होम / विचार मंच / 'किराए की कोख के चक्कर में कांग्रेस तो गच्चा खा गई'

'किराए की कोख के चक्कर में कांग्रेस तो गच्चा खा गई'

पीयूष बबेले वरिष्ठ पत्रकार ।। किराए की कोख के चक्कर में मारी गई कांग्रेस समाजवादी पार्टी ने अपने 191 प्रत्याशियों की सूची जारी कर कांग्रेस को पूरी तरह बर्बा

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

पीयूष बबेले

वरिष्ठ पत्रकार ।।

किराए की कोख के चक्कर में मारी गई कांग्रेस

समाजवादी पार्टी ने अपने 191 प्रत्याशियों की सूची जारी कर कांग्रेस को पूरी तरह बर्बाद होने की राह पर धकेल दिया है। सहारनपुर, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर और मथुरा जैसे जिलों में कई सीटों पर कांग्रेस की अच्छी दावेदारी थी और कई सीटों पर अपने विधायक थे। लेकिन इन सब सीटों पर सपा के नए बॉस अखिलेश यादव ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। यह फैसला जानबूझकर इतनी देर से किया गया कि कांग्रेस के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। कहने को पार्टी अब भी अपने प्रत्याशी खड़े कर सकती है, लेकिन असल में उनमें न अब जोश होगा और न उनके प्रति जनता में ही कोई खास उत्साह दिखेगा।

दरअसल कांग्रेस पूरी तरह समाजवादी पार्टी के हाथों में खेल गई और अखिलेश ने अपने पिता की ही तरह चौंकाने वाली राजनीति कर दी। कांग्रेस ने उस एहतियात को बरतना उचित नहीं समझा, जिसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पिछले 20 साल से बरततीं आ रहीं थी। वह एहतियात था समाजवादी पार्टी से या तो कोई रिश्ता न रखना, या फिर रखना तो अपनी शर्तों पर रखना।

कांग्रेस के हाल पर नजर डालें तो अगस्त से पार्टी ‘27 साल यूपी बेहाल’ के नारे के साथ चली थी। राहुल गांधी ने एक महीने तक गांव-गांव घूमकर लोगों से संवाद किया था और किसानों से कर्ज माफी का सीधा वादा किया था। इस यात्रा से बहुत से ऐसे स्थानीय नेता कांग्रेस की तरफ आकर्षित हुए थे, जिन्हें बाकी दलों में सम्मानजनक जगह नहीं मिल पा रही थी। इसके अलावा सुस्त पड़े कांग्रेसी भी मैदान में आने लगे थे।

लेकिन जब यह मूमेंटम बढ़ने लगा तभी अखिलेश की ओर से गठबंधन की बातें उछाली गईं। सपा से गठबंधन के धुर विरोधी प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री को हटा दिया गया। उनकी जगह पुराने समाजवादी राज बब्बर को कांग्रेस की कमान मिली। घटनाक्रम पर नजर रखने वाले जानते हैं कि शुरुआती मेहनत के बाद प्रशांत किशोर का मन भी बदल गया था। इसके बाद पीके, राज बब्बर, गुलाम नबी आजाद और संजय सिंह ने अपना मन गठबंधन के पक्ष में बना लिया था।

इन लोगों के दबाव में अतत: राहुल गांधी भी गठबंधन के पक्ष में झुक गए। जिस दिन प्रशांत किशोर लंबी कार से मुलायम सिंह के दिल्ली वाले घर से बाहर निकलते दिखे, उसी दिन से कांग्रेसियों के हौसले पस्त पडऩे लगे। और जैसे चुनाव पास आता गया कांग्रेस और जनता ने यह मान लिया कि गठबंधन हो रहा है। ऐसे में तमाम कांग्रेस प्रत्याशी और कार्यकर्ता घर बैठ गए। सिर्फ वही कांग्रेसी खुश रहे जिन्हें टिकट की उम्मीद थी। इस प्रक्रिया में सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ कि हर चुनाव से पहले कांग्रेस को जनाधार वाले ऐसे 20-25 लोग मिल जाते थे, जो बाकी पार्टियों से निराश होते थे और वक्ती जरूरत के तौर पर कांग्रेस में आ जाते थे। इन लोगों की जीत से ही कांग्रेस को 25-30 विधानसभा सीटें पिछले 25 साल से मिल रही थीं, लेकिन जब दो महीने पहले से कांग्रेस गठबंधन के भंवर में फंस गई तो ऐसे लोग भी कांग्रेस को नहीं मिले।

अब हालत यह है कि कांग्रेस के बुझे हुए प्रत्याशी, झुके हुए कंधों के साथ मैदान में आएंगे। हो सकता है यूपी विधानसभा में कांग्रेस अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन करे। यह असर यहीं खत्म हो जाता तो भी गनीमत थी, लेकिन यह 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना असर दिखाएगा। क्योंकि प्रशांत किशोर की टीम ने जिन हजारों टिकटार्थियों के दो महीने तक लाखों रुपये खर्च कराए और बाद में उन्हें घनघोर निराशा में ला पटका, वे 2019 में कांग्रेस का पल्ला थामने से पहले हजार बार सोचेंगे। जमीनी लड़ाई छोडक़र किराए की कोख के मोह में फंसी कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ा गच्चा खा गई है।

समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


टैग्स
सम्बंधित खबरें

‘भारत की निडर आवाज थे सरदार वल्लभभाई पटेल’

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन ऐसी विजयों से भरा था कि दशकों बाद भी वह हमें आश्चर्यचकित करता है। उनकी जीवन कहानी दुनिया के अब तक के सबसे महान नेताओं में से एक का प्रेरक अध्ययन है।

6 hours ago

भारत और चीन की सहमति से दुनिया सीख ले सकती है: रजत शर्मा

सबसे पहले दोनों सेनाओं ने डेपसांग और डेमचोक में अपने एक-एक टेंट हटाए, LAC पर जो अस्थायी ढांचे बनाए गए थे, उन्हें तोड़ा गया। भारत और चीन के सैनिक LAC से पीछे हटने शुरू हो गए।

1 day ago

दीपावली पर भारत के बही खाते में सुनहरी चमक के दर्शन: आलोक मेहता

आने वाले वर्ष में इसके कार्य देश के लिए अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की नींव रख सकते हैं।

1 day ago

अमेरिकी चुनाव में धर्म की राजनीति: अनंत विजय

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार हो रहे हैं। डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है।

1 day ago

मस्क के खिलाफ JIO व एयरटेल साथ-साथ, पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

मुकेश अंबानी भी सेटेलाइट से इंटरनेट देना चाहते हैं लेकिन मस्क की कंपनी तो पहले से सर्विस दे रही है। अंबानी और मित्तल का कहना है कि मस्क को Star link के लिए स्पैक्ट्रम नीलामी में ख़रीदना चाहिए।

1 week ago


बड़ी खबरें

'जागरण न्यू मीडिया' में रोजगार का सुनहरा अवसर

जॉब की तलाश कर रहे पत्रकारों के लिए नोएडा, सेक्टर 16 स्थित जागरण न्यू मीडिया के साथ जुड़ने का सुनहरा अवसर है।

4 hours from now

रिलायंस-डिज्नी मर्जर में शामिल नहीं होंगे स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल 

डिज्नी इंडिया में स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल ने रिलायंस और डिज्नी के मर्जर के बाद बनी नई इकाई का हिस्सा न बनने का फैसला किया है

4 hours from now

फ्लिपकार्ट ने विज्ञापनों से की 2023-24 में जबरदस्त कमाई

फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।

19 hours ago

क्या ब्रॉडकास्टिंग बिल में देरी का मुख्य कारण OTT प्लेटफॉर्म्स की असहमति है?

विवादित 'ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल' को लेकर देरी होती दिख रही है, क्योंकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय को हितधारकों के बीच सहमति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

19 hours ago

ZEE5 ने मनीष कालरा की भूमिका का किया विस्तार, सौंपी अब यह बड़ी जिम्मेदारी

मनीष को ऑनलाइन बिजनेस और मार्केटिंग क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है और उन्होंने Amazon, MakeMyTrip, HomeShop18, Dell, और Craftsvilla जैसी प्रमुख कंपनियों में नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाई हैं।

11 hours ago