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मोदी की लहर तो कभी की उतर चुकी है वरना ये दिन नहीं देखने पड़ते: डॉ. वैदिक
डॉ. वेदप्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार ।। जीत के जादू का भुलावा चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में भाजपा की प्रचंड विजय पर भाजपा अध्यक्ष का सीना फूलकर 56 इंच का हो जाए तो इसमें आश्चर्य क्या है? पिछले डेढ़ माह में नोटबंदी ने सरकार की हालत खस्ता कर दी है कि 56 इंच का सीना
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago
डॉ. वेदप्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार ।। जीत के जादू का भुलावा
चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में भाजपा की प्रचंड विजय पर भाजपा अध्यक्ष का सीना फूलकर 56 इंच का हो जाए तो इसमें आश्चर्य क्या है? पिछले डेढ़ माह में नोटबंदी ने सरकार की हालत खस्ता कर दी है कि 56 इंच का सीना सिकुड़कर 6 इंच का रह गया था। अब चंडीगढ़ ने इस सीने में दुबारा काफी हवा भर दी है। 26 में से 21 सीटें भाजपा की झोली में आ गई हैं। कांग्रेस के पल्ले सिर्फ चार सीटें पड़ीं। उनमें से भी तीन महिलाओं ने जीती हैं। इतनी जबर्दस्त जीत पिछले कई वर्षों में किसी पार्टी को नहीं मिली। 1996 में बनी इस नगर निगम पर यह पहली इतनी बड़ी फतेह है।
इस जीत को अमित शाह नोटबंदी की जीत बता रहे हैं। इसके पहले गुजरात और महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों में जो भाजपा की जीत हुई, क्या वह भी नोटबंदी की वजह से हुई? यदि मोदी और अमित शाह ऐसा ही मानेंगे तो मुझे कहना पड़ेगा कि वे कछुए की पीठ पर पांव रखकर दौड़ रहे हैं। ये स्थानीय चुनाव हैं। इनमें अक्सर स्थानीय मुद्दे और स्थानीय हित ही प्रधान होते हैं। मतदाताओं की सोच यह होती है कि वोट उसी पार्टी को दें, जिसकी राज्य में भी सरकार हो ताकि नगर निगम या नगरपालिका को राज्य सरकार पर्याप्त संसाधन उपलब्ध करवा सके। इस तत्व ने ही गुजरात, महाराष्ट्र और चंडीगढ़ में अपना जादू दिखाया। चंडीगढ़ तो केंद्र-प्रशासित क्षेत्र है। इसीलिए तो इस जादू को सिर पर चढ़कर बोलना था। यदि इस जादू के भुलावे में भाजपा फंस गई तो उसे उत्तरप्रदेश और पंजाब में बुरे दिन देखने पड़ सकते हैं।
इसमें शक नहीं कि अभी मोदी-सरकार से जनता का पूर्ण मोहभंग नहीं हुआ है। नोटबंदी के अत्याचारों को वह धैर्यपूर्वक झेल रही है लेकिन महीने-दो-महीने बाद हालात पर काबू करना कठिन होगा। मोदी की लहर तो कभी की उतर चुकी है। वरना बिहार, बंगाल और उनके पहले दिल्ली में भाजपा को दुर्दिन क्यों देखने पड़ते? चंडीगढ़ की विजय को नोटबंदी की विजय मानना अफीम की गोली खाकर मस्त हो जाना है। उम्मीद है कि भाजपा के जागरुक कार्यकर्ता अपने नेताओं की इन गोलियों को सम्हलकर निगलेंगे।
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