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वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वैदिक का सवाल- भारत इतना दुखी देश क्यों है?

डॉ. वेदप्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार ।। भारत इतना दुखी देश क्यों है? संयुक्त राष्ट्रसंघ हर साल एक रपट जारी

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

वरिष्ठ पत्रकार ।।

भारत इतना दुखी देश क्यों है?

संयुक्त राष्ट्रसंघ हर साल एक रपट जारी करता है, जिसका नाम है- सुखी देशों की अनुक्रमणिका याने कौनसा देश कितना सुखी है। इस बार अपनी 2017 की वार्षिक रपट में उसने भारत को 122वें स्थान पर बिठाया है। लगभग डेढ़ सौ देशों में भारत का स्थान इतना नीचे है, जितना कि अफ्रीका के कुछ बेहद पिछड़े देशों का है।

पिछले एक साल में भारत 118 से चार सीढ़ियां फिसलकर 122 वें पायदान पर क्यों चला गया है? मोदी-जैसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रहते हुए अच्छे दिन आने चाहिए थे लेकिन यह बुरे दिनों की शुरुआत क्यों हो गई है? सुखी देशों की कतार में भारत इतना फिसड्डी क्यों हो गया है? यह जनसंख्या के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है और सबसे बड़ा लोकतंत्र है। नोटबंदी के सदमे के बावजूद भारत की अर्थ-व्यवस्था अपने पांव पर खड़ी है। वह सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने के लिए बेताब है। वह दक्षिण एशिया की बेजोड़ महाशक्ति है, फिर भी क्या वजह है कि वह सुखी देश नहीं है?

भारत के मुकाबले उसके छोटे-मोटे पड़ौसी देश- भूटान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और चीन कहीं अधिक सुखी देश हैं। यह देखकर हम यह नहीं कह सकते कि संयुक्तराष्ट्र ने अपनी रपट में कुछ न कुछ घपला किया होगा, जैसा कि मायावती ने वोटिंग मशीनों के घपले का निराधार आरोप उछाला था। संयुक्त राष्ट्र की मूल्यांकन पद्धति वैज्ञानिक होती है। उसके सही होने की संभावना ज्यादा ही रहती है। वह हर देश के हालात को छह पैमानों पर नापने की कोशिश करती है। सुशासन, प्रति व्यक्ति आय, स्वास्थ्य, भरोसेमंदी, स्वतंत्रता, उदारता। इन पैमानों पर भारत पिछड़ा हुआ है। इसीलिए उसे दुखी देशों में ऊंचा स्थान मिलता है।

ऐसा नहीं है कि भारत सभी पैमानों पर इतना पिछड़ा हुआ है कि उसे 122वें स्थान पर उतार दिया गया है। यह ठीक है कि हमारी प्रति व्यक्ति आय और सकल उत्पाद में वृद्धि हुई है लेकिन आर्थिक उन्नति ही सुखी होने का एकमात्र साधन नहीं है। अमेरिका सबसे अधिक उन्नत देश है लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की कृपा से वह अब कई सीढ़ियां नीचे उतर गया है। इस समय नार्वे सबसे ऊपर है। डेनमार्क, आइसलैंड, स्विटजरलैंड, फिनलैंड, हॉलैंड, केनाडा आदि देश पहले दस सुखी देशों में हैं।

क्या भारत के विद्वान विचारक और महान नेतागण इस प्रश्न पर थोड़ा दिमाग लगाएंगे कि भारत इतना दुखी देश क्यों है? उसके सर्वांगीण विकास के लिए क्या किया जाए?

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