होम / विचार मंच /  ‘विश्व मंचों पर हिंदी के साथ हो रहे अन्याय के बीच यह छोटी सी खुशखबरी है’

 ‘विश्व मंचों पर हिंदी के साथ हो रहे अन्याय के बीच यह छोटी सी खुशखबरी है’

संयुक्तराष्ट्र संघ में अभी भी दुनिया की सिर्फ छह भाषाएं आधिकारिक रूप से मान्य हैं। अंग्रेजी, फ्रांसीसी, चीनी, रूसी, हिस्पानी और अरबी!

समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago

डॉ. वेदप्रताप वैदिक, वरिष्ठ पत्रकार ।।

हिंदी के लिए खुला विश्व-द्वार

संयुक्तराष्ट्र संघ में अभी भी दुनिया की सिर्फ छह भाषाएं आधिकारिक रूप से मान्य हैं। अंग्रेजी, फ्रांसीसी, चीनी, रूसी, हिस्पानी और अरबी! इन सभी छह भाषाओं में से एक भी भाषा ऐसी नहीं है, जो बोलने वालों की संख्या, लिपि, व्याकरण, उच्चारण और शब्द-संख्या की दृष्टि से हिंदी का मुकाबला कर सकती हो। इस विषय की विस्तृत व्याख्या मेरी पुस्तक 'हिंदी कैसे बने विश्वभाषा?' में मैंने की है। यहां तो मैं इतना ही बताना चाहता हूं कि हिंदी के साथ भारत में ही नहीं, विश्व मंचों पर भी घनघोर अन्याय हो रहा है लेकिन हल्की-सी खुशखबर अभी-अभी आई है।

संयुक्तराष्ट्र संघ की महासभा ने अपने सभी 'जरूरी कामकाज' में अब उक्त छह आधिकारिक भाषाओं के साथ हिंदी, उर्दू और बांग्ला के प्रयोग को भी स्वीकार कर लिया है। ये तीन भाषाएं भारतीय भाषाएं हैं, हालांकि पाकिस्तान और बांग्लादेश को विशेष प्रसन्नता होनी चाहिए, क्योंकि बांग्ला और उर्दू उनकी राष्ट्रभाषाएं हैं। यह खबर अच्छी है लेकिन अभी तक यह पता नहीं चला है कि संयुक्तराष्ट्र के किन-किन कामों को 'जरूरी' मानकर उनमें इन तीनों भाषाओं का प्रयोग होगा। क्या उसके सभी मंचों पर होने वाले भाषणों, उसकी रपटों, सभी प्रस्तावों, सभी दस्तावेजों, सभी कार्रवाइयों आदि का अनुवाद इन तीनों भाषाओं में होगा? क्या इन तीनों भाषाओं में भाषण देने और दस्तावेज़ पेश करने की अनुमति होगी? ऐसा होना मुझे मुश्किल लग रहा है लेकिन धीरे-धीरे वह दिन आ ही जाएगा, जबकि हिंदी संयुक्तराष्ट्र की सातवीं आधिकारिक भाषा बन जाएगी। हिंदी के साथ मुश्किल यह है कि वह अपने घर में ही नौकरानी बनी हुई है, तो उसे न्यूयॉर्क में महारानी कौन बनाएगा? हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और हिंदी देश में अधमरी (अर्धमृत) पड़ी हुई है। कानून-निर्माण, उच्च शोध, विज्ञान विषयक अध्यापन और शासन-प्रशासन में अभी तक उसे उसका उचित स्थान नहीं मिला है।

जब 1975 में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में हुआ था, तब भी मैंने यह मुद्दा उठाया था और 2003 में सूरिनाम के विश्व हिंदी सम्मेलन में मैंने हिंदी को सं.रा. की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रस्ताव पारित करवाया था। 1999 में भारतीय प्रतिनिधि के नाते संयुक्तराष्ट्र में मैंने अपने भाषण हिंदी में देने की कोशिश की, लेकिन मुझे अनुमति नहीं मिली। केवल अटलजी और नरेंद्र मोदी को अनुमति मिली, क्योंकि हमारी सरकार को उसके लिए कई पापड़ बेलने पड़े थे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भरसक कोशिश की कि हिंदी को संयुक्तराष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा मिले, लेकिन कोई मुझे यह बताए कि हमारे कितने भारतीय नेता और अफसर वहां जाकर हिंदी में अपना काम-काज करते हैं? जब देश में सरकार का सारा महत्वपूर्ण काम-काज (वोट मांगने के अलावा) अंग्रेजी में होता है तो संसार में वह अपना काम-काज हिंदी में कैसे करेगी? अंग्रेजी की इस गुलामी के कारण भारत दुनिया की अन्य समृद्ध भाषाओं का भी लाभ लेने से खुद को वंचित रखता है। देखें, शायद संयुक्त राष्ट्र की यह पहल भारत को अपनी भाषायी गुलामी से मुक्त करवाने में कुछ मददगार साबित हो जाए!

(डॉ. वैदिक भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष हैं)


टैग्स हिंदी डॉ. वेद प्रताप वैदिक संयुक्त राष्ट्र
सम्बंधित खबरें

‘भारत की निडर आवाज थे सरदार वल्लभभाई पटेल’

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन ऐसी विजयों से भरा था कि दशकों बाद भी वह हमें आश्चर्यचकित करता है। उनकी जीवन कहानी दुनिया के अब तक के सबसे महान नेताओं में से एक का प्रेरक अध्ययन है।

6 hours ago

भारत और चीन की सहमति से दुनिया सीख ले सकती है: रजत शर्मा

सबसे पहले दोनों सेनाओं ने डेपसांग और डेमचोक में अपने एक-एक टेंट हटाए, LAC पर जो अस्थायी ढांचे बनाए गए थे, उन्हें तोड़ा गया। भारत और चीन के सैनिक LAC से पीछे हटने शुरू हो गए।

1 day ago

दीपावली पर भारत के बही खाते में सुनहरी चमक के दर्शन: आलोक मेहता

आने वाले वर्ष में इसके कार्य देश के लिए अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की नींव रख सकते हैं।

1 day ago

अमेरिकी चुनाव में धर्म की राजनीति: अनंत विजय

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार हो रहे हैं। डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है।

1 day ago

मस्क के खिलाफ JIO व एयरटेल साथ-साथ, पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

मुकेश अंबानी भी सेटेलाइट से इंटरनेट देना चाहते हैं लेकिन मस्क की कंपनी तो पहले से सर्विस दे रही है। अंबानी और मित्तल का कहना है कि मस्क को Star link के लिए स्पैक्ट्रम नीलामी में ख़रीदना चाहिए।

1 week ago


बड़ी खबरें

'जागरण न्यू मीडिया' में रोजगार का सुनहरा अवसर

जॉब की तलाश कर रहे पत्रकारों के लिए नोएडा, सेक्टर 16 स्थित जागरण न्यू मीडिया के साथ जुड़ने का सुनहरा अवसर है।

4 hours from now

रिलायंस-डिज्नी मर्जर में शामिल नहीं होंगे स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल 

डिज्नी इंडिया में स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल ने रिलायंस और डिज्नी के मर्जर के बाद बनी नई इकाई का हिस्सा न बनने का फैसला किया है

4 hours from now

फ्लिपकार्ट ने विज्ञापनों से की 2023-24 में जबरदस्त कमाई

फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।

19 hours ago

क्या ब्रॉडकास्टिंग बिल में देरी का मुख्य कारण OTT प्लेटफॉर्म्स की असहमति है?

विवादित 'ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल' को लेकर देरी होती दिख रही है, क्योंकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय को हितधारकों के बीच सहमति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

19 hours ago

ZEE5 ने मनीष कालरा की भूमिका का किया विस्तार, सौंपी अब यह बड़ी जिम्मेदारी

मनीष को ऑनलाइन बिजनेस और मार्केटिंग क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है और उन्होंने Amazon, MakeMyTrip, HomeShop18, Dell, और Craftsvilla जैसी प्रमुख कंपनियों में नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाई हैं।

11 hours ago