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वरिष्ठ पत्रकार राकेश कायस्थ की शास्त्री-भरत पर खरी खरी: पिटे पंडित पढ़ाएंगे पाठ

बात उन दिनों की जब खाते-पीते सोते-जागते यानी चौबीसो घंटे दिमाग़ में क्रिकेट रहा करता था...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

वैसे ये कोई ज़रूरी नहीं है कि पिटा हुआ खिलाड़ी कामयाब कोच ना बन पाये। आईएएस के पहले राउंड में फेल होने वाले लोग हर शहर में कोचिंग सेंटर चलाते हैं और खूब पैसे कमाते हैं। दुनिया के बड़े मोटिवेशनल स्पीकर्स के बायो-डेटा निकालकर देख लीजिये कि सक्केस का मंत्र बेचने से पहले वे क्या करते थे। अपना काम अच्छी तरह कर पाना और दूसरों से काम करवा पाना दो अलग-अलग हुनर हैं। अपने फेसबुक वॉल पर लिखे पोस्ट के जरिए ये कहा वरिष्ठ पत्रकार व चर्चित व्यंग्यकार राकेश कायस्थ ने। उनकी पूरी पोस्ट आप यहां पढ़ सकते हैं:

पिटे पंडित पढ़ाएंगे पाठ

बात उन दिनों की जब खाते-पीते सोते-जागते यानी चौबीसो घंटे दिमाग़ में क्रिकेट रहा करता था। कुछ पत्रिकाओं से, कुछ अपने पिता से और बाकी हेयर कटिंग सैलून में चल रही चर्चाओं से, यानी जहां से भी मिले, क्रिकेट की दंतकथाएं बटोरा करता था। नाई की दुकान पर कभी खत्म ना होनेवाली एक चर्चा चलती थीभारत में इमरान खान का बाप कब पैदा होगा?

तब में कक्षा नौ का छात्र था। सुबह शोर उठा कि कपिल देव का पेस बॉलिंग पार्टनर मिल गया है। साल था 1986, दिलीप मेंडिंस की श्रीलंका टीम के खिलाफ कानपुर में टेस्ट मैच शुरू हुआ। भारत के नये थुलथुले पेस बॉलर ने गेंद संभाली और दौड़ना शुरू किया। लेकिन पहली गेंद फेकने से पहले ही मुंह के बल जमीन पर जा गिरा। टीवी पर केमेंट्री कर रहे रवि चतुर्वेदी ने हौसला अफजाई कीकोई बात नहीं ऑस्ट्रेलिया के महान तेज गेंदबाज एलन डेविडसन भी इसी तरह अपनी पहली गेंद फेकने से पहले गिरे थे। ये शगुन भारतीय क्रिकेट के लिए बहुत शुभ है।

शगुन अब जाकर शुभ हुआ है। मुंह के बल गिरने वाले भरत अरुण स्विंग के सुल्तान ज़हीर खान को लंगड़ी लगाकर टीम इंडिया के बॉलिंग कोच बन गये हैं। अरुण ने अपने दो टेस्ट के करियर में कुल जमा चार विकेट लिये हैं। वैसे एक वनडे विकेट भी उनके नाम है, जो उन्होने चार मैचो में बहाये गये पसीने के एवज में हासिल किया है। टीम इंडिया के चीफ कोच रवि शास्त्री ने उन्हे देश का एक शानदार क्रिकेटर बताया है।

शानदार रवि शास्त्री भी कुछ कम नहीं थे। अपने बचपन से लेकर उनके बुढ़ापे तक मैने शास्त्री के करियर को मैच-दर-मैच फॉलो किया है। धीमी बैटिंग करके अनगिनत वनडे हरवाना, थर्डमैन पर फील्डिंग करते वक्त दायें हाथ से गेंद को पकड़कर बायें हाथ में लेना और बल्लेबाज़ के दूसरा रन पूरा करने के बाद थ्रो करना, ऑलराउंडर के रूप मे खेलना और करियर के आखिरी तीन चार साल में बिल्कुल बॉलिंग ना करना, टीम से ड्रॉप होने के बाद पीएमओ से सिफारिश लगवाकर टीम वापस आना और फिर किस्मत के सहारे एक मैच में कप्तान बन जाना, कहानियां अनगिनत हैं। 1985 का बेसन एंड हेजेज़ और शास्त्री की ऑडी भी याद हैं। फिर भी ये सच है कि शास्त्री भारतीय क्रिकेट के एक नाकाम दौर में ज़बरदस्ती बनाये गये हीरो थे।

लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट छोड़ते ही शास्त्री की शख्सियत एकदम बदल गई। किसी ने सोचा नहीं था कि मैदान पर ढीला-ढाला दिखने वाला ये क्रिकेटर माइक संभालते ही इतना एग्रेसिव हो जाएगा। टीम इंडिया के डायरेक्टर बनने के बाद शास्त्री जी की बॉडी लैंग्वेज और बदल गई। ऐसा लगा कि एग्रेशन के मामले में विराट कोहली से भी एक कदम आगे हैं। विवादों से दूर रहने वाले अनिल कुंबले के बदले रवि शास्त्री की टीम का चीफ कोच बनाया गया है। गेंदबाज़ी तराशने का काम भरत अरुण के हवाले है। कांट्रेक्ट दो साल का है। फैसला बहुत लोगो के गले नहीं उतर रहा है।

वैसे ये कोई ज़रूरी नहीं है कि पिटा हुआ खिलाड़ी कामयाब कोच ना बन पाये। आईएएस के पहले राउंड में फेल होने वाले लोग हर शहर में कोचिंग सेंटर चलाते हैं और खूब पैसे कमाते हैं। दुनिया के बड़े मोटिवेशनल स्पीकर्स के बायो-डेटा निकालकर देख लीजिये कि सक्केस का मंत्र बेचने से पहले वे क्या करते थे। अपना काम अच्छी तरह कर पाना और दूसरों से काम करवा पाना दो अलग-अलग हुनर हैं।

कुछ लोग पैदाइशी बॉस होते हैं, अपना काम उन्हे आये या ना आये। शास्त्री को क्रिकेट की बेहतरीन समझ वाला शख्स माना जाता है। वे कुंबले की तरह हार्ड टास्क मास्टर नहीं लेकिन स्मार्ट हैं, ऐसा कई लोगो का दावा है। पिछली बार सौरव गांगुली के नेतृत्व वाले पैनल ने कोच के लिए क्रिकेटर्स के इंटरव्यू किये थे, तब शास्त्री इंटरव्यू देने के लिए वक्त नहीं निकाल पाये थे। बाद में उन्होंने पैनल के फैसले को लेकर अपनी नाराजगी भी जताई थी। चीफ कोच के तौर पर उनकी नियुक्ति के साथ शास्त्री ने साबित कर दिया कि वे वाकई पैदाइशी बॉस हैंइंटरव्यूरिव्यू इन सबसे परे। शास्त्री को भरत अरुण पसंद हैं और कैप्टन कोहली को दोनो पसंद हैं। देखना दिलचस्प होगा कि टीम इंडिया के आगे का सफर किस तरह बढ़ता है।

(साभार: चर्चित व्यंग्यकार राकेश कायस्थ की फेसबुक वॉल से)


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