होम / विचार मंच / 'हम अफवाहों के अराजक जनतंत्र में घुस आए हैं, जहां कोई कुछ भी बोलने को आजाद है...'

'हम अफवाहों के अराजक जनतंत्र में घुस आए हैं, जहां कोई कुछ भी बोलने को आजाद है...'

जिस सर्वोच्च न्यायालय ने दो वर्ष पहले सोशल मीडिया की गाली-गलौज को नजरअंदाज करते हुए आईटी ऐक्ट...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

जब भी कोई नया मीडिया आता है, वह अपने साथ कुछ अच्छाइयां और कुछ अनिवार्य बुराइयां लेकर आता है। समाज और सरकारों का यह दायित्व बनता है कि वे इसके दुष्प्रभावों से बचने की तैयारी करें।हिंदी दैनिक अखबार अमर उजाला में छपे अपने आलेख के जरिए ये कहा वरिष्ठ पत्रकार व जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के प्रोफेसर गोविंद सिंह का। उनका ये आलेख आप यहां पढ़ सकते हैं-

खबरों पर झूठ का साया

जिस सर्वोच्च न्यायालय ने दो वर्ष पहले सोशल मीडिया की गाली-गलौज को नजरअंदाज करते हुए आईटी ऐक्ट की धारा 66-ए को खारिज किया था, आज उसी अदालत को लग रहा है कि सोशल मीडिया पर नकेल जरूरी है। सर्वोच्च अदालत को लगता है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है। उनके जरिये गलत सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं, झूठी खबरें परोसी जा रही हैं, दूसरों के खिलाफ आक्रामक और भद्दी टिप्पणियां की जा रही हैं। निजता का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।

सरकारों ने, कंपनियों ने, राजनेताओं ने और राजनीतिक दलों ने अपने बारे में सकारात्मक और विरोधियों के बारे में नकारात्मक खबरें देने के लिए विशेषज्ञ रख छोड़े हैं। फर्जी कंटेंट लेखकों और हैंडलरों की एक नई फौज खड़ी हो गई है, जिनका काम ही अफवाहें और भ्रामक खबरें फैलाना है। उच्चतम न्यायालय ने चिंता जताते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर नकेल के लिए नियम बनाना जरूरी हो गया है। वास्तव में न्यायपालिका के बजाय विधायिका को इस संबंध में पहल करनी चाहिए।

सोशल मीडिया के जरिये अपने मन की भड़ास निकाल लेना कुछ हद तक समझ में आता है, लेकिन जिस तरह से आज सोशल मीडिया अफवाहों, झूठी खबरों और चरित्र हनन का अखाड़ा बन गया है, उससे सोशल मीडिया के अस्तित्व पर ही प्रश्न-चिह्न लग रहा है। ऐसा लगता है कि कोई कुछ भी बकने को स्वतंत्र है, किसी पर भी कीचड़ उछालने, चरित्र हनन करने का लाइसेंस मिल गया है। व्यक्तियों से ऊपर उठकर अब वे जातियों, संप्रदायों और धर्मों के बीच नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। शीर्ष पुरुषों के खिलाफ ही नहीं, वे देवी-देवताओं तक पर कीचड़ उछालने से नहीं डरते। राजनीतिक रंजिश का बेहद घृणित रूप सामने आ रहा है। यहां तक कि अदालतों व न्यायाधीशों को भी बख्शा नहीं जाता। तथ्यात्मक सूचना, प्रचार सामग्री और विज्ञापन के बीच भेद कर पाना मुश्किल हो रहा है। लग रहा है, जैसे हम अफवाहों के अराजक जनतंत्र में घुस आए हों, जहां कोई भी कुछ भी बोलने को आजाद है। ऐसा करके सोशल मीडिया अपने लिए खुद खाई खोद रहा है।

दुर्भाग्य यह है कि पारंपरिक मीडिया पर भी इसका असर पड़ रहा है। जब भी कोई नया मीडिया आता है, वह अपने साथ कुछ अच्छाइयां और कुछ अनिवार्य बुराइयां लेकर आता है। समाज और सरकारों का यह दायित्व बनता है कि वे इसके दुष्प्रभावों से बचने की तैयारी करें। पश्चिमी देशों, जहां से इन माध्यमों का उद्भव हुआ, ने समय रहते अपने समाज के लिए उनके तोड़ भी तलाश लिए। चीन जैसे देश ने उन पर या तो प्रतिबंध लगा दिया या मजबूत फिल्टर खड़े कर दिए। हम बहुत देर में जागते हैं, वह भी विधायिका की बजाय न्यायपालिका।

कहा जा रहा है कि देश में मोबाइल फोनों की संख्या एक अरब पार कर गई है। इंटरनेटयुक्त स्मार्टफोनों की संख्या 70 करोड़ से कम न होगी। यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। मुट्ठी भर जागरूक लोगों को छोड़ दिया जाए, तो बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो छपे शब्द को ब्रह्मवाक्य मानते हैं। वे अफवाहों पर भरोसा करते और झूठी खबरों को सत्य मान लेते हैं। ग्रामीण जनता के लिए सत्य-असत्य में भेद कर पाना मुश्किल होता है। फेसबुक या ट्विटर के संचालकों ने कुछ प्रयास किए हैं। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वे अंततः व्यापारी हैं। असली जिम्मेदारी हमारी है। झूठ और नफरत का कारोबार हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा।

(लेखक जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के प्रोफेसर हैं)


समाचार4मीडिया.कॉम देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया में हम अपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


टैग्स
सम्बंधित खबरें

‘भारत की निडर आवाज थे सरदार वल्लभभाई पटेल’

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन ऐसी विजयों से भरा था कि दशकों बाद भी वह हमें आश्चर्यचकित करता है। उनकी जीवन कहानी दुनिया के अब तक के सबसे महान नेताओं में से एक का प्रेरक अध्ययन है।

14 hours ago

भारत और चीन की सहमति से दुनिया सीख ले सकती है: रजत शर्मा

सबसे पहले दोनों सेनाओं ने डेपसांग और डेमचोक में अपने एक-एक टेंट हटाए, LAC पर जो अस्थायी ढांचे बनाए गए थे, उन्हें तोड़ा गया। भारत और चीन के सैनिक LAC से पीछे हटने शुरू हो गए।

2 days ago

दीपावली पर भारत के बही खाते में सुनहरी चमक के दर्शन: आलोक मेहता

आने वाले वर्ष में इसके कार्य देश के लिए अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की नींव रख सकते हैं।

2 days ago

अमेरिकी चुनाव में धर्म की राजनीति: अनंत विजय

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार हो रहे हैं। डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है।

2 days ago

मस्क के खिलाफ JIO व एयरटेल साथ-साथ, पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

मुकेश अंबानी भी सेटेलाइट से इंटरनेट देना चाहते हैं लेकिन मस्क की कंपनी तो पहले से सर्विस दे रही है। अंबानी और मित्तल का कहना है कि मस्क को Star link के लिए स्पैक्ट्रम नीलामी में ख़रीदना चाहिए।

1 week ago


बड़ी खबरें

'जागरण न्यू मीडिया' में रोजगार का सुनहरा अवसर

जॉब की तलाश कर रहे पत्रकारों के लिए नोएडा, सेक्टर 16 स्थित जागरण न्यू मीडिया के साथ जुड़ने का सुनहरा अवसर है।

3 hours ago

‘Goa Chronicle’ को चलाए रखना हो रहा मुश्किल: सावियो रोड्रिग्स

इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म पर केंद्रित ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ‘गोवा क्रॉनिकल’ के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ सावियो रोड्रिग्स का कहना है कि आने वाले समय में इस दिशा में कुछ कठोर फैसले लेने पड़ सकते हैं।

2 minutes from now

रिलायंस-डिज्नी मर्जर में शामिल नहीं होंगे स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल 

डिज्नी इंडिया में स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल ने रिलायंस और डिज्नी के मर्जर के बाद बनी नई इकाई का हिस्सा न बनने का फैसला किया है

3 hours ago

फ्लिपकार्ट ने विज्ञापनों से की 2023-24 में जबरदस्त कमाई

फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।

1 day ago

क्या ब्रॉडकास्टिंग बिल में देरी का मुख्य कारण OTT प्लेटफॉर्म्स की असहमति है?

विवादित 'ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल' को लेकर देरी होती दिख रही है, क्योंकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय को हितधारकों के बीच सहमति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

1 day ago