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अमर उजाला के बिजनेस एडिटर ने बताया- कैसे परेशानी का सबब बना 2,000 का नोट

राजीव जायसवाल बिजनेस एडिटर, अमर उजाला ।। यह राहत की बात है कि नोटबंदी से पैदा हुई नकदी की कमी की समस्या लगभग समाप्त हो गई है। ओडिशा और महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के अच्छे प्

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

राजीव जायसवाल

बिजनेस एडिटर, अमर उजाला ।।

यह राहत की बात है कि नोटबंदी से पैदा हुई नकदी की कमी की समस्या लगभग समाप्त हो गई है। ओडिशा और महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के अच्छे प्रदर्शन को नोटबंदी के पक्ष में जनता का समर्थन माना जा सकता है। ऐसा माना जा रहा था कि पुराने 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने से न केवल काले धन का खात्मा हो जाएगा, बल्कि यह कदम जाली नोटों के कारोबार को भी कुछ समय तक पूर्णत: रोक देगा।

भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार ने 500 और 2,000 रुपये के नए नोटों में उच्च तकनीकों का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया था, जिससे जाली नोट छापना नामुमकिन सा लगने लगा था। लेकिन वास्तकिकता कुछ और ही निकली।

एक तरफ जहां सरकारी छापाखानों में नए 500 और 2,000 रुपये के नोट छप रहे थे, तो दूसरी तरफ देश के दुश्मन भी नए नोटों की कॉपी कर रहे थे। तभी तो देश के कई हिस्सों से 2,000 रुपये के जाली नोट पकड़े गए। खास बात यह है कि जहां एक ओर हाई सिक्योरिटी फीचर वाले 2,000 रुपये के नोट से आम जनता को उसके छुट्टे को लेकर बड़ी परेशानी हो रही है, वहीं देश के दुश्मनों के तो जैसे मजे हो गए हैं। अब उन्हें जाली नोटों का दोगुना मूल्य मिलने लगा है।

अब तो हाल ये है कि एटीएम से भी 2,000 रुपये के जाली नोट निकलने लगे हैं। पुलिस हालांकि इस मामले को लेकर सक्रिय है, लेकिन जिस गरीब को एटीएम से चूरन वाले नोट या जाली नोट मिले उसकी भरपाई कौन करेगा? इसका जवाब बैंकों के पास भी नहीं है। 2,000 रुपये के गुलाबी नोटों की कृपा से अब पहले के 1,000 रुपये के नोटों के मुकाबले इससे नुकसान होने की संभावना भी आम जनता के किए दोगुनी हो गई है, जबकि कालाबाजारियों, आतंकवादियों और जमाखोरों के लिए काला धन और जाली नोटों का कारोबार अधिक मुनाफे वाला हो गया है। सरकार को चाहिए कि वह धीरे-धीरे 2,000 रुपये के नोटों को बैंकों के जरिए चलन से बाहर करे।

(साभार: अमर उजाला)

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