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झूठ क्यों बोलते हैं राहुल गांधी? बदल लें अपना राजनीतिक सलाहकार

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके राजनीतिक सलाहकारों...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago

लोकेन्द्र सिंह 

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके राजनीतिक सलाहकारों का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संबंध में अध्ययन ठीक नहीं है। इसलिए जब भी राहुल गांधी संघ के संबंध में कोई टिप्पणी करते हैंवह बेबुनियाद और अतार्किक होती है। संघ के संबंध में वह जो भी कहते हैंसत्य उससे कोसों दूर होता है। एक बार फिर उन्होंने संघ के संबंध में बड़ा झूठ बोला है। अब तक संघ की नीति थी कि वह आरोपों पर स्पष्टीकरण वक्तव्य से नहींअपितु समय आने पर अपने कार्य से देता था। संचार क्रांति के समय में संघ ने अपनी इस नीति को बदल लिया है। यह अच्छा ही है। वरनाइस समय झूठ इतना विस्तार पा जाता है कि वह सच ही प्रतीत होने लगता है। झूठ सच का मुखौटा ओढ़ लेउससे पहले ही उसके पैर पकड़ कर पछाड़ने का समय आ गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संबंध में राहुल गांधी के हालिया बयान पर संघ ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।

संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने वक्तव्य जारी कर कहा है कि कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी 'घिनौनी राजनीतिकर रहे हैं। संघ झूठ के आधार पर चलने वाली उनकी घिनौनी राजनीति की भत्सना करता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने अधिकृत फेसबुक पेज पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सह-सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य के संबंध में झूठी बातें लिखी हैं। अपनी पोस्ट में राहुल गांधी ने बताया है कि यह लोग अनुसूचित जाति-जनजातियों को संविधान में दिए गए आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं। राहुल गांधी की इस पोस्ट पर संघ ने उचित ही संज्ञान लिया है। यह सरासर झूठ है। संघ के सरसंघचालक या किसी भी अन्य शीर्ष अधिकारी ने कभी भी आरक्षण को समाप्त करने की बात नहीं की है।

आरक्षण के विषय में संघ पदाधिकारियों के वक्तव्य को मीडिया ने भी तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया है। चाहे वह सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का पाञ्चजन्य में प्रकाशित साक्षात्कार के एक अंश का मामला हो या फिर सह-सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य का अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख रहते जयपुर साहित्य उत्सव (जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल) में दिए गए वक्तव्य पर मचा बवाल हो। यदि आरक्षण पर हम संघ के दृष्टिकोण का अवलोकन करेंगे तो पाएंगे कि वह आरक्षण को जारी रखने के पक्ष में है। संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभाओं में समय-समय पर आरक्षण के समर्थन में प्रस्ताव पारित किए गए हैं। इसलिए यह कहना कि संघ अनुसूचित जाति-जनजातियों का आरक्षण समाप्त करना चाहता हैनिराधार और सफेद झूठ है। अपितुसंघ का अधिकृत मनतव्य तो यही है कि जब तक समाज में भेदभाव हैजाति के आधार पर असमानता हैतब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।

यहां यह भी विचार करना चाहिए कि संघ पर लगाए अपने आरोपों के संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोई तथ्य और तर्क प्रस्तुत नहीं किया है। उन्होंने अपने फेसबुक पेज और ट्वीटर हैंडल पर लगभग दो मिनट का एक विडियो जरूर जारी किया है। इसमें 2016 में गुजरात के उना में दलितों के साथ हुई मारपीट की घटना की क्लिप और मध्यप्रदेश में पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान कुछ उम्मीदवारों के सीने पर एससी-एसटी लिखे जाने की घटना का उल्लेख है। विडियो में यह आरोप लगाया है कि आरएसएस और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के उकसावे पर यह घटनाएं हो रही हैं। किंतु यह भी बिना प्रमाण के कहा गया है।

अपनी राजनीतिक दुकान को बचाने के लिए राहुल गांधी अब झूठ का सहारा ले रहे हैं। वह यह भी समझ गए हैं कि अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग कांग्रेस के हाथ से छिटक गया है। अब यह वर्ग भाजपा और मोदी के पाले में पहुँच गया है। उसे वापस लाने के लिए ही राहुल गांधी आजकल हर हथकंडा अपना रहे हैं। वह अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीभारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति नफरत की भावना को जन्म देने की कोशिश कर रहे हैंताकि यह वर्ग मोदी के विरोध में खड़ा हो जाए और कांग्रेस उसका लाभ उठा सके। इस प्रयास में वह सफेद झूठ बोलने में भी कोई संकोच नहीं कर रहे। भले ही उनके झूठ का खामियाजा समाज को भुगतना पड़ रहा हो। दो अप्रैल को देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे ही झूठ का नुकसान संपूर्ण हिंदू समाज को उठाना पड़ा। एससी-एसटी एक्ट में बदलाव पर राहुल गांधी ने अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के गुस्से को और अधिक भड़काने के लिए साफ झूठ बोला था। भाजपा एवं मोदी सरकार को 'दलित विरोधीबताने के लिए वह यह कहने से भी नहीं चूके कि एससी-एसटी एक्ट को हटा दिया गया है। राष्ट्रीय नेता द्वारा अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और लाभ के लिए इस प्रकार के झूठ बोलना घिनौनी राजनीति ही है।

 देश में कुछ एक ही संस्थाएं हैंजो पूरे समर्पण से समाजहित में सक्रिय हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसमें सर्वोपरि है। संघ समाज में सामाजिक समरसता का वातावरण बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। इसलिए संघ पर आक्षेप लगाते समय राहुल गांधी को अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनका राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी नहीं है। किंतु देखने में आ रहा है कि राहुल गांधी अपनी राजनीतिक लड़ाई में भाजपा के साथ बार-बार संघ को भी घसीट रहे हैं। उनको अपना राजनीतिक सलाहकार बदल लेना चाहिए। या फिर स्वयं संघ के संबंध में अध्ययन प्रारंभ करना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल गांधी को संघ के संबंध में जानकारी शून्य है। राहुल गांधी पहले भी संघ को लेकर बेतुकी बातें कर चुके हैंजिनमें संघ की तुलना आतंकवादी समूह सिमी से करना और संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाना प्रमुख है।

 झूठे आरोपों के इस राजनीतिक खेल से संघ की प्रतिष्ठा पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआबल्कि देशभर में राहुल गांधी की छवि ही धूमिल हुई है और उनकी राजनीति का स्तर भी गिरा है। राहुल गांधी अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैंइसलिए उन्हें अब परिपक्वता दिखानी चाहिए। सोच-विचार कर बोलना चाहिए। झूठ के सहारे नौका पार नहीं लगतीबल्कि बीच भंवर में डूब जाती है। कांग्रेस और राहुल गांधी संघ के संबंध में जितना झूठ बोलेंगेजनता के बीच उतना ही अधिक निंदा के पात्र बनेंगे। यदि कांग्रेस और उसके नेता संघ के कार्य का सम्मान नहीं कर सकते तो कम से कम उन्हें संघ पर झूठे आरोप लगाने से बचना चाहिए। यह उनके ही हित में है।

(लेखक विश्व संवाद केंद्रभोपाल के कार्यकारी निदेशक हैं।)


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