होम / विचार मंच / नेहरू की तिब्बत नीति का खामियाजा भुगत रहा है देश: अरुण आनंद

नेहरू की तिब्बत नीति का खामियाजा भुगत रहा है देश: अरुण आनंद

भारत के पूर्व विदेश सचिव तथा चीनी मामलों के विशेषज्ञ श्यामसरन ने अपनी हालिया किताब 'हाउ चाइना सीज इंडिया एंड द वर्ल्ड' में ठीक ही कहा है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago

अरुण आनंद, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और स्तम्भकार।

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के चीन के प्रति अदूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाया जिसके कारण चीन ने  तिब्बत को हड़प लिया। तिब्बत भारत और चीन के बीच रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बफर जोन था। एक वैश्विक नेता होने के आत्म-गौरव में डूबे हुए नेहरू ने तिब्बत को एक थाली में सजा कर चीन को परोस दिया। इसके परिणामस्वरूप भारतीय सीमाएँ चीनी अतिक्रमणों  का बार बार शिकार होती हैं।

1950 में तिब्बत पर चीनी आक्रमण के मद्देनजर, जिसने इस क्षेत्र की भू-राजनीति को नाटकीय रूप से बदल दिया, भारत के उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपनी मृत्यु से एक महीने पहले नेहरू को लिखा था, “हमें इस पर विचार करना होगा कि नया क्या है। जैसा कि हम जानते हैं, तिब्बत के लुप्त होने और हमारे द्वार तक चीन के विस्तार के परिणामस्वरूप स्थिति अब हमारे सामने है। पूरे इतिहास में हम शायद ही कभी अपने उत्तर-पूर्व सीमांत के बारे में चिंतित रहे हैं। हिमालय को उत्तर से आने वाले खतरों के खिलाफ एक अभेद्य बाधा माना गया है। हमारे बीच दोस्ताना तिब्बत था जिसने हमें कोई परेशानी नहीं दी। चीनी विभाजित थे। उनकी अपनी घरेलू समस्याएं थीं और उन्होंने कभी भी हमें अपनी सीमाओं के बारे में परेशान नहीं किया।”

बर्टिल लिंटनर ने 'चाइनाज इंडिया वॉर: कोलिशन कोर्स ऑन द रूफ ऑफ द वर्ल्ड', जो 1950 के दशक में चीन-भारतीय संबंधों पर सबसे प्रामाणिक पुस्तकों में से एक है, में लिखा है, "नेहरू, जो बीजिंग के नए कम्युनिस्ट शासकों की मानसिकता को समझने में विफल रहे, उनका  चीन के साथ दोस्ती में भरोसा जारी रहा। भारत और चीन, उनके विचार में, दोनों ऐसे देश थे जो दमन से उठे थे और उन्हें एशिया और अफ्रीका के सभी नए मुक्त देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए था।''भारत के पूर्व विदेश सचिव तथा चीनी मामलों के विशेषज्ञ श्यामसरन ने अपनी हालिया किताब 'हाउ चाइना सीज़ इंडिया एंड द वर्ल्ड' में ठीक ही कहा है, "नेहरू ने  तिब्बत पर चीन के कब्जे के बारे जो रूख अपनाया वह एक असामान्य रूप से अदूरदर्शी दृष्टिकोण साबित हुआ।" 

"हाल ही में कुछ विद्वानों द्वारा  नेहरू के पत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार नेहरू का चीन और तिब्बत के बारे में यह कहना था: चीन के संबंध में तिब्बत का अंतिम भाग्य जो भी हो, मुझे लगता है कि किसी भी सैन्य खतरे की व्यावहारिक रूप से कोई आशंका नहीं है।" तिब्बत में  कोई भी संभावित परिवर्तन  भौगोलिक रूप से यह बहुत कठिन है और व्यावहारिक रूप से यह एक मूर्खतापूर्ण साहसिक कार्य होगा। यदि भारत को प्रभावित करना है या उस पर दबाव बनाने का प्रयास करना है, तो तिब्बत इसके लिए मार्ग नहीं है।"

जबकि वास्तविकता में ठीक इसके उलट हुआ। चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया और पहले 1962 में हम पर आक्रमण किया तथा उसके बाद बार—बार हमारी सीमाओं का अतिक्रमण करने लगा।इससे पहले चीनी आक्रमण के डर से, तिब्बत ने 1949 के अंत में संयुक्त राष्ट्र में इसे एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने के लिए भारत से संपर्क किया था। लेकिन नेहरू ने तिब्बत की मदद नहीं  की। वास्तव में चीनियों का तिब्बत पर कोई वैध दावा नहीं था, भारत को 1914 में ब्रिटिश भारत और तिब्बत के बीच हुई संधि से महत्वपूर्ण अधिकार विरासत में मिले थे।

इस संधि द्वारा तिब्बत में भारत को मिली लाभ की स्थिति को नेहरू ने चीन के पक्ष में समाप्त कर दिया। तिब्बत में  भारत का एक पूरा दूतावास था तथा  सैन्य चौकियों के साथ एक मजबूत आधिकारिक उपस्थिति भी थी। 1950 के दशक में भारत ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन सबको चीनी दबाव में छोड़ दिया तथा तिब्बत पर चीन का पूर्ण आधिपत्य स्वीकार कर लिया। यहां तक कि चीनी हमले के बाद जब तिब्बत ने संयुक्त राष्ट्र में अपील की तो  भारत ने तिब्बत के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में कोई मदद नहीं की।

इसके उलट नेहरू ने तिब्बत को चीन के साथ मिलकर समझौता करने की सलाह दी।जब ये सारा घटनाक्रम चल रहा था तब भारतीय हितों की रक्षा करने तथा तिब्बत के पक्ष में खड़े होने के बजाए  नेहरू साम्यवादी चीन को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनाने की पैरवी करने में व्यस्त थे। इसके अलावा, 1954 के एक समझौते में नेहरू ने तिब्बत में सभी प्रकार की भारतीय उपस्थिति को समाप्त करना स्वीकार कर लिया। इसने भारत—चीन सीमाओं पर  भारत को एक स्थायी सामरिक झटका दिया जिसका खामियाजा भारत लंबे समय से भुगत रहा है।

( यह लेखक के निजी विचार हैं )


टैग्स अरुण आनंद जवाहर लाल नेहरू नेहरू की तिब्बत नीति ब्रिटिश भारत और तिब्बत
सम्बंधित खबरें

'S4M पत्रकारिता 40अंडर40' के विजेता ने डॉ. अनुराग बत्रा के नाम लिखा लेटर, यूं जताया आभार

इस कार्यक्रम में विजेता रहे ‘भारत समाचार’ के युवा पत्रकार आशीष सोनी ने अब इस आयोजन को लेकर एक्सचेंज4मीडिया समूह के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा के नाम एक लेटर लिखा है।

3 days ago

हरियाणा की जीत पीएम नरेंद्र मोदी में नई ऊर्जा का संचार करेगी: रजत शर्मा

मोदी की ये बात सही है कि कांग्रेस जब-जब चुनाव हारती है तो EVM पर सवाल उठाती है, चुनाव आयोग पर इल्जाम लगाती है, ये ठीक नहीं है।

3 days ago

क्या रेट कट का टाइम आ गया है? पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

रिज़र्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक सोमवार से हो रही है। लेकिन बैठक से पहले आयीं ज़्यादातर रिसर्च रिपोर्ट कह रही है कि रेट कट अभी नहीं होगा।

6 days ago

पांच भाषाओं को क्लासिकल भाषा का दर्जा देना सरकार का सुचिंतित निर्णय: अनंत विजय

किसी भी भाषा को जब शास्त्रीय भाषा के तौर पर मानने का निर्णय लिया जाता है तो कई कदम भी उठाए जाते हैं। शिक्षा मंत्रालय इन भाषाओं के उन्नयन के लिए कई प्रकार के कार्य आरंभ करती हैं।

6 days ago

आरएसएस सौ बरस में कितना बदला और कितना बदलेगा भारत: आलोक मेहता

मेरे जैसे कुछ ही पत्रकार होंगे, जिन्हें 1972 में संघ प्रमुख गुरु गोलवरकर जी से मिलने, प्रोफेसर राजेंद्र सिंह जी और के सी सुदर्शनजी से लम्बे इंटरव्यू करने को मिले।

6 days ago


बड़ी खबरें

वरिष्ठ TV पत्रकार अभिषेक उपाध्याय का क्या है ‘TOP सीक्रेट’, पढ़ें ये खबर

अभिषेक उपाध्याय ने अपने ‘एक्स’ (X) हैंडल पर इस बारे में जानकारी भी शेयर की है। इसके साथ ही इसका प्रोमो भी जारी किया है।

1 day ago

‘दैनिक भास्कर’ की डिजिटल टीम में इस पद पर है वैकेंसी, जल्द करें अप्लाई

यदि एंटरटेनमेंट की खबरों में आपकी रुचि है और आप मीडिया में नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए काफी काम की हो सकती है।

1 day ago

इस बड़े पद पर फिर ‘एबीपी न्यूज’ की कश्ती में सवार हुईं चित्रा त्रिपाठी

वह यहां रात नौ बजे का प्राइम टाइम शो होस्ट करेंगी। चित्रा त्रिपाठी ने हाल ही में 'आजतक' में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह यहां एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

2 days ago

’पंजाब केसरी’ को दिल्ली में चाहिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर, यहां देखें विज्ञापन

‘पंजाब केसरी’ (Punjab Kesari) दिल्ली समूह को अपनी टीम में पॉलिटिकल बीट पर काम करने के लिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर की तलाश है। ये पद दिल्ली स्थित ऑफिस के लिए है।

2 days ago

हमें धोखा देने वाले दलों का अंजाम बहुत अच्छा नहीं रहा: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

जिसकी सीटें ज़्यादा उसका सीएम बनेगा, इतने में हमारे यहाँ मान गये होते तो आज ये हाल नहीं होता, जिस चीज के लिए गये थे उसी के लाले पड़ रहे हैं।

2 days ago