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इनकम टैक्स में कटौती होगी? पढ़िए, इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'
सरकार लगातार डंका बजा रही है कि भारत की आर्थिक विकास दर यानी GDP लगातार बढ़ रही है। इसी GDP ग्रोथ में छिपा है प्राइवेट खपत का आँकड़ा यानी आप और हम जो पैसा खर्च करते हैं।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 months ago
मिलिंद खांडेकर, मैनेजिंग एडिटर, तक चैनल्स, टीवी टुडे नेटवर्क।
बजट से पहले ख़बर आ रही है कि इनकम टैक्स में कटौती होगी। यह कटौती पाँच से 15 लाख रुपये के स्लैब में हो सकती है। इसके अलावा किसान सम्मान निधि और मनरेगा की मज़दूरी बढ़ने की ख़बर है। ऐसी घोषणा आम तौर पर चुनाव से पहले होती है तो फिर सवाल है कि सरकार चुनाव के बाद ऐसे प्रस्ताव पर विचार क्यों कर रही है? हिसाब किताब बजट प्रस्तावों को लेकर लग रही अटकलों का।
सरकार लगातार डंका बजा रही है कि भारत की आर्थिक विकास दर यानी GDP लगातार बढ़ रही है। इसी GDP ग्रोथ में छिपा है प्राइवेट खपत का आँकड़ा यानी आप और हम जो पैसा खर्च करते हैं। पिछले वित्त वर्ष में GDP ग्रोथ 7.6% रही लेकिन प्राइवेट खपत 3.6% यानी GDP बढ़ रही है। लेकिन लोगों का खर्च उस रफ़्तार से नहीं बढ़ रहा है। इसका कारण आमदनी ना बढ़ना, महंगाई बढ़ना हो सकते हैं।
GDP के तीन हिस्से होते हैं सरकार का खर्च, कंपनियों का खर्च और लोगों का खर्च, ग्रोथ बढ़ने का बड़ा कारण सरकार का खर्च है। लोगों का खर्च नहीं बढ़ने से कंपनियों का माल नहीं बिकेगा। माल नहीं बिकेगा तो वो नए प्रोजेक्ट नहीं लगाएँगीं। नए प्रोजेक्ट नहीं लगेंगे तो नई नौकरियाँ नहीं आएँगी। लोगों की आमदनी नहीं बढ़ेगी। यही दुश्चक्र सरकार को तोड़ना पड़ेगा। यही कारण है कि सरकार इनकम टैक्स घटाने पर विचार कर रही है ताकि लोगों के हाथ में और पैसे आएं, वो खर्च करें।
एक और आँकड़ा जिस पर ज़्यादा चर्चा नहीं हुई है कि अब जनता कंपनियों से ज़्यादा टैक्स दे रही है। पहले कंपनियों के मुनाफ़े पर लगने वाले कॉर्पोरेट टैक्स से कमाई पर्सनल इनकम टैक्स से ज़्यादा होती थी। दो साल से सरकार को इनकम टैक्स से ज़्यादा कमाई हो रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में कॉर्पोरेट टैक्स से 9.11 लाख करोड़ रुपये मिले जबकि इनकम टैक्स से 10.44 लाख करोड़ रुपये।
इसका कारण 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती। उस समय भी कटौती यह सोचकर की गई थी कि कंपनियाँ नया निवेश करेगी, मोती लाल ओसवाल की पिछले साल रिपोर्ट में कहा गया था कि कंपनियों का निवेश 19 साल में सबसे से निचले स्तर पर हैं। हालाँकि इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि कटौती का फ़ायदा मिलने लगा है। कंपनियों ने निवेश करना शुरू कर दिया है।
सरकार अपने घाटे को क़ाबू में रखना चाहती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इनकम टैक्स में छूट के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपये सरकार कहाँ से देगी तो यहीं रिज़र्व बैंक से मिले दो लाख करोड़ रुपये का डिवीडेंड काम आ सकता है। बजट अनुमान एक लाख करोड़ रुपये मिलने का था, अब बचा हुआ पैसा सरकार बाँट सकती है। बांटना भी चाहिए, लेकिन इंतज़ार कीजिए बजट का क्योंकि अभी जो हो रहा है वो अटकलबाज़ी ही है।
(वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर 'टीवी टुडे नेटवर्क' के 'तक चैनल्स' के मैनेजिंग एडिटर हैं और हर रविवार सोशल मीडिया पर उनका साप्ताहिक न्यूजलेटर 'हिसाब किताब' प्रकाशित होता है।)
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