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नोटबंद मसला: टीवी पत्रकार विष्णु शर्मा बोले, मोदी ने तुगलक और मोरारजी की इन गलतियों से ली सीख...

विष्णु शर्मा वरिष्ठ पत्रकार ।। मोदी ने पांच सौ और हजार के नोट बंद करने का ऐलान क्या किया, मनीष तिवारी जैसे कांग्रेस नेता के साथ-साथ कई लोगों ने उसका मजाक ये कहकर उड़ाना शुरू कर दिया कि ये तो तुगलकी फरमान है। आम

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

विष्णु शर्मा

वरिष्ठ पत्रकार ।।

मोदी ने पांच सौ और हजार के नोट बंद करने का ऐलान क्या किया, मनीष तिवारी जैसे कांग्रेस नेता के साथ-साथ कई लोगों ने उसका मजाक ये कहकर उड़ाना शुरू कर दिया कि ये तो तुगलकी फरमान है। आमतौर पर भी तुगलकी फरमान हमेशा नेगेटिव सेंस में इस्तेमाल किया जाता है।

हकीकत ये है कि मोदी ने जो किया है, आज भले ही वो लोगों को चौंका रहा है, मोहम्मद बिन तुगलक ने उससे काफी बड़ा काम किया था। फर्क ये है कि मोदी ने पिछली गलतियों से, खास तौर पर मोरारजी देसाई सरकार की, सबक लेते हुए काफी ऐहतियात के साथ ये कदम उठाया है।

जहां मोदी को एक साहसी और सतर्क प्रधानमंत्री के तौर पर जाना जाता है, वहीं मोहम्मद तुगलक को एक पागल सुल्तान और दूरदृष्टा के तौर पर जाना जाता है। मोदी को भी लोग तानाशाह कहते हैं, तुगलक को भी कहते हैं। लेकिन तुगलक ने जो सोचा था, वो उससे पहले दुनिया में किसी ने नहीं सोचा था।

मोदी ने केवल नोट बदला है, तुगलक ने उसकी वैल्यू बदल दी थी। आज आप जो करेंसी नोट इस्तेमाल करते हैं, बंद होने के बाद आज उनको बाजार लेकर जाएंगे तो रद्दी में भी कोई नहीं लेगा यानी ये केवल टोकन करेंसी है। ये मोहम्मद तुगलक था जिसने पहली बार इस टोकन करेंसी के बारे में सोचा था, सोचिए आज से सात सौ साल पहले कोई शासक वो सोच रहा है, जो उस वक्त तक रोम और ब्रिटेन के शासक तक नहीं सोच पाए थे।

पूरी दुनिया में सोने और चांदी के सिक्कों, मोहरों, दीनारों का बोलबाला था। मोहनजोदड़ो फिल्म में दिखाई सोसायटी की तरह ‘एक सामान ले और दूसरा दे’ से दुनियां बाहर तो निकल चुकी थी लेकिन अभी भी सोने के सिक्के की वैल्यू उतनी ही थी, जितना उसमें सोना था यानी कहीं वो सिक्का ना चले तो गलाकर सोना निकालो और बाजार में बेच दो।

ऐसे में तुगलक ने क्योंकि राजधानी बदलने और वापस लाने जैसे कुछ तुगलकी फैसलों में काफी पैसा बर्बाद कर दिया था, उसको सोने की बहुत जरूरत थी। एक बड़ी सेना भी खड़ी करनी थी। उसने सात सौ साल पहले आज की दुनिया जैसा सपना देखा कि सोना खजाने में सुरक्षित रहे और टोकन मुद्रा जिसे बनाने में ज्यादा खर्च ना हो उससे देश चले, व्यापार चले। ये बहुत दूर की बात थी, उससे कुछ साल पहले केवल चीन के राजा ने ऐसी टोकन कागजी करेंसी चलाई थी, लेकिन धातु के सिक्कों पर किसी ने ऐसा प्रयोग नहीं किया था।

उसने 1330 के आसपास पीतल और तांबे से मिलाकर एक टोकन सिक्का बनाया और बाजार में उसका मूल्य सोने के सिक्के के बराबर कर दिया। ऐतिहासिक कदम था, उसने अपने अमीरों और कर्मचारियों को उसी से तनख्वाह दी। लेकिन उसने एक गलती की, उसने जिस तरह मोदी ने दो हजार रुपए के नए नोट में कई तरह के सेफ्टी फीचर्स इस्तेमाल किए हैं, तुगलक ने उस पर शाही मोहर तक नहीं लगाई और नतीजा ये हुआ कि हर कोई नकली सिक्का बनाने लग गया।

उस वक्त का इतिहासकार बरनी लिखता है, ‘हर हिंदू का घर टकसाल बन गया था’। हालांकि बिना अमीरों की शह के हिंदू सुनारों के लिए आसान नहीं था, वहीं नकली सिक्का रेवेन्यू के तौर पर खजाने में जमा हुआ और खजाने से सोने के सिक्कों के तौर पर विदेशी हथियार सौदागरों को दिया गया।

नकली सिक्कों ने अर्थव्यवस्था चौपट कर दी। लेकिन तुगलक ने एक-एक सिक्का वापस लिया और उसकी जगह सोने का सिक्का दिया, तीन साल में ही वो सिक्का वापस हो गया और खजाने को काफी घाटा हुआ। लेकिन फिर भी वो दूरदृष्टा था, उसने वो प्रयोग उस वक्त किया, जिसे आज सारी दुनिया आजमा रही है कामयाबी से, उसकी गलती बस इतनी थी कि उसने समय से पहले का सोचा था।

मोदी ने जो किया है वो निसंदेह साहसिक है, लेकिन ये पहले ही जनता पार्टी के गुजराती पीएम मोरारजी देसाई 1978 में कर चुके हैं। उस वक्त उन्होंने एक हजार, पांच हजार और दस हजार के नोटों को बंद कर दिया था।

कहा जाता है कि उन दिनों हजार का नोट बाजार में तीन तीन सौ में बिका था। बाद में अटल जी ने नवंबर के ही महीने में 2000 में हजार का नोट दोबारा से शुरू किया था। इस तरह 1954 में शुरू हुए दस हजार के नोट को भी आखिरी श्रद्धांजलि मोरारजी ने दे दी थी। योजना कामयाब तो थी, लेकिन उस वक्त कम काला धन, कम अरबपति और मीडिया की सीमित मौजूदगी के चलते वो तारीफ ना बटोर सकी।

ऐसे में मोदी ने जो किया है, वो आज की तारीख में एक चौंकाने वाला और साहसिक कदम भर है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम आएंगे। उसकी वजह भी है, मोदी ने इन दोनों की गलतियों से सीखा है, नोट जाली ना बन पाए और दृष्टिहीनों के लिए आसान हो, इसके पूरे इंतजाम हैं। मंगलयान को भी दो हजार के नोट पर जगह मिली है। कई तरह के ऐसे बदलाव है, जिनका नकली नोट बनाना आसान नहीं होगा।

दूसरे मोदी को इतिहास बनाने में मजा आता है, जिस तरह पिछले साल पांच नवंबर को मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए, जिसने आजाद भारत में गोल्ड कॉइन जारी किया है। अब मोदी पहले ऐसे पीएम होंगे जिसने ब्रिटिश भारत और आजाद भारत के आज तक के इतिहास में दो हजार का नोट जारी किया है।

वैसे कुछ दिन और इंतजार करिए ये जानने के लिए कि वाकई में मोदी ने जो दावे किए थे कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, किसी को परेशानी नहीं होगी, ब्लैक मनी बाहर आ जाएगी आदि, वो सब पूरे हुए कि नहीं। तब तक बेचारे तुगलक को माफ करिए।

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

(साभार: inkhabar.com)

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