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रवीश कुमार की तीखी टिप्पणी: पत्रकार शलभमणि त्रिपाठी बच गए कि वो बीजेपी में गए हैं वरना...

<p style="text-align: justify;">'हफ्ता भर पहले IBN 7 न्यूज चैनल से भाजपा में आए शलभमणि का नाम 27 प्रवक्ताओं की सूची में पहले नंबर पर है। हर किसी को चुनावी राजनीति में किस्मत आज़मानी चाहिए। कोई पत्रकार ग़ैर भाजपा दलों में जाता तो उनके पीछे अनगिनत ऑनलाइन मच्छर छोड़ दिये जाते। ऑनलाइन गैंग वॉट्सऐप की दुनिया में बवाल मचा देता कि पहले पत्रकारिता बेच रहे

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

'हफ्ता भर पहले IBN 7 न्यूज चैनल से भाजपा में आए शलभमणि का नाम 27 प्रवक्ताओं की सूची में पहले नंबर पर है। हर किसी को चुनावी राजनीति में किस्मत आज़मानी चाहिए। कोई पत्रकार ग़ैर भाजपा दलों में जाता तो उनके पीछे अनगिनत ऑनलाइन मच्छर छोड़ दिये जाते। ऑनलाइन गैंग वॉट्सऐप की दुनिया में बवाल मचा देता कि पहले पत्रकारिता बेच रहे थे, अब उस पार्टी का माल बेचेंगे।' अपने ब्लॉग ‘कस्बा’ के जरिए ये कहा वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कुमार ने। उनका पूरा आलेख आप यहां पढ़ सकते हैं:

ब्राह्मण प्रवक्ता पार्टी !

उत्तर प्रदेश भाजपा ने प्रवक्ताओं की सूची जारी की है। इसमें चार श्रेणियों के लिए 27 प्रवक्ताओं के नाम हैं। ये श्रेणियां हैं, प्रदेश प्रवक्ता, प्रदेश मीडिया संपर्क प्रमुख, प्रदेश मीडिया सहप्रभारी और मीडिया पैनल। प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने अपने दस्तख़त से इन नामों को जारी किया है।

मैं इन नामों को सरनेम के हिसाब से देखने लगा। सिंह सरनेम को लेकर चूक हो सकती है क्योंकि कई जाति के लोग सिंह सरनेम रखते हैं। इसे बाद में सुधार कर लिया जाएगा लेकिन सिंह को मुख्य रूप से ठाकुर मान लें तो इस सूची में सवर्ण ही ज़्यादा हैं। चोटी की तीन श्रेणियों के सभी 12 प्रवक्ता सवर्ण हैं। 27 प्रवक्ताओं में से 10 प्रवक्ता ब्राह्मण हैं। आप सूची देखेंगे तो मिश्रा, दुबे, शुक्ला, दीक्षित और त्रिपाठी सरनेम का बोलबाला है। यह सरनेम बताते हैं कि पार्टी में किस जाति के लोग सहज रूप से फलते फूलते हैं।

दूसरी सवर्ण जातियों में कायस्थ और राजपूत हैं। इनकी संख्या सात है, जैसा कि मैंने कहा कि सिंह सरनेम को लेकर चूक हो सकती है और कुछ नामों का पता ही नहीं चला। सत्ताईस प्रवक्ताओं में 17 सवर्ण ही हुए,जिनमें ब्राह्मण सबसे अधिक हैं।

27 प्रवक्ताओं में दो महिलाएं हैं। श्रीमती अनिला सिंह और बरेली की डॉक्टर दीप्ति भारद्वाज। दीप्ति भारद्वाज भी ब्राह्मण प्रतीत होती हैं। अगर सही है तो 27 प्रवक्ताओं में ब्राह्मण प्रवक्ताओं की संख्या 11 तक पहुंचती लगती है। मीडिया पैनल यानी टीपी की बहसों में जाने वाले 15 प्रवक्ताओं की श्रेणी में एक नाम जाटव समाज से है। बुलंदशहर के मुंशीलाल गौतम। गौतम अच्छे नेता और प्रवक्ता माने जाते हैं। दो नाम कोरी समाज से है। देवेश कोरी और बृजलाल कोरी। मथुरा के भुवनभूषण कोमल नाई समाज से आते हैं। अब क्या इस पर ख़ुश होना पड़ेगा कि चलो कृपा तो हुई, मौका तो दिया! देखना है कि टीवी की बहसों में जाटव, कोरी और नाई समाज के नेताओं को कितना बुलाया जाता है या वे नाम के लिए ही हैं। पार्टी ही तय करती है कि किस चैनल में कौन प्रवक्ता जाएगा।

मीडिया पैनल में ग़ाज़ियाबाद के रूप चौधरी का नाम है। रूप मीडिया का काम करते रहे हैं और अच्छे प्रवक्ता है। रूप चौधरी जाट समाज से आते हैं। इनसे मिलने का मौका मिला है और घोर राजनीतिक हैं। दफ़्तरी प्रवक्ता नहीं है। एक मुसलमान हैं। पूर्व क्रिकेटर मोहसिन रज़ा। मोहसिन रज़ा तो टीवी प्रादेशिक स्टुडियो में जाते भी रहे हैं। रज़ा कभी राजनाथ सिंह को माला पहनाते दिखते हैं तो कभी स्मृति ईरानी का स्वागत करते हुए। मौर्य के साथ तो दिखते ही हैं। सक्रिय नेता हैं।

हफ्ता भर पहले IBN 7 न्यूज चैनल से भाजपा में आए शलभमणि का नाम 27 प्रवक्ताओं की सूची में पहले नंबर पर है। हर किसी को चुनावी राजनीति में किस्मत आज़मानी चाहिए। कोई पत्रकार ग़ैर भाजपा दलों में जाता तो उनके पीछे अनगिनत ऑनलाइन मच्छर छोड़ दिये जाते। ऑनलाइन गैंग वॉट्सऐप की दुनिया में बवाल मचा देता कि पहले पत्रकारिता बेच रहे थे, अब उस पार्टी का माल बेचेंगे। दलाल वग़ैरह कहना तो छोटी मोटी बात हो गई है। शलभ का प्रवक्ताओं की सूची में पहले नंबर पर आना भाजपा और संघ को लेकर रचे गए कई मिथकों को तोड़ता है। यही कि संगठन है, विचारधारा है, ट्रेनिंग है। एक से एक प्रवक्ता हैं। अगर ऐसा है तो हफ्ता भर पहले आया शख्स अव्वल कैसे आ गया? शलभमणि को बधाई और शुभकामनायें। चाहूंगा कि वे चुनाव लड़ें और जीतें और जब दूसरा पत्रकार ग़ैर भाजपा दल में जाए तो ऑनलाइन गैंग से मुक़ाबला करें कि वे उन्हें दलाल न कहें। शलभ बच गए कि वो बीजेपी में गए हैं वरना उनका सोशल मीडिया पर उनकी ही पार्टी के समर्थक बुरा हाल कर देते। लगता है कि मीडिया को तटस्थता सीखाने वाला दल न्यू ईयर की पार्टी मना रहा है! गुड लक शलभ।

कांग्रेस और सपा की तरफ से ऐसी सूची जारी हुई तो उनका भी इसी तरह विश्लेषण करुंगा। बसपा इस तरह की कोई सूची जारी नहीं करती है। भाजपा की यह सूची काफी कुछ कहती है। प्रवक्ता ही पार्टी के दैनिक और सार्वजनिक चेहरे होते हैं। भाजपा में पिछड़े और अति पिछड़े नेतृत्व पर ज़ोर दिया जा रहा है। चुनाव जीतने के लिए इस तबके के नेताओं को खूब टिकिट भी दिये जा रहे हैं। जब इस तबके से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार मिल जाते हैं तो प्रवक्ता क्यों नहीं मिल सकते हैं? प्रदेश अध्यक्ष ख़ुद अति पिछड़ा समाज से हैं। प्रधानमंत्री पिछड़े तबके से हैं। चुनाव में उम्होंने ही बताया था कि वे पिछड़े तबके से है। नेता मिल जाता है मगर प्रवक्ता नहीं। ये सूची भारतीय जनता पार्टी की कम ब्राह्मण प्रवक्ता पार्टी की ज़्यादा लगती है।

(साभार: ‘कस्बा’ ब्लॉग से) समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


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