होम / विचार मंच / वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय की इस टिप्पणी का वाकई जवाब नहीं...

वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय की इस टिप्पणी का वाकई जवाब नहीं...

मैंने राम बहादुर राय के साथ काफी लंबा वक्त बिताया है...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

 जब मोदी सरकार ने रायसाहब को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला का अध्यक्ष बनाया तो मुझे लगा कि बेहतर होता कि उन्हें मास कम्युनिकेशन संस्थान का प्रभारी बनाया जाता, क्योंकि किसी को आदेश देना या प्रशासन चलाना तो राय साहब की आदत में शुमार ही नहीं है। हिंदी दैनिक 'नया इंडिया' के जरिए अपने संस्मरण में ये लिखा वरिष्ठ पत्रकार विवेक सक्सेना ने। उनका ये पूरा संस्मरण यहां पढ़ सकते हैं-  

रायसाहब का जवाब नहीं!

मैंने राम बहादुर राय के साथ काफी लंबा वक्त बिताया है। वे जनसत्ता में हमारे वरिष्ठ थे और ब्यूरो चीफ भी थे। कुछ लोग कहते थे कि उनके तार संघ के साथ जुड़े हुए हैं। वे आपातकाल की घोषणा होने के बाद मीसा के तहत गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति बताए जाते हैं। संघ के लिए उन्होंने उत्तर पूर्व में काफी काम किया और पत्रकारिता में काफी देर से संभवतः 1980 के दशक में आए। इसके बावजूद उनका समाजवादियों के साथ घनिष्ठ संबंध रहा।

वे अनेक समाजवादी नेताओं के करीबी रहे। इनमें चंद्रशेखर भी शामिल थे। सच कहे तो दिवंगत प्रभाष जोशी व चंद्रशेखर के संबंधों में आई कटुता को दूर करने में राय साहब का काफी योगदान रहा। वैसे वे गांधीवादियों के भी काफी करीब थे व गांधी शांति प्रतिष्ठान में उनकी काफी पैठ थी। जब प्रभाष जी नहीं रहे तो उनके अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर गांधी शांति प्रतिष्ठान में ही रखा गया था। राय साहब की सबसे बड़ी विशेषता उनकी स्पष्टवाहिता रही है। वे किसी के सामने कुछ भी कह सकते हैं। जैसे कि अगर कोई व्यक्ति दिल्ली के बाहर से उनसे मिलने आता और जनसत्ता के दफ्तर में घंटों बैठ कर उनका इंतजार करता तो राय साहब दफ्तर पहुंचने पर उसकी नमस्ते का जवाब देने के बाद सीधे पूछते कहिए कैसे आना हुआ है? वह जवाब देता कि दर्शन करने आया था। इस पर अगर राय साहब का मूड ठीक नहीं होता अथवा उन्हें काम करना होता तो उससे कहते दर्शन कर लिए क्याअब चलिए मुझे काम करना है।

एक बार जब इंडियन एक्सप्रेस के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की बात सोच रहे थे तो जनरल मैनेजर के साथ हम लोगों की बैठक हुई जिसमें राय साहब भी मौजूद थे। उन्होंने चर्चा के बीच में कह दिया कि हड़ताल जरूर करनी चाहिए इससे लोकतंत्र मजबूत होता है। सशक्त लोकतंत्र के लिए हड़ताल जरूरी होती है। वे अपने मन से काम करते थे। उनकी व प्रभाष जोशी की जोड़ी गजब की थी। दोनों ही काफी मस्त मौला थे।

अक्सर वे दोनों कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए एक साथ जाते थे व आपसी बातचीत में इतने मशगूल हो जाते कि ट्रेन या हवाई जहाज छूट जाता। प्रभाषजी कट्टर गांधीवादी व संघ भाजपा विरोधी थे जबकि रायसाहब संघी थे उसके बावजूद दोनों के बीच का लगाव काबिले तारीफ था। फक्कड़बाजी ही दोनों के व्यक्तित्व का ऐसा हिस्सा रही जो कि उन्हें आपस में जोड़ती थी। राय साहब की फक्कड़बाजी देखने काबिल थी।

जब अपने कैबिन में आते तो पहले कागज से अपना चश्मा साफ करते और फिर अपनी मेज खुद साफ करते। उसके बाद उनका दरबार लगता। हम लोग उन्हें घेर कर बैठ जाते और वो अपनी अलमारी से डब्बा निकालते जिसमें लइचा-चना, मूंगफली का मिश्रण भरा होता। हम सब उसे खाते। दुनिया भर की चर्चा होती व ब्यूरो की मीटिंग समाप्त हो जाती।

उनकी दो खूबियां रही। पहली यह कि उन्होंने कभी किसी संवाददाता पर दबाव डाल कर उससे कुछ करने को नहीं कहा। दूसरी यह कि कभी किसी को यह जताने की कोशिश नहीं कि वे बॉस है। जैसे कि जब जनसत्ता ब्यूरो बना तो उसकी पहली बैठक उनके घर पर हुई। मैं तो सोच रहा कि उसमें रिपोर्टिंग पर चर्चा होगी। मगर आनंद ने मुझे सुबह अपनी वैन लेकर आने का हुक्म दिया ताकि हम लोग दरियागंज स्थित सब्जी मंडी जाकर सब्जियां खरीद लाए। हम सभी साथी राय साहब के घर पर एकत्र हुए वहां खाना व नाश्ता बनाने का सिलसिला शुरू हुआ। आनंदजी ने राजेश जोशी को कुछ मसाले आदि लाने की जिम्मेदारी सौंपी। उसमें कुछ इस प्रकार लिखा था कि गाय छाप पोला रंग- केसर दो रत्ती, हींग-पांच माशा।

बाद में राजेश जोशी ने हमें बताया कि जब वह पंसारी की दुकान पर पहुंचा और उसने यह सामान मांगा तो दुकानदार ने पूछा कि यह सामान किसने मंगवाया है? उसने कहा कि हमारे ब्यूरो चीफ है। जवाब में आंखें फैलाते हुए आश्चर्य के साथ कहा कि यह ब्यूरो चीफ है या पंसारी? राय साहब के भतीजे का अगले दिन इम्तहान था इसके बावजूद उसे भी पढ़ाई छोड़ कर आलू छीलने के काम में लगना पड़ा। दोपहर चार बजे हम लोगों ने खाना खाया और ब्यूरो की पहली बैठक अचार, चटनी, भरवा टमाटर पर चर्चा करने के साथ समाप्त हो गई। पत्रकारिता की कमी में एक भी शब्द नहीं बोला गया।

राहुल देव संपादक बने। वे काफी अनुशासनप्रिय थे व रोज ब्यूरो की बैठक करने में विश्वास रखते थे। उनकी तुलना में राय साहब तो समाजवादी थे। वे अपने पीए मनोहर को अपनी कुर्सी पर बैठा देते और खुद स्टूल या उसकी कुर्सी पर बैठकर उससे अपना लेख टाइप करवाते। एक बार हम लोग रायसाहब के कमरे में बैठे हुए, राहुलदेव की मीटिंग में जाने का इंतजार कर रहे थे। उनका चपरासी दो बार याद दिला चुका था कि वे हमारा इंतजार कर रहे हैं।  मगर रायसाहब ने दोनों ही बार कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई। करीब 10 मिनट बाद राहुल देव उनके कैबिन में आए। हम लोग उन्हें देखकर उठ खड़े हुए व रायसाहब ने मनोहर को बैठे रहने का इशारा करते हुए अपना डिक्टेशन जारी रखा। राहुलदेव का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। उन्होंने कहा कि रायसाहब मैं मीटिंग के लिए आप लोगों का इंतजार कर रहा था।

उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और पीछे मुड़कर अपनी अलमारी खोली। नमकीन का डिब्बा बाहर निकाला और उसे खोलकर उनकी ओर आगे बढ़ाते हुए बोले आप इसे चखिए। लाल मुनि चौबे कहा करते थे कि इसमें कच्ची मूंगगफली के दाने मिलाकर खाने से दिमाग तेज होता है। फिर मनोहर की और मुड़कर बोले, मनोहरजी मैं क्या लिखवा रहा था। राहुलजी के लिए तो यह इंतहा थी वे दमदमाते हुए कमरे से बाहर निकले और हम सब लोग चना चबेने का आनंद लेने लगे।

मुझे यह सब लिखने की जरूरत इसलिए महसूस हुई कि जब मोदी सरकार ने रायसाहब को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला का अध्यक्ष बनाया तो मुझे लगा कि बेहतर होता कि उन्हें मास कम्युनिकेशन संस्थान का प्रभारी बनाया जाता, क्योंकि किसी को आदेश देना या प्रशासन चलाना तो राय साहब की आदत में शुमार ही नहीं है। इसलिए जब नीलम गुप्ता ने बताया कि इला भट्ट की पुस्तक का उन्होंने जो अनुवाद किया है उसका विमोचन इसी संस्था में हो रहा है तो मैंने सोचा कि क्यों न वहां जाकर देखूं कि क्या रायसाहब में कोई बदलाव आया है। वे कैसे प्रशासन चला रहे हैं। जब अध्यक्ष मंच पर मौजूद हो व यह भवन एनडीएमसी इलाके में स्थित हो फिर भी कार्यक्रम के दौरान एयर कंडीशनर बंद हो जाए व पसीने में भीगते हुए भाषण सुनने पड़े तो हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर ओम थानवी इसके अध्यक्ष होते तो ऐसी गलती होने पर दो-चार की नौकरी ले लेते। मगर यहां सब चलता रहा।

पहले नीलम गुप्ता ने अपने भाषण में मोदी सरकार को निशाना बनाते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी नहीं बल्कि लोग स्मार्ट होते हैं। और फिर रायसाहब ने तो अपनी आदत के मुताबिक उस सरकार को ही धो डाला जिसने उन्हें इस पद पर बैठाया था। उन्होंने कहा कि मैं एक किस्सा सुनाता हूं। चाहे इंदिरा गांधी सरीखी सम्राज्ञी रही हो या आज के सम्राट, इला भट्ट जब एक बार लंबी यात्रा के बाद इंदिरा गांधी से मिलने गई तो उन्होंने उनसे कहा कि मैं आपके लिए एक छोटी से भेंट लेकर आई हूं। इंदिराजी ने पूछा क्या है तो उन्होंने कहा कि यह एक आईना है। इसमें आप खुद को देखती रहिएगा। मौजूदा सम्राट को भी खुद के आइने में देखते रहना चाहिए। इन शब्दों में उन्होंने जो कटाक्ष किया वह कटाक्ष तो विपक्ष आलोचना के 10 संस्करण लिख करके भी नहीं कर सकता। सच रायसाहब आपका जवाब नहीं।

(साभार: नया इंडिया)


समाचार4मीडिया.कॉम देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया में हम अपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


टैग्स
सम्बंधित खबरें

‘भारत की निडर आवाज थे सरदार वल्लभभाई पटेल’

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन ऐसी विजयों से भरा था कि दशकों बाद भी वह हमें आश्चर्यचकित करता है। उनकी जीवन कहानी दुनिया के अब तक के सबसे महान नेताओं में से एक का प्रेरक अध्ययन है।

10 hours ago

भारत और चीन की सहमति से दुनिया सीख ले सकती है: रजत शर्मा

सबसे पहले दोनों सेनाओं ने डेपसांग और डेमचोक में अपने एक-एक टेंट हटाए, LAC पर जो अस्थायी ढांचे बनाए गए थे, उन्हें तोड़ा गया। भारत और चीन के सैनिक LAC से पीछे हटने शुरू हो गए।

2 days ago

दीपावली पर भारत के बही खाते में सुनहरी चमक के दर्शन: आलोक मेहता

आने वाले वर्ष में इसके कार्य देश के लिए अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की नींव रख सकते हैं।

2 days ago

अमेरिकी चुनाव में धर्म की राजनीति: अनंत विजय

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार हो रहे हैं। डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है।

2 days ago

मस्क के खिलाफ JIO व एयरटेल साथ-साथ, पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

मुकेश अंबानी भी सेटेलाइट से इंटरनेट देना चाहते हैं लेकिन मस्क की कंपनी तो पहले से सर्विस दे रही है। अंबानी और मित्तल का कहना है कि मस्क को Star link के लिए स्पैक्ट्रम नीलामी में ख़रीदना चाहिए।

1 week ago


बड़ी खबरें

'जागरण न्यू मीडिया' में रोजगार का सुनहरा अवसर

जॉब की तलाश कर रहे पत्रकारों के लिए नोएडा, सेक्टर 16 स्थित जागरण न्यू मीडिया के साथ जुड़ने का सुनहरा अवसर है।

51 minutes from now

‘Goa Chronicle’ को चलाए रखना हो रहा मुश्किल: सावियो रोड्रिग्स

इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म पर केंद्रित ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ‘गोवा क्रॉनिकल’ के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ सावियो रोड्रिग्स का कहना है कि आने वाले समय में इस दिशा में कुछ कठोर फैसले लेने पड़ सकते हैं।

4 hours from now

रिलायंस-डिज्नी मर्जर में शामिल नहीं होंगे स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल 

डिज्नी इंडिया में स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल ने रिलायंस और डिज्नी के मर्जर के बाद बनी नई इकाई का हिस्सा न बनने का फैसला किया है

5 minutes from now

फ्लिपकार्ट ने विज्ञापनों से की 2023-24 में जबरदस्त कमाई

फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।

1 day ago

क्या ब्रॉडकास्टिंग बिल में देरी का मुख्य कारण OTT प्लेटफॉर्म्स की असहमति है?

विवादित 'ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल' को लेकर देरी होती दिख रही है, क्योंकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय को हितधारकों के बीच सहमति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

23 hours ago