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भारत में मीडिया को जितनी आजादी, उतनी किसी और देश को नहीं...
आज अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस है, लेकिन हाल में दुनियाभर की मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने जो रिपोर्ट जारी की है उसने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं, क्योंकि इस रिपोर्ट में में दुनियाभर में प्रेस स्वतंत्रता की बात की गई है...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago
आज अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस है, लेकिन हाल में दुनियाभर की मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने जो रिपोर्ट जारी की है उसमें भारत की चिंताजनक हालात की बात की गई है। भारत को इस रिपोर्ट में पिछले साल के मुकाबले तीन पायदान नीचे खिसका दिया है, जिसकी वजह से भारत अब 180 देशों की सूची में 136वें स्थान पर आ गया है, जिसका मतलब है कि दुनिया के 135 देशों में पत्रकारों को भारत से अधिक आजादी हासिल है, लेकिन हिंदी दैनिक अखबार प्रभात खबर के डिजिटल विंग में छपे अपने आलेख के जरिए वरिष्ठ पत्रकार चंदन मित्रा ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा कि मुझे इस रैंकिंग पर भरोसा नहीं है।
भारत में प्रेस सबसे आजाद है
भारत में प्रेस की आजादी के बारे में जो भी रैंकिंग की गयी है और जिस संस्था ने भी यह रैंकिंग की है कि भारत में प्रेस की आजादी की हालत ठीक नहीं है, तो मैं इस रैंकिंग को नहीं मानता। ऐसी रिपोर्ट्स और रैंकिंग पर मुझे कोई भरोसा नहीं है। ये रिपोर्ट्स और रैंकिंग क्यों बनाये जाते हैं और किस इरादे से बनाये जाते हैं, इसकी पहले जांच होनी चाहिए।
आखिर कौन है यह संस्था, जो यह रैंकिंग करती है, मैंने इसका कभी नाम ही नहीं सुना। मुझे समझ में नहीं आता कि ये लोग हर साल भारत के ही पीछे क्यों पड़े रहते हैं? भारत में मीडिया और प्रेस की जितनी आजादी है, उतनी अमेरिका और इंग्लैंड में भी नहीं है। मैं दुनियाभर के मीडिया का अध्ययन कर चुका हूं और विदेशों में रहा भी हूं, लेकिन भारत में प्रेस की आजादी जैसी आजादी कहीं और देखने को नहीं मिलती। यहां लोग सरकार के खिलाफ क्या-क्या नहीं बोलते। इलेक्ट्रॉनिक हो या प्रिंट, किसी भी जगह कोई पाबंदी नहीं किसी को सरकार के खिलाफ कुछ भी कहने के लिए।
इसलिए यह कहना कि भारत में प्रेस की आजादी का सूचकांक 136 है, यह पूरी तरह से बकवास है। मैं इस बात को सिरे से खारिज करता हूं। भारत ही ऐसा देश है, जहां प्रेस पर सरकार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं है। कोई इस बात का सबूत देकर बताये कि भारत के मीडिया पर सरकार का दखल है। तमाम राज्यों में क्या हो रहा है, यह तो मैं नहीं बता सकता, लेकिन प्रेस की आजादी पर खतरा मानने वाले लोग यह सबूत दे कि केंद्र सरकार ने क्या कभी प्रेस की आजादी में हस्तक्षेप किया है। मेरी जानकारी में भारत के मीडिया पर कोई बाहरी दबाव नहीं है, वह पूरी तरह से आजाद है।
इमरजेंसी के दौरान प्रेस की आजादी पर खतरा था, लेकिन उसके बाद से ऐसा कभी नहीं रहा कि यहां प्रेस की आजादी खतरे में पड़ी
हो। कोई कुछ भी बोले, तो हमें क्या उसे मान लेना चाहिए? लेकिन मैं नहीं मानता। मेरा यह विश्वास है कि प्रेस को लेकर भारत में
जितनी आजादी है, दुनिया के बाकी देशों में ऐसी आजादी
बिल्कुल नहीं है। इसलिए इस रैंकिंग को मैं सिरे से खारिज करता हूं और बकवास मानता
हूं।
(साभार: prabhatkhabar.com)
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