होम /
विचार मंच /
वो बगावती तेवर वाला पत्रकार कहीं खो गया है...
वो बगावती तेवर वाला पत्रकार कहीं खो गया है...
‘वो बगावती तेवर वाला पत्रकार कहीं खो गया है। अब न तो वह पत्रकार वार्ताओं में दिखता और न ही कार्यक्रमों-आयोजनों की बखिया उधेड़ता। उसके स्थान पर ऐसे लोग आ गए हैं जो ठकुरसुहाती में दक्ष हैं, जो प्रश्न पूछते समय उसका संभावित उत्तर भी बता देते हैं, जो एक भी शब्द खरा-खरा न लिखने की गारंटी देने को तैयार रहते हैं।’ अपने फेसबुक वॉल पर ये आलेख पोस्ट किया है
समाचार4मीडिया ब्यूरो
8 years ago
‘वो बगावती तेवर वाला पत्रकार कहीं खो गया है। अब न तो वह पत्रकार वार्ताओं में दिखता और न ही कार्यक्रमों-आयोजनों की बखिया उधेड़ता। उसके स्थान पर ऐसे लोग आ गए हैं जो ठकुरसुहाती में दक्ष हैं, जो प्रश्न पूछते समय उसका संभावित उत्तर भी बता देते हैं, जो एक भी शब्द खरा-खरा न लिखने की गारंटी देने को तैयार रहते हैं।’ अपने फेसबुक वॉल पर ये आलेख पोस्ट किया है वरिष्ठ पत्रकार सुशील उपाध्याय ने। उनका पूरा आलेख आप यहां पढ़ सकते हैं:
पत्रकारिता का कबीरपंथ....
पहले एक पत्रकार हुआ करता था। हर बात से नाखुश दिखता। सवालों के नश्तर चुभाता हुआ। बाहरी दुनिया में खोया हुआ। जब किसी कार्यक्रम में जाता तो लोग सचेत हो जाते थे कि कल जरूर कुछ न कुछ अलग हटकर (उल्टा-सीधा) छपेगा। और जो कुछ छपेगा, उसमें कमियों-खामियों पर निगाह जरूर होगी। उसके बारे में बाकी पत्रकार कहते थे कि इसे कहीं कुछ अच्छा दिखता ही नहीं और वो कहता था कि जो कुछ अच्छा है, उसे होना ही चाहिए, अच्छा होना कोई खबर नहीं है। और जो खबर है, वो उसके अखबार में जरूर लिखी-छापी जाएगी। ऐसा पत्रकार जब किसी दिग्गज नेता, अभिनेता, उद्यमी, कारोबारी या फिर किसी सार्वजनिक-सख्सियत की पत्रकार-वार्ता में जाता तो कारिंदें सक्रिय हो जाते। लोगों के कान खड़े हो जाते। जिसे सवालों के जवाब देने है, उसे सचेत कर दिया जाता कि इससे बचकर रहना। ये टेढ़े सवाल पूछता है। होमवर्क करके आता है। इसे टहलाया नहीं जा सकता। ना ही ये पत्रकार-वार्ता के बाद मिलने वाले गिफ्ट से प्रभावित होगा, न फाइव स्टार का खाना-दारू लुभाएगी और न ही कोई छिपा हुआ लालच देकर इसे प्रभावित किया जा सकेगा।
उसके सवालों को तवज्जो दी जाती थी, कोई अनदेखा नहीं करता था। यदि, कोई ऐसा करे तो फिर अगले दिन की खबर में केवल उसके सवाल ही दिख सकते थे। ऐसे में जवाबों की गुगली अपने शिकार को तलाशती दिखती। ये पत्रकारिता का कबीर पंथ था और ऐसे नामानिगार पत्रकारिता के कबीरपंथी पत्रकार थे। मैं, अपने आसपास देखता हूं तो ऐसे कबीरपंथी पत्रकारों की संख्या चिंताजनक ढंग से गिरी है। कुछ इक्का-दुक्का ही ऐसे बचे हैं और जो बचे हुए हैं वे सवर्णमार्गी-पत्रकारिता में अछूत की तरह पड़े हुए हैं। उनके सवालों का तोड़ ढूंढ लिया गया है। उन्हें आसानी से अनदेखा किया जा सकता है। उन्हें सूचनाओं से काटने की कोशिश की जा सकती है। उन्हें बुलावा भेजने पर रोक लगाई जा सकती है। इसके बाद भी उनकी जिद बनी रहे तो मालिकों से कहकर उन्हें सड़क पर खड़ा किया जा सकता है।
अब उन्हें पत्रकारों की भीड़ में चिह्नित करना मुश्किल है। सच तो यह है कि अब उन्हें ‘मिस’ भी नहीं किया जाता है। बल्कि, उनकी गैरमौजूदगी को एक वांछित-सुकून की तरह देखा जाता है। इन कबीरपंथी पत्रकारों के बारे में सोचने लगता हूं तो मेरे में मन एक सवाल होता है कि कहीं मैं भी अतीतजीवी तो नहीं हो गया हूं ? क्योंकि बूढ़े होते आदमी का पहला लक्षण यही है कि उसे अतीत की हर बात प्रिय लगने लगती है और वर्तमान में केवल खोट ही खोट नजर आते हैं। खैर, ये विषयांतर हो जाएगा। मूल बात को इस तरह भी कहा जा सकता है कि वो बगावती तेवर वाला पत्रकार कहीं खो गया है। अब न तो वह पत्रकार वार्ताओं में दिखता और न ही कार्यक्रमों-आयोजनों की बखिया उधेड़ता। उसके स्थान पर ऐसे लोग आ गए हैं जो ठकुरसुहाती में दक्ष हैं, जो प्रश्न पूछते समय उसका संभावित उत्तर भी बता देते हैं, जो एक भी शब्द खरा-खरा न लिखने की गारंटी देने को तैयार रहते हैं।
आखिर, उस कबीरपंथी पत्रकार के खोने का नुकसान किसे हुआ? ये नुकसान उन्हें हुआ जिन्होंने अपनी बोलने की आजादी का प्रतिनिधि-स्वर पत्रकार और पत्रकारिता को बनाया हुआ था। लेकिन, जब पत्रकार किसी भी शब्द, भाव और कथन को निजी अथवा सांस्थानिक जरूरतों/हितों के अनुरूप अनुवाद करके पाठकों तक पहुंचाने लगे तो फिर इस बात का मलाल हो सकता है कि अपना पत्रकार-प्रतिनिधि चुनने में हमने जल्दबादी कर दी है। समकालीन दौर की लाभ-हानि के गणित को सामने रखकर देखें तो कबीरपंथी पत्रकारों का न होना ही आज के लिए बेहतर है। लेकिन..............................(जारी)
(साभार: सुशील उपाध्याय की फेसबुक वॉल से)
समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
टैग्स