बनी रहे। मुझे लगता है कि जो अच्छे पत्रकार है, अच्छे मीडिया हाउस हैं, वे लगातार इस दिशा में प्रयत्न करते रहेंगे कि इस प्रतिष्ठा को न केवल बरकरार रखा जाए, बल्कि आगे बढ़ाया जाए।  

ऋचा जैन कालरा, फाउंडर, ‘अच्छी खबर’

साल 2023 में मीडिया और एंटरटेनमेंट जगत में शानदार ग्रोथ की उम्मीद की जा रही है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री वर्ष 2030 तक $55-70 बिलियन होने की उम्मीद है। इसमें ओटीटी, गेमिंग, एनिमेशन और VFX का बड़ा हाथ होगा।

 

अजय शुक्ल, संपादक, 'दि प्रिंसिपल' 

वर्ष 2023 में हम उम्मीद करते हैं कि मीडिया अपनी गलती सुधारने के बारे में चिंता करेगा, क्योंकि ऐसा नहीं हुआ तो उसकी विश्वसनीयता और प्रसार दोनों को स्वतंत्र डिजिटल मीडिया छीन लेगा। हालांकि सरकार उस पर भी नियंत्रण की हर संभव कोशिश करने में लगी है। डिजिटल मीडिया का बाजार भी बढ़ेगा और उसमें रोजगार के अवसर भी बनेंगे। मेन स्ट्रीम मीडिया में भारी भरकम निवेश के बाद भी उतना उत्साहवर्धक लाभ नहीं मिलेगा, जिसकी उम्मीद इंडस्ट्री के प्रमोटर्स करते हैं, हालांकि 2023 में 9 राज्यों के चुनाव होने के साथ ही लोकसभा चुनाव का बिगुल भी बज जाएगा। इससे विज्ञापन और पेड न्यूज दोनों के जरिए कमाई बढ़ेगी। इसके साथ ही वास्तविक पत्रकारिता को भी समानांतर जगह बनाने का मौका मिलेगा। डिजिटल मीडिया में दर्शक और पाठक के पास विकल्प अधिक हैं। ऐसे में उन्हें विश्वसनीयता और सच्चाई के बूते ही खड़ा होना है। मेरा मानना है कि 2023 उम्मीदों वाला वर्ष होगा। देश और दुनिया सभी जगह समस्याओं के बीच सच्चाई-ईमानदारी की पत्रकारिता कठिन होते हुए भी अधिक स्वीकार्य होगी। सत्ता परस्त मीडिया को लोग खुद ही आइना दिखाएंगे। नये साल का स्वागत करने को तैयार हो जाइये।

विनीता यादव, एडिटर-इन-चीफ व सीईओ, ‘न्यूज नशा’  

मेरी नजर में वर्ष 2023 भी मीडिया के लिए बेहद अहम रहेगा, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तमाम चैनल व्यस्त रहेंगे और 2023 में भी कई राज्यों जैसे-राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ में चुनाव हैं। आजकल तमाम न्यूज चैनल्स चाहे टीवी हो या डिजिटल, सबसे ज्यादा राजनीति की खबरों पर ही व्यस्त होते हैं तो वर्ष 2023 काफी व्यस्त रहने वाला है। क्योंकि चुनाव सिर्फ खबर नहीं व्यापार भी है।


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