होम / विचार मंच / सत्ता की लड़ाई के लिए नए समझौतों के साथ मैदान में उतर रहे शरद पवार: आलोक मेहता

सत्ता की लड़ाई के लिए नए समझौतों के साथ मैदान में उतर रहे शरद पवार: आलोक मेहता

मराठा क्षत्रप स्वयं उत्तर भारत में अपनी राष्ट्रवादी नेशनल कांग्रेस या अन्य सहयोगी दलों को कितनी सीटों पर विजय दिला सकते हैं?

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago

आलोक मेहता, पद्मश्री, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और स्तम्भकार।

भारतीय राजनीति में करीब 60 वर्षों से तलवार घूमाते रहने वाले मराठा सेनापति शरद पवार एक बार फिर सत्ता की लड़ाई के लिए नए समझौतों के साथ मैदान में उतर रहे हैं। 83 वर्ष की उम्र में भी वह महाराष्ट्र के बल पर देश की सत्ता बदलने और बेटी सुप्रिया के साथ पसंदीदा लोगों की सरकार बनाने की बिसात बिछा रहे हैं।कांग्रेस के गांधी परिवार से रिश्ते रखने और तोड़ने का उनका रिकॉर्ड सबसे अधिक है।

इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ सम्बन्ध जोड़ने और तोड़ने के कई अध्याय दिलचस्प हैं। कभी सोनिया गांधी के नेतृत्व को ठुकराते हुए कांग्रेस से अलग होने वाले शरद पवार ने  इस बार एक मीडिया कार्यक्रम में  स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि राहुल गांधी में देश का नेतृत्व करने की क्षमता है। भाजपा के विरुद्ध प्रतिपक्ष के नए गठबंधन में रिंग मास्टर की तरह विभिन्न प्रदेशों के परस्पर विरोधी नेताओं को भी समझा बुझाकर नए समझौतों के लिए प्रयास कर रहे हैं।  इसी सन्दर्भ में वह आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी को कांग्रेस पर मेहरबानी कर लोक सभा चुनाव में कुछ सीटें देने पर सहमति बना रहे हैं। कांग्रेस की ऐसी दुर्दशा कभी नहीं रही।  

राहुल गांधी को अरविन्द केजरीवाल और अखिलेश यादव ही नहीं भ्रष्टाचार में जेलयाफ्ता  लालू प्रसाद यादव तक के सामने समर्पण करवा रहे हैं।  पराकाष्ठा यह है कि राहुल के सारे निंदा अभियान के बावजूद अडानी समूह को भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान बताकर उसका समर्थन कर रहे हैं।सवाल यह है कि मराठा क्षत्रप स्वयं उत्तर भारत में अपनी राष्ट्रवादी नेशनल कांग्रेस या अन्य सहयोगी दलों को कितनी सीटों पर विजय दिला सकते हैं? दूसरा शरद पवार को कबड्डी के कप्तान की तरह हमेशा दूसरे पाले में जाकर वापस भागने वाले खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है।

इसलिए राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी के साथ कितने महीने रहने की गारंटी कोई नहीं दे सकता है। अभी तो चुनाव आयोग और अदालत तय करेगी कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद की है या उनके भतीजे अजीत पवार की। यही नहीं भाजपा से मोह भंग होने पर अजीत को अपना बना लेने के संकेत भी पवार देते रहते हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य अपनी बेटी सुप्रिया सुले को अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी बनाना है। तभी तो कुछ समय पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी या उनके सहयोगियों से सुप्रिया को केंद्रीय मंत्री बनाने की संभावना पर चर्चा की थी। इस प्रस्ताव पर अब पिता पुत्री बात नहीं करना चाहते। पवार के सबसे करीबी रहे पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने तो अब राज बता दिया कि पिछले साल तो सभी 51 विधायक शरद पवार की स्वीकृति से भाजपा गठबंधन में जाने को तैयार थे, सबने प्रस्ताव पर दस्तखत तक कर डाई थे।

लेकिन लोक सभा चुनाव के बाद इस प्रस्ताव पर पुनः रास्ता बनाए जाने का गलियारा खुला हुआ है। वास्तव में शरद पवार सदा सत्ता में रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहे हैं। सरकार, पूंजी की शक्ति और किसी भी दल या नेताओं के साथ रिश्ते बनाने में माहिर हैं। तभी तो किसी समय अयोध्या विवाद में वह मुस्लिम पक्ष और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं से मध्यस्थ की भूमिका निभाने के प्रयास करते रहे। कभी बाल ठाकरे के विरोधी और अब उनके बेटे उद्धव ठाकरे के सबसे करीबी हो गए। 1983 में इंदिरा गांधी के कड़े विरोध के लिए पुणे में विपक्षी नेताओं की बड़ी रैली की और तीन साल बाद राजीव गांधी की शरण में आ गए। प्रधानमंत्री बनने की संभावना न देख नरसिंह राव का दामन थाम लिया।

फिर उनका विकल्प बनने के लिए जोड़ तोड़ की। बहरहाल प्रधान मंत्री न सही महाराष्ट्र में उन्होंने किसी बड़े मराठा नेता को विकल्प नहीं बनने दिया। मराठा सेनापति के घोड़े और हथियार पड़ोसी गोवा या गुजरात तक में  अपनी पार्टी का प्रभाव बड़ा पाने में सफ़ल नहीं हुए। फिर सुदूर बंगाल या केरल में वह अपनी पार्टी या गठबंधन के सहयोगी को क्या मदद कर सकते हैं?

ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, लालू यादव, नीतीश कुमार, फारूक अब्दुल्ला आदि शरद पवार की धन शक्ति और मुंबई के बेताज बादशाह के नाते कॉरपोरेट समूहों से संबंधों के कारण जुड़े रहने का लाभ देखते हैं। टाटा बिरला के बाद अंबानी अडानी के साथ समझौतों में पवार कभी नहीं हिचके। अब आगामी लोक सभा चुनाव में पवार की राजनीतिक शक्ति की अंतिम परीक्षा होगी।

(यह लेखक के निजी विचार हैं)


टैग्स राहुल गांधी कांग्रेस भाजपा आलोक मेहता पीएम मोदी एनसीपी
सम्बंधित खबरें

'S4M पत्रकारिता 40अंडर40' के विजेता ने डॉ. अनुराग बत्रा के नाम लिखा लेटर, यूं जताया आभार

इस कार्यक्रम में विजेता रहे ‘भारत समाचार’ के युवा पत्रकार आशीष सोनी ने अब इस आयोजन को लेकर एक्सचेंज4मीडिया समूह के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा के नाम एक लेटर लिखा है।

1 day ago

हरियाणा की जीत पीएम नरेंद्र मोदी में नई ऊर्जा का संचार करेगी: रजत शर्मा

मोदी की ये बात सही है कि कांग्रेस जब-जब चुनाव हारती है तो EVM पर सवाल उठाती है, चुनाव आयोग पर इल्जाम लगाती है, ये ठीक नहीं है।

2 days ago

क्या रेट कट का टाइम आ गया है? पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

रिज़र्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक सोमवार से हो रही है। लेकिन बैठक से पहले आयीं ज़्यादातर रिसर्च रिपोर्ट कह रही है कि रेट कट अभी नहीं होगा।

5 days ago

पांच भाषाओं को क्लासिकल भाषा का दर्जा देना सरकार का सुचिंतित निर्णय: अनंत विजय

किसी भी भाषा को जब शास्त्रीय भाषा के तौर पर मानने का निर्णय लिया जाता है तो कई कदम भी उठाए जाते हैं। शिक्षा मंत्रालय इन भाषाओं के उन्नयन के लिए कई प्रकार के कार्य आरंभ करती हैं।

5 days ago

आरएसएस सौ बरस में कितना बदला और कितना बदलेगा भारत: आलोक मेहता

मेरे जैसे कुछ ही पत्रकार होंगे, जिन्हें 1972 में संघ प्रमुख गुरु गोलवरकर जी से मिलने, प्रोफेसर राजेंद्र सिंह जी और के सी सुदर्शनजी से लम्बे इंटरव्यू करने को मिले।

5 days ago


बड़ी खबरें

वरिष्ठ TV पत्रकार अभिषेक उपाध्याय का क्या है ‘TOP सीक्रेट’, पढ़ें ये खबर

अभिषेक उपाध्याय ने अपने ‘एक्स’ (X) हैंडल पर इस बारे में जानकारी भी शेयर की है। इसके साथ ही इसका प्रोमो भी जारी किया है।

4 hours from now

‘दैनिक भास्कर’ की डिजिटल टीम में इस पद पर है वैकेंसी, जल्द करें अप्लाई

यदि एंटरटेनमेंट की खबरों में आपकी रुचि है और आप मीडिया में नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए काफी काम की हो सकती है।

14 hours ago

इस बड़े पद पर फिर ‘एबीपी न्यूज’ की कश्ती में सवार हुईं चित्रा त्रिपाठी

वह यहां रात नौ बजे का प्राइम टाइम शो होस्ट करेंगी। चित्रा त्रिपाठी ने हाल ही में 'आजतक' में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह यहां एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

1 day ago

’पंजाब केसरी’ को दिल्ली में चाहिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर, यहां देखें विज्ञापन

‘पंजाब केसरी’ (Punjab Kesari) दिल्ली समूह को अपनी टीम में पॉलिटिकल बीट पर काम करने के लिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर की तलाश है। ये पद दिल्ली स्थित ऑफिस के लिए है।

1 day ago

हमें धोखा देने वाले दलों का अंजाम बहुत अच्छा नहीं रहा: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

जिसकी सीटें ज़्यादा उसका सीएम बनेगा, इतने में हमारे यहाँ मान गये होते तो आज ये हाल नहीं होता, जिस चीज के लिए गये थे उसी के लाले पड़ रहे हैं।

1 day ago