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रमेश अग्रवालजी की कई विशेषताओं को याद कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता

भारत की हिंदी पत्रकारिता में दैनिक भास्कर समाचार पत्र समूह के संपादक...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago

आलोक मेहता

वरिष्ठ पत्रकार ।।

भारत की हिंदी पत्रकारिता में दैनिक भास्कर समाचार पत्र समूह के संपादक एवं प्रकाशक रमेश चंद्र अग्रवाल एक संस्था की तरह याद किए जाएंगे। रमेश अग्रवालजी ने आजादी के बाद हिंदी पत्रकारिता को न केवल भारतीय भाषाओं में वरन अंग्रेजी के अखबारों से भी अलग और ऊंचा स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने इंदौर में जिस समय अखबार को बढ़ाने का अभियान शुरू किया, तब संस्थान के पास साधन बहुत ही सीमित थे। लेकिन अपनी दूरदर्शिता और सम्बन्धों के बल पर उन्होंने पहली आयतित मशीन का इंतजाम किया और इस क्षेत्र में अखबार को स्थापित किया। इससे पहले भी उज्जैन, इंदौर और भोपाल में ये अखबार निकलता था। लेकिन संपूर्ण मध्य प्रदेश और विभाजन के छत्तीसगढ़ में भी दैनिक भास्कर ने अपनी अलग पहचान बनाकर शीर्ष स्थान प्राप्त किया।

जब मध्य प्रदेश से निकलने वाले अखबार ही नहीं राजस्थान और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्ली में किसी बड़े प्रकाशन संस्थान ने जयपुर से अखबार निकालने का साहस नहीं किया, तब उस समय रमेश अग्रवालजी ने जयपुर में चुनौती की तरह अखबार निकाला और प्रदेश के पूर्व अखबारों को बड़ी चुनौती दी एवं फिर राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने पैर फैलाए।

जयपुर संस्करण निकालते समय भी उन्होंने मुझे संपादक बनने का न्यौता दिया लेकिन मैं स्वयं दिल्ली से बाहर जाने की मनोस्थिति में नहीं था। लेकिन उन्होंने जब दिल्ली संस्करण निकालने का फैसला किया और मुझसे बातचीत की तब मैंने उनका आग्रह स्वीकार किया। इसकी वजह ये भी थी कि लगभग 20-25 वर्षों के संपर्क के दौरान मैंने उन्हें संपादकों और वरिष्ठ पत्रकारों के साथ सम्मान का व्यवहार करते देखा था। उनकी विशेषता यह थी कि अपने प्रतियोगी प्रकाशन संस्थानों के संपादकों का भी वो पूरा सम्मान करते थे।

राजेन्द्र माथुर, कमलेश्वर, मनोहर श्याम जोशी, कन्हैया लाल, नंदन, डॉ. सुरेश मेहरोत्रा, श्रवण गर्ग और एन.के. सिंह जैसे संपादकों के अलावा दूसरी पीढ़ी के संपादकों के साथ भी उन्होंने स्नेह और प्रोफेश्नल व्यवहार से पत्रकारिता को शक्ति दी।

अखबार की प्रसार संख्या को बढ़ाने के साथ ही उसके स्तर को बढ़ाना भी उनका लक्ष्य रहा। पत्रकारिता में तीन पीढ़ियों को जोड़ना और उनके साथ काम करना अद्भुत क्षमता की ही बात थी। हिंदी अथवा अन्य भाषाओं के प्रकाशन संस्थानों में कई ऐसे संस्थान रहे हैं, जहां दूसरी और तीसरी पीढ़ी के व्यक्ति ने कमान संभाला, लेकिन जहां कुछ संस्थानों में तीसरी पीढ़ी के व्यक्ति ने या तो प्रकाशन डूबो दिए या बेच दिए। वहीं भास्कर प्रकाशन समूह में श्री रमेश अग्रवाल ने तीसरी पीढ़ी को अधिक योग्य, सक्षम और सफल बनाने में एक आदर्श स्थापित किया। परिवार के तीन पुत्रों को अलग-अलग जिम्मेदारियां बांटी। सुधीर अग्रवाल ने अखबार के संपादकीय और गुणवत्ता की क्षमता को बढ़ाने में पूरी ताकत लगाई। वहीं गिरीश अग्रवाल ने विज्ञापन और प्रसार की दृष्टि से अपने पिता के मार्गदर्शन में अखबार प्रतियोगिता में सबसे आगे खड़ा करने में सफलता पाई। भास्कर संस्थान को आधुनिक टेक्नोलॉजी और डिजिटल क्रान्ति के लिए उन्होंने पवन अग्रवाल को तैयार किया, जिससे हिंदी पत्रिकारिता के आधुनिकीकरण के दौर में भी भास्कर अग्रणी हो गया।

रमेश अग्रवालजी ने अपने प्रकाशन संस्था को आगे बढ़ाने के साथ राजनैतिक संबंध बनाने अथवा टकराव की स्थिति आने पर साहस के साथ निपटने में भी असाधारण क्षमता का परिचय दिया। मैंने कई अवसरों पर नजदीक से ऐसी घटनाएं देखी हैं, जब कांग्रेस अथवा भारतीय जनता पार्टी या फिर अन्य राजनैतिक संगठनों के नेताओं के दबाव रमेश अग्रवाल के सामने आए, लेकिन उन्होंने अपने संपादकों को उन दबावों की तपन नहीं झेलने दी।

इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से संबंध और सम्पर्क रहे लेकिन उनके व्यवहार में कभी किसी तरह का घमंड दिखाई नहीं दिया। सम्बन्धों का सही उपयोग भले ही संस्थान के लिए हुआ है, लेकिन उसके दुरुपयोग के आरोप कभी सामने नहीं आए। अखबार का विस्तार करने के अलावा उन्होंने समाज सेवा के लिए भी विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

हिंदी के अलावा अंग्रेजी, गुजराती और मराठी में अखबार निकालकर उन्हें स्थापित कर पाना रमेश अग्रवालजी की असाधारण क्षमता का परिचायक है। भारतीय भाषाओं का कोई अन्य संस्थान इस तरह की सफलता प्राप्त नहीं कर सका।


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