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'आज के दिन ये जरूर समझें कि अब सवाल हमारी साख पर है'

हर लोकतांत्रिक मुल्क में चौथे स्तंभ यानि मीडिया की भूमिका सबसे अहम होती है...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago

अनुराग दीक्षित

टीवी पत्रकार ।।

सवाल हमारी साख पर है

हर लोकतांत्रिक मुल्क में चौथे स्तंभ यानि मीडिया की भूमिका सबसे अहम होती है। भारत में आधुनिक लोकतंत्र की नींव पड़ने से काफी पहले आज ही के दिन साल 1826 में पंडित युगल किशोर शुक्ल कलकत्ता से उदन्त मार्तण्ड नाम का अखबार निकालकर इसकी शुरुआत कर चुके थे। वैसे तो कानूनी और आर्थिक दिक्कतों के चलते अखबार को 1827 में बंद करना पड़ा, लेकिन तब से लेकर अब तक पत्रकारिता खासकर हिंदी पत्रकारिता काफी लंबा सफर तय कर चुकी है।

आज देश में करीब 17 हजार अखबार, 97 हजार पत्रिकाएं और 888 टीवी चैनल (जिनमें बड़ी संख्या में न्यूज चैनल भी) हैं। सबसे ज्यादा पत्रपत्रिकाएं करीब 17 हजार अकेले उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होती हैं। जाहिर है बीते करीब 190 सालों में मीडिया का दायरा काफी व्यापक हो चुका है। हिंदी पत्रकारिता अब मिशन नहीं, बल्कि एक बड़ी इंडस्ट्री के तौर पर स्थापित हो चुकी है। इसी सबके चलते मीडिया को लेकर ढेरों सवाल भी खड़े होते रहे हैं। कभी भाषा के प्रयोग को लेकर तो कभी खबरों की प्राथमिकता (बाजार या पाठक/दर्शक) को लेकर।

हाल के दिनों में धर्म, आतंक, राजनीति और राजधानी केन्द्रित प्राइमटाइम बहसों और खबरों के बीच पत्रकार की राजनीतिक निष्ठा पर सबसे ज्यादा सवाल हैं। हिंदी पत्रकारिता भी इन आरोपों से अछूती नहीं। सोशल मीडिया के साथसाथ समाज के एक बड़े हिस्से में न्यूज़ चैनल्स, एंकर्स, अखबार और संपादकों को राजनीतिक खांचों में फिट किया जा रहा है। भाजपा या कांग्रेस के खांचे में, राष्ट्रवादी या सेकुलर (कथित राष्ट्रविरोधी) के खांचे में! हालांकि ऐसा नहीं कि ये पहली बार हो रहा है। राजनीतिकसरकारी मदद से लेकर राज्यसभा पहुंचने जैसी ढेरों महत्वाकांक्षाएं इसकी वजह पहले भी रही हैं। ऐसे में बेहतर हो कि देरी से ही सही आज इस मौके पर तो हम समझें कि सवाल हमारी साख पर है।



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