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मीडिया में एंटरप्रिन्योर बनने के लिए यह सबसे अच्छा समय है: डॉ. अनुराग बत्रा
28 अक्टूबर को माखनलाल यूनिवर्सिटी के तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन सत्र के दौरान 'बिजनेस वर्ल्ड' और 'एक्सचेंज4मीडिया' ग्रुप के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
देश के विख्यात माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में 26 अक्टूबर से नवागत विद्यार्थियों के आत्मीय प्रबोधन और करियर मार्गदर्शन के लिए तीन दिवसीय ‘सत्रारंभ 2020’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के तीसरे दिन 28 अक्टूबर को समापन सत्र के दौरान 'बिजनेस वर्ल्ड' और 'एक्सचेंज4मीडिया' ग्रुप के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ.अनुराग बत्रा ने भी नवागत विद्यार्थियों के लिए अपने विचार व्यक्त किए।
‘मीडिया मैनेजमेंट’ विषय पर डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि अगर मीडिया में रहना चाहते हैं तो जितना हो सके मीडिया को पढि़ए, मीडिया को देखिए और मीडिया को सुनिए। उन्होंने कहा कि मीडिया में उद्यमी बनने के लिए यह सबसे अच्छा समय है। एक सफल मीडिया एंटरप्रिन्योर बनने के लिए जुनून, सकारात्मकता और उद्देश्य प्रमुख हैं। उन्होंने नवागत विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए कहा कि आप लक्ष्य बनाइए, महत्वाकाक्षांए पालिए, ऊर्जा अपने आप आएगी।
नवागत विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मूलभूत रूप से हम कॉन्टेंट किएटर्स हैं। कॉन्टेंट को चाहे ऑडियो, वीडियो या फिर टेक्स्ट के जरिए क्रीएट किया जाए, लेकिन उसका डिस्ट्रीब्यूशन जरूरी है फिर चाहे वह किसी भी माध्यम से ही क्यों न किया जाए। उन्होंने कहा कि 14 साल पहले मैंने एक कॉलम लिखा था, जोकि आज के दौर के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठता है। डॉ. बत्रा ने बताया कि उन्होंने उस कॉलम में ‘टीएमटी’ का जिक्र किया था, जिसका मतलब था टेलीकॉम, मीडिया और टेक्नोलॉजी। इसमें बताया था कि ये आने वाले समय में एक साथ आएंगे और इसका रूपांतरण होगा, जो सही मायनों में हुआ भी। ऐडवर्टाइजिंग मैडिसन रेवेन्यू बन गया है, एंटरटेनमेंट कॉन्टेंट का मतलब हॉलीवुड से है और टेक्नोलॉजी सिलिकॉन वैली बन गया है। उन्होंने कहा कि आज हर कोई एक मीडिया ब्रैंड है। कोई भी डोमेन एक्सपर्ट एक मीडिया ब्रैंड्स बना सकते हैं।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सत्रारंभ-2020 के समापन सत्र में महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने‘संचार में शोध: भारतीय दृष्टि’ विषय पर नवागत विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि शोध एक गंभीर मुद्दा है इसलिए उसमें एक दृष्टि होना आवश्यक है। शोध एक उपाधि प्राप्त करना नहीं है, बल्कि वह तपस्या है। यह बहुत परिश्रम और गहन अध्ययन का विषय है। भारतीय संदर्भों के बिना भारतीय समाज को समझना मुश्किल है। इसलिए शोध में भारतीय दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। मनुष्य जैसे-जैसे शास्त्र के पास जाता है, वैसे-वैसे वह जानने लगता है, उसे बोध होने लगता है, विज्ञान की समझ बढ़ती है।
प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि पढऩा ही पर्याप्त नहीं, यह आवश्यक है कि हमने जो पढ़ा है उसका बोध कितना है। जो सीखा है, उसको आत्मसात कर, उसे अभिव्यक्त करने की क्षमता विकसित करना भी जरूरी है। हमारा अध्ययन हमारी समझ को विकसित करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन कहता है कि सत्य बोलना ही महत्वपूर्ण नहीं है, अपितु उसकी प्रस्तुति भी महत्व रखती है। हमारी प्रस्तुति सुरुचिपूर्ण हो। भाषा शुद्ध हो। शब्दों के चयन में बहुत सावधानी रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को भी कोई सूचना को समाचार के रूप में प्रकाशित करने से पहले पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए ताकि बाद में उसके लिए खेद प्रकट न करना पड़े।
समापन सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि कुछ लोगों ने गूगल सर्च को ही रिसर्च समझ लिया है। शोध एक वृहद विषय है। उन्होंने बताया कि आज ऐसे शोध की आवश्यकता है, जो समाज के हित में हो। जिस समय में पत्रकारिता में फेक कंटेंट की भरमार है, तब पत्रकारिता में शोध की अत्यंत आवश्यकता है। आज मीडिया में विशेषज्ञता की आवश्यकता है। इसलिए नवागत विद्यार्थियों को अध्ययन की प्रवृत्ति विकसित करना चाहिए।
‘मीडिया मैनेजमेंट’ विषय पर कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि मीडिया मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम को हमें मीडिया गवर्नेंस के तौर पर पढ़ाना चाहिए। आज अनेक युवा मीडिया के क्षेत्र में अपने स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं। मीडिया गवर्नेंस पाठ्यक्रम के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित किया जा सकता है ताकि वे अपने स्टार्टअप को अच्छी प्रकार से स्थापित कर सकें।
‘कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में संभावनाएं’ विषय पर स्कूल ऑफ कम्प्यूटर साइंस यूपीएस, देहरादून के डीन डॉ. मनीष प्रतीक ने कहा कि प्रोग्राम लैंग्वेज हिन्दी और अंग्रेजी भाषा से अलग नहीं है, ये भी एक भाषा ही है। आज प्रोग्राम लैंग्वेज के साथ ही एल्गोरिदम को सीखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आईटी का उपयोग करके आप अच्छे पत्रकार बन सकते हैं। आईटी के माध्यम से आप डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से मीडिया के क्षेत्र में फेक कंटेंट की पहचान करने की व्यवस्था बनाई जा सकती है।
‘ऑडियो स्ट्रीमिंग का भविष्य’ जैसे नवाचारी विषय पर सुप्रसिद्ध आरजे और कम्युनिकेशन विशेषज्ञ सुश्री सिमरन कोहली ने कहा कि पॉडकास्ट के क्षेत्र में बड़े संस्थान निवेश कर रहे हैं। इसका अर्थ यही है कि भारत में रेडियो का विस्तार हो रहा है। पॉडकास्ट के क्षेत्र में आने से पहले विद्यार्थियों को इसकी तकनीक को समझ लेना चाहिए। यूनिसेफ जैसी संस्थाएं भी रेडियो और पॉडकास्ट के माध्यम से जन-जागरूकता के कार्यक्रम चला रही हैं। उन्होंने कहा कि सामुदायिक रेडियो भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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