होम / विचार मंच / अब सर्जिकल स्ट्राइक को महीना हुआ, पाक पर मोदी कोई ठोस फैसला क्यों नहीं लेते?

अब सर्जिकल स्ट्राइक को महीना हुआ, पाक पर मोदी कोई ठोस फैसला क्यों नहीं लेते?

‘पाकिस्तानी कलाकार वाली फिल्म की रिलीज को लेकर जो हंगामा खड़ा हुआ उस पर महाराष्ट्र और केंद्र सरकार की भूमिका कोई बहुत अच्छी नहीं रही। आखिर ऐसा कोई बयान क्यों नहीं दिया जा सका कि पाकिस्तानी कलाकारों वाली जो फिल्में बन चुकी हैं उनका विरोध सही नहीं, लेकिन आगे से जब तक माहौल ठीक नहीं होता तब तक पाकिस्तानी कलाकार बॉलीवुड स

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

‘पाकिस्तानी कलाकार वाली फिल्म की रिलीज को लेकर जो हंगामा खड़ा हुआ उस पर महाराष्ट्र और केंद्र सरकार की भूमिका कोई बहुत अच्छी नहीं रही। आखिर ऐसा कोई बयान क्यों नहीं दिया जा सका कि पाकिस्तानी कलाकारों वाली जो फिल्में बन चुकी हैं उनका विरोध सही नहीं, लेकिन आगे से जब तक माहौल ठीक नहीं होता तब तक पाकिस्तानी कलाकार बॉलीवुड से ससम्मान दूर रहें तो बेहतर?’ हिंदी अखबार दैनिक जागरण में प्रकाशित अपने आलेख के जरिए ये कहना है कि वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक जागरण के असोसिएट एडिटर राजीव सचान का। उनका पूरा आलेख आप यहां पढ़ सकते हैं:

कूटनीतिक कार्रवाई का इंतजार

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक किए हुए एक माह होने वाले हैं। 29 सितंबर से लेकर अब तक की गतिविधियां यह बताती हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान बौखलाया तो जरूर, लेकिन उसकी अक्ल ठिकाने पर नहीं आई। जम्मू-कश्मीर में सीमा पर और सीमा के अंदर का घटनाक्रम भी यही बयान कर रहा है कि पाकिस्तान आतंक के सहारे कश्मीर को अशांत रखना चाहता है। पाकिस्तान इसके भी कोई संकेत नहीं दे रहा कि वह लश्कर-जैश सरीखे आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर लगाम लगाने को तैयार है। इस मामले में नवाज शरीफ सरकार और सेना के बीच मतभेद की खबरें कुल मिलाकर नूराकुश्ती ही साबित हो रही हैं। हाफिज सईद, नवाज शरीफ और राहिल शरीफ एक सुर में कश्मीर राग अलापते सुनाई दे रहे हैं। प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर, पाकिस्तान के गृह मंत्री इन दिनों इन संगठनों के नेताओं से मेल-मुलाकात कर रहे हैं। पाकिस्तान इससे भी इंकार करने की मुद्रा अपनाए हुए है कि आतंकी संगठनों को समर्थन देने की अपनी अघोषित नीति के कारण वह अलग-थलग पड़ा है। उलटे वह अमेरिका को यह कहकर डराने की कोशिश कर रहा है कि यदि उसने अपना रवैया नहीं बदला तो वह चीन और रूस की गोद में बैठ जाएगा। चीन की गोद में वह पहले से बैठा है और चीन भी उसका बेशर्मी के साथ समर्थन करने में लगा हुआ है। जैसे इसमें संदेह है कि चीन आतंकी सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी लगने देगा वैसे ही इसमें भी कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपनी शत्रुतापूर्ण और कुटिल नीति छोड़ने के लिए तैयार होगा।

पाकिस्तान की कुटिलता और ढिठाई से लगातार परिचित होते रहने के बावजूद भारत का उसके प्रति रुख फिर से ढुलमुल दिखने लगा है। ऐसा यह स्पष्ट हो जाने के बावजूद है कि सर्जिकल स्ट्राइक का एक सीमा तक ही लाभ मिला है। यह समझना कठिन है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत सरकार की ओर से ऐसे कोई कूटनीतिक कदम क्यों नहीं उठाए गए जिससे पाकिस्तान पर दबाव और बढ़ता। कड़ी से कड़ी प्रतिक्रिया पाकिस्तान ढैसे ढीठ देश पर असर नहीं डाल सकती। यदि यह समझा जा रहा है कि किसी वैश्विक मंच से पाकिस्तान को आतंक की जननी कह देने से उसकी सेहत पर कोई असर पड़ेगा तो यह सही नहीं। यदि पाकिस्तान आतंक की जननी है तो फिर उसके साथ वैसे ही संबंध क्यों कायम हैं जैसे उड़ी हमले के पहले तक कायम थे? किसी को नहीं पता कि पाकिस्तान को मिले ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ के दर्जे पर क्या विचार हुआ? इसी तरह यह भी अज्ञात है कि सिंधु जल संधि की समीक्षा से क्या निष्कर्ष निकला? यदि पाकिस्तान आतंकी संगठनों को पाल-पोस रहा है तो फिर दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग की हैसियत जस की तस क्यों है? क्या कारण है कि भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार इस नतीजे पर पहुंचती है कि पाकिस्तानी कलाकारों को भारतीय फिल्मों में काम नहीं करना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार इस बारे में कोई फैसला नहीं कर पाती कि पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम करने के लिए वीजा देना जारी रखा जाए या नहीं? उसकी इस दुविधा का पूरा लाभ उठाया राजनीतिक दल के तौर पर उपद्रव में यकीन रखने वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने राज ठाकरे को अनावश्यक महत्व देकर अपनी किरकिरी ही कराई। जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह फिल्म निर्माताओं को सुरक्षा का आश्वासन दे चुके थे तब फिर महाराष्ट्र सरकार को राज ठाकरे को बुलाकर पंचायत करने की क्या जरूरत थी?

पाकिस्तानी कलाकार वाली फिल्म की रिलीज को लेकर जो हंगामा खड़ा हुआ उस पर महाराष्ट्र और केंद्र सरकार की भूमिका कोई बहुत अच्छी नहीं रही। आखिर ऐसा कोई बयान क्यों नहीं दिया जा सका कि पाकिस्तानी कलाकारों वाली जो फिल्में बन चुकी हैं उनका विरोध सही नहीं, लेकिन आगे से जब तक माहौल ठीक नहीं होता तब तक पाकिस्तानी कलाकार बॉलीवुड से ससम्मान दूर रहें तो बेहतर? नि:संदेह पाकिस्तान में एक छोटा सा वर्ग है जो दोनों देशों के बीच मैत्री संबंधों का हिमायती है और जो अपनी धरती पर फल-फूल रहे हर तरह के आतंकी संगठनों और नॉन स्टेट एक्टर्स पर लगाम लगते देखना चाहता है, लेकिन ऐसे लोगों के प्रतिनिधि केवल कलाकार या क्रिकेटर ही नहीं हैं। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार यह समझ नहीं पाई है कि पाकिस्तान के मामले में यह महज जुमलेबाजी ही है कि खेल और कला संबंध रिश्ते सुधारने का काम करते हैं। जैसे पाकिस्तानी कलाकार आर्थिक लाभ के लिए हिंदी फिल्मों में काम करने को उतावले रहते हैं वैसे ही भारतीय फिल्मकार भी उन्हें अपनी फिल्मों में काम देते हैं। उनका मूल मकसद होता है कि उनकी फिल्म पाकिस्तान में भी रिलीज हो ताकि उनकी अतिरिक्त कमाई हो सके। यही बात पाकिस्तानी क्रिकेटरों और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पर भी लागू होती है, जो रह-रह कर यह तर्क देने लगता है कि दोनों देशों के बीच क्रिकेट होना चाहिए।

यदि भारत सरकार पाकिस्तान के साथ अपने आर्थिक-व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को लेकर असमंजस में बनी रहती है तो वह उस लाभ से वंचित हो सकती है जो उसने सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये अर्जित किया है। भारत सरकार यह तो चाहती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकी संगठनों को संरक्षण देने के लिए पाकिस्तान को दंडित करे, लेकिन वह अपने स्तर पर खुद ऐसी कोई पहल नहीं करना चाहती। कम से कम कुछ तो प्रतीकात्मक पहल की जानी चाहिए ताकि विश्व समुदाय को यह संदेश जाए कि भारत केवल बयान देने तक ही सीमित नहीं है। एक अर्सा पहले भारत सरकार ने यह पाया था कि संघर्ष विराम की निगरानी करने वाला संयुक्त राष्ट्र दल निरर्थक है, लेकिन पता नहीं क्यों उसे बोरिया-बिस्तर समेटने के लिए नहीं कहा गया? यह भी स्पष्ट नहीं कि अशांत कश्मीर घाटी को शांत करने के लिए भारत सरकार क्या कदम उठाने जा रही है? कोई नहीं जानता कि हुर्रियत कांफ्रेंस और अन्य अलगाववादी संगठनों के नेताओं को हड़ताली कैलेंडर जारी रखने की सुविधा क्यों मिली हुई है? सरकार के नीति-नियंताओं को यह आभास होना ही चाहिए कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कूटनीतिक कार्रवाई भी अपेक्षित थी।

(साभार: दैनिक जागरण)

समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।


टैग्स
सम्बंधित खबरें

‘भारत की निडर आवाज थे सरदार वल्लभभाई पटेल’

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन ऐसी विजयों से भरा था कि दशकों बाद भी वह हमें आश्चर्यचकित करता है। उनकी जीवन कहानी दुनिया के अब तक के सबसे महान नेताओं में से एक का प्रेरक अध्ययन है।

2 hours ago

भारत और चीन की सहमति से दुनिया सीख ले सकती है: रजत शर्मा

सबसे पहले दोनों सेनाओं ने डेपसांग और डेमचोक में अपने एक-एक टेंट हटाए, LAC पर जो अस्थायी ढांचे बनाए गए थे, उन्हें तोड़ा गया। भारत और चीन के सैनिक LAC से पीछे हटने शुरू हो गए।

1 day ago

दीपावली पर भारत के बही खाते में सुनहरी चमक के दर्शन: आलोक मेहता

आने वाले वर्ष में इसके कार्य देश के लिए अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की नींव रख सकते हैं।

1 day ago

अमेरिकी चुनाव में धर्म की राजनीति: अनंत विजय

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार हो रहे हैं। डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है।

1 day ago

मस्क के खिलाफ JIO व एयरटेल साथ-साथ, पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

मुकेश अंबानी भी सेटेलाइट से इंटरनेट देना चाहते हैं लेकिन मस्क की कंपनी तो पहले से सर्विस दे रही है। अंबानी और मित्तल का कहना है कि मस्क को Star link के लिए स्पैक्ट्रम नीलामी में ख़रीदना चाहिए।

1 week ago


बड़ी खबरें

क्या ब्रॉडकास्टिंग बिल में देरी का मुख्य कारण OTT प्लेटफॉर्म्स की असहमति है?

विवादित 'ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल' को लेकर देरी होती दिख रही है, क्योंकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय को हितधारकों के बीच सहमति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

15 hours ago

फ्लिपकार्ट ने विज्ञापनों से की 2023-24 में जबरदस्त कमाई

फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।

16 hours ago

ZEE5 ने मनीष कालरा की भूमिका का किया विस्तार, सौंपी अब यह बड़ी जिम्मेदारी

मनीष को ऑनलाइन बिजनेस और मार्केटिंग क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है और उन्होंने Amazon, MakeMyTrip, HomeShop18, Dell, और Craftsvilla जैसी प्रमुख कंपनियों में नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाई हैं।

7 hours ago

विनियमित संस्थाओं को SEBI का अल्टीमेटम, फिनफ्लुएंसर्स से रहें दूर

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भारत के वित्तीय प्रभावशाली व्यक्तित्वों, जिन्हें 'फिनफ्लुएंसर' कहा जाता है, पर कड़ी पकड़ बनाते हुए एक आदेश जारी किया है।

16 hours ago

डॉ. अनुराग बत्रा की मां श्रीमती ऊषा बत्रा को प्रार्थना सभा में दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘e4m’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।

13 hours ago