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'2000 का नोट छापना सरकार के भौंदूपन पर मोहर लगाता है, गोपनीयता की जरूरत नहीं थी'
डॉ. वेद प्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार ।। काला धनः अभिमन्यु फंस गया ‘काले धन’ को लेकर भाजपा-सरकार सांसत में पड़ गई है। हवन करते हुए उसके हाथ जल रहे हैं। ‘काले धन’ को खत्म करने का उसका इरादा क्रांतिकारी और ऐतिहासिक है लेकिन ऐसा लगता है कि अभिमन्यु ने चक्र-व्यूह में
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago
डॉ. वेद प्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार ।। काला धनः अभिमन्यु फंस गया
‘काले धन’ को लेकर भाजपा-सरकार सांसत में पड़ गई है। हवन करते हुए उसके हाथ जल रहे हैं। ‘काले धन’ को खत्म करने का उसका इरादा क्रांतिकारी और ऐतिहासिक है लेकिन ऐसा लगता है कि अभिमन्यु ने चक्र-व्यूह में घुसना तो सीख लिया है किंतु उसे बाहर निकलना नहीं आता! मैं शुरू में समझ रहा था कि यह हमारा अभिमन्यु विदेश नीति के मामले में ही नौसिखिया है लेकिन आर्थिक मामलों में उसकी समझ कितनी दरिद्र है, इसका पता पिछले एक सप्ताह से पूरे देश को चल रहा है।
एक तरफ करोड़ों लोग रोज कितने तंग हो रहे हैं और दूसरी तरफ कुछ लोगों ने अपने करोड़ों-अरबों रु. काले से सफेद कर लिए हैं। दो हजार का नोट छापना हमारी सरकार के भौंदूपन पर मोहर लगाता है। अब काला धन दुगुनी तेजी से बनता चला जाएगा। नकली नोट की अफवाह अभी से बाजार में आ गई हैं। संकट की इस घड़ी में वे जल्दी और ज्यादा लिये और दिये जाएंगे।
‘अर्थक्रांति’ के संयोजक अनिल बोकिल की यह मूल योजना थी। बोकिल की योजना के मुताबिक सिर्फ 1000 और 500 के नोट ही नहीं, 100 के नोट भी खत्म होना चाहिए थे। इसके अलावा सबसे जरुरी यह था कि आयकर खत्म किया जाना चाहिए था। एक-दो दिन में ही सारा छिपा हुआ धन सामने आ जाता। किसी को भी अपना छिपा धन उजागर करने में डर नहीं लगता। वह बैंकों में चला जाता।
इस योजना को गोपनीय रखने की भी जरुरत नहीं थी। सिर्फ बैंकों से होने वाले लेन-देन पर टैक्स लगता। हर लेन-देन पर सिर्फ दो प्रतिशत टैक्स लगाने से इतना पैसा सरकार के पास आ जाता कि वह कुल आयकर से कहीं ज्यादा होता। सारी टैक्स चोरी बंद हो जाती। बड़े नोटों के दम पर चलने वाले आतंक, तस्करी और रिश्वत जैसे धंधों पर लगाम लगती। हर कोई धन ‘काला धन’ नहीं कहलाता। ईमानदारी, मेहनत और बुद्धिबल से कमाया धन, काला कैसे हो सकता है?
बोकिलजी की इस योजना का तीन साल पहले मैंने पूर्ण समर्थन दिया था लेकिन मैंने उनसे यह भी कहा था कि मैं अपने कुछ अर्थशास्त्री मित्रों से इस बारे में सलाह भी करुंगा। हमारे प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री ने इस योजना को ठीक से समझे बिना आधी-अधूरी लागू कर दी। वे अभिमन्यु की तरह चक्र-व्यूह में फंस गए। भगवान उनकी रक्षा करे।
(साभार: नया इंडिया)समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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