होम / विचार मंच / वरिष्ठ पत्रकार निर्मलेंदु बोले- सपा-बसपा गठबंधन नहीं है बीजेपी के हार की वजह, बल्कि...
वरिष्ठ पत्रकार निर्मलेंदु बोले- सपा-बसपा गठबंधन नहीं है बीजेपी के हार की वजह, बल्कि...
हिंदू-हिंदू बोलकर, दूसरों को गाली देकर कुछ भी हासिल नहीं होता...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago
निर्मलेंदु साह
कार्यकारी संपादक
दैनिक राष्ट्रीय उजाला ।।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई- हम सब हैं भाई भाई
हिंदू-हिंदू बोलकर, दूसरों को गाली देकर कुछ भी हासिल नहीं होता। आजादी के बाद हिंदू और मुस्लिम अच्छे दोस्त थे। आज भी इन दोनों संप्रदायों में खूब और खूब दोस्ती है, एक एक दूसरे के त्योहार पर शामिल होते हैं और शान से एक दूसरे के त्योहार को मनाते हैं। हुल्लड़बाजी करते हैं। लेकिन नेताओं ने अपने वोट बैंक को मजबूत बनाने के लिए इन दोनों संप्रदायों के बीच नफरत की ‘भावुक’ दीवार उठा दी। नेता अपने भाषणों में हिंदू-हिंदू दोहराने लगे, राम-राम दोहराने लगे, तो मुस्लिम नेता भी देखा देखी ऐसा ही करने लगे। लेकिन सच तो यही है कि दोनों संप्रदाय के लोग आज भी एक दूसरे को खुलेआम गाली नहीं देते। कुछ मामलों में मनमुटाव हो सकता है, लेकिन वह बात सामने नहीं आती।
ज्यादातर ऑफिसों में एकसाथ दोनों संप्रदाय के लोग काम करते हैं, एकसाथ खाना खाते हैं, एक दूसरे पर मर मिटने की कसमें खाते हैं, बल्कि यह कह सकते हैं कि कई संप्रदाय के लोग एकसाथ बैठकर गप्पे भी मारते हैं, लेकिन आश्चर्य की बात तो यही है कि कुछ तथाकथित नेता एक दूसरे को गाली देते रहते हैं। एक दूसरे के बीच भेदभाव पैदा करने की नाकाम कोशिश करते रहते हैं। दरअसल, सत्य एक हजार तरीकों से कहा जा सकता है, लेकिन फिर भी सच तो सच ही होता है। सच तो यही है कि बीजेपी आने के बाद लोगों के मन में यही बात घूमने लगी कि बीजेपी के आने से बहार आ गई। रातों रात गड्ढे भर दिये गये।
कुछ जगह अच्छे दिन आने के पोस्टर लग गये, कुछ कार्यकर्ता जोश में आ गये। पुलिस की तत्परता बढ़ गई। प्रशासन गलत काम करने से हिचकने लगा। योगी की इतनी तारीफ हुई कि वह अहंकार में डूब गये, लेकिन उसका नतीजा निकला नोटबंदी और जीएसटी के रूप में। फिर उपचुनाव आ गये। हिंदू वोट कह-कह करके नेताओं ने लोगों का ब्रेन वॉश करना शुरू कर दिया। ऐसा करने से लोगों के मन में आक्रोश पैदा होने लगा और इसी आक्रोश का नतीजा है गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी की हार और सपा की जबरदस्त जीत। बीजेपी हार रही थी और डीएम को गुस्सा आ रहा था।
दरअसल, गोरखपुर में दूसरे राउंड की गिनती पूरी होने के बाद बीजेपी जैसे ही पिछड़ी, तो जिले के डीएम राजीव रौतेला ने नतीजों की घोषणा ही रोक दी। वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने इस घटना को गुंडागर्दी और आतंक जैसे सख्त शब्दों से जोड़ा। डीएम के रवैये पर चारों ओर उनकी खूब निंदा हुई। कहते हैं कि मौजूदा डीएम योगी के काफी खास हैं, इसलिए वह योगी का पुराना कर्ज उतार रहे हैं। लोकतंत्र को ताक पर रखकर डीएम ने एक ऐसा फैसला लिया था, जिसकी जितनी भी थू-थू की जाए, कम है। जब तक हम ईगो को गो नहीं कहेंगे, हमारी जिंदगी आसान और सरल नहीं होगी। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि योगी का अहं टूटा। कहावत है कि अहंकारी का अहं एक न एक दिन टूटता ही है। अहंकारी हमेशा दूसरों को नीचे गिराकर ही आगे बढ़ने के बारे में सोचता रहता है। जब कभी वह ऊंचाई पर पहुंचता है, उसका दंभ और भी बढ़ जाता है। पर ऐसे वक्त में वह भूल जाता है कि एक दिन जब उसका पतन होगा और वह नीचे गिरेगा, तो उसका साथ देने वाला कोई नहीं होगा। वह अभागा अकेले ही अपने कष्टों को भोगता हुआ पतन का शिकार हो जाता है। कहते हैं कि...
अहंकार में तीन गये
धन, वैभव, वंश!
न मानो, तो देख लो
रावण, कौरव कंस!
अब सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री अपने ही गढ़ में इतनी बुरी तरह से क्यों हार गये? कहां चूक हो गई। बीजेपी के ही नेता रमाकांत यादव ने कहा कि यूपी में दलितों और पिछड़ों की उपेक्षा से यह हार हुई है। दरअसल, यह आक्रोश बीजेपी के खिलाफ है। नोटबंदी और जीएसटी के कारण गरीबों का जीना दुश्वर हो गया है। कुछ लोग बीजेपी की नीति के खिलाफ हो गये हैं। आज भी असंख्य परिवार ऐसे हैं, जो नोटबंदी के असर से अभी तक उबर नहीं पाये हैं। योगी जी कहते हैं कि भ्रष्टाचार मिटाएंगे, लेकिन धरातल पर सच्चाई यही है कि घूस आज भी लिये जा रहे हैं। एक कटु सच है- बिना पैसा सुंघाए कोई भी काम नहीं होता। जो काम पहले 500 रुपये में हो जाता था, अब उसके लिए 2000 देने पड़ रहे हैं। भ्रष्टाचार की बात आई, तो मैं योगी जी को एक सलाह देना चाहता हूं कि अगर वह अच्छा राजा बनना चाहते हैं, तो राम का अनुसरण करें। वैसे तो राम के नाम की गुणगान करते हैं, राम लला की बात करते हैं, लेकिन उनके नक्शेकदम पर नहीं चलते। शायद राम को उन्होंने ठीक से जाना नहीं। प्रभु श्री राम की तरह रात में छद्मवेश धारण कर निकलें, तो जान जाएंगे कि लोग कितने कष्ट में हैं। जान पाएंगे कि नोटबंदी के कारण कुछ परिवार में लोग आज भी भूखे मर रहे हैं। पढ़े-लिखे नौजवानों को नौकरी नहीं मिल रही है। केवल वादे और आश्वासनों से पेट नहीं भरता। वादा निभाना भी पड़ता है। कितने कल-कारखाने बंद हो गये। ऊपर से रेहड़ी पटरी वालों पर इतनी सख्ती बरती गई कि उनके घर में खाने के लाले पड़ गये। एक परिवार को मैं जानता हूं। सब लोग एकसाथ बेरोजगार हो गये। एक रेहड़ी पटरीवाले को इतना पीटा गया कि वह बिस्तर पर आज भी लेटा हुआ है।
अतिक्रमण के नाम पर अस्थायी दुकानदारों को उजाड़ने के विरोध में पिछले दिनों नोएडा रेहड़ी-पटरी गरीब रक्षा वाहिनी मोर्चा ने प्राधिकरण कार्यालय के सामने प्रदर्शन भी किया। सच तो य ही है कि अतिक्रमण करने के नाम पर फुटपाथ व सड़क किनारे अस्थायी दुकानें लगाने वाले दुकानदारों को परेशान किया जा रहा है। इन्हें हटाया जाए, या नहीं, यह अलग बात है और इनकी रोजी-रोटी छीनना दूसरी बात। मैं पूछना चाहता हूं, यदि रोजी-रोटी दे नहीं सकते, तो छीन कैसे सकते हैं। इसका समाधान भी हो सकता है। इनसे महीने में पैसे वसूले जाएं। इससे सरकार का खजाना बढ़ेगा और इनकी रोजी-रोटी बदस्तूर जारी रहेगी। इस मामले को सिस्टम में डालना होगा। इन्हें हटाने के कारण गरीब, जो रेहड़ी में ही खाना खाते हैं, इससे ज्यादा खर्च नहीं कर पाते, वे कहां जाएंगे। उनके बारे में भी सोचना होगा। यह सरकार की जिम्मेदारी है। उनकी भी हाय लग रही है। दुआएं नहीं, तिरस्कार मिल रहे हैं। दरअसल, अब आम लोगों को नोटबंदी की खामियां नजर आ रही हैं। योगी जी पड़ताल करें कि अब अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं। उनका डर शुरू में तो था, लेकिन अब वे भी खुलकर अपनी मनमानी कर रहे हैं।
मध्यम वर्ग में नोटबंदी और जीएसटी को लेकर भयंकर आक्रोश है। लोगों का मानना है कि उनकी अपेक्षाएं पूरी नहीं हुर्इं। समीकरण कुछ भी हो सकते हैं। सिर्फ विपक्ष की एकता ही नहीं, वोटों के छिटकने से भी हारी है बीजेपी। ऐसा मानते हैं कुछ लोग। कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि बीजेपी सरकार को गरीबों की हाय लग गई। लोगों को यह समझ में आ गया कि यह बड़े लोगों की पार्टी है। एनआरआई की पार्टी है। मीठी मीठी बातों से गरीबों का पेट नहीं भरता। गरीबों के साथ छल किया गया है। एक रेहड़ी वाले ने कहा कि हमने बीजेपी को वोट इसलिए दिया था कि यह पार्टी गरीबों की बात सुनेगी, लेकिन इस पार्टी ने तो हमारी ही रोजी-रोटी छीन ली। उन्होंने कहा, अच्छे दिन नहीं आए। हां, अगर अच्छे दिन का मतलब हम रेहड़ी पटरी वालों को हटाने से है, एनकाउंटर से है, तो हम इसमें कुछ नहीं कह सकते। कुछ लोगों का मानना तो यही है कि विकास के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। एक वरिष्ठ व्यक्ति ने कहा, जो कुछ विकास उत्तरप्रदेश में हुआ है, वह सपा सरकार और मायावती की देन है। विकास इन दोनों पार्टियों की वजह से हो रहा है। गाजियाबाद का विकास मायावती और अखिलेश ने किया।
सच तो यही है कि नरेश अग्रवाल के जॉइनिंग को लेकर भी बीजेपी पर लोगों ने हमला बोला। उपचुनाव में बीजेपी सपा-बसपा गठबंधन की वजह से नहीं हारी, बल्कि लोग इसके लिए सपा से भाजपा में आए राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। संजय राउत ने भी कहा कि मैं यह नहीं मानता कि सपा-बसपा गठबंधन ने काम किया। मैं मानता हूं कि प्रभु श्रीराम की सबसे ज्यादा निंदा करने वाले सपा के नेता के लिए आपने जिस दिन रेड कार्पेट डाला, उसी दिन प्रभु श्रीराम भी आपके खिलाफ हो गये। दार्शनिक और वरिष्ठ समालोचक जानसन ने कहा था कि यदि प्रतिभावान व्यक्ति नष्ट होता है, तो वह बहुधा अपने ही द्वारा नष्ट होता है। हम सब जानते हैं कि आंख से अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, सत्ता के नशे में अंधे को अपने से श्रेष्ठ कोई नहीं दिखता और स्वार्थी को हमेशा दूसरों के हित में काम करना नहीं दिखता। बीजेपी सरकार की एक कमी यह भी है कि यह दूसरों की कमी ढूंढने में अपना वक्त गंवा देती है। दरअसल, दूसरों को दोष देना बंद कर अपना समय यदि यह सरकार पॉजिटिव सोच में लगाती है, तो कई तरह की समस्याएं खत्म हो सकती हैं। माफी मांगना तो इस सरकार ने सीखा ही नहीं। राम के अनुयायी है यह पार्टी। विनम्रता, सद्भाव, सहनशीलता, मिलनसारिता से कभी भी काम नहीं लेती यह सरकार। भूलवश भी यदि गलती हो जाए, माफी मांगने से चूक जाती है यह सरकार। माफी मांगने में इस सरकार को शर्म आती है। कवि गुरु और चिंतक रबींद्रनाथ टैगोर ने लिखा है कि सभी समस्याएं हमारी मन की उपज हैं, सभी नकारात्मक विचार हमारे मन के अंदर से ही आते हैं। संसार बुरा नहीं है, हम बुरे हैं। हमारे विचार बुरे हैं। हम दूसरों पर छींटाकशी करने से पहले खुद अपने बारे में सोचे, परखें और जानें कि हमने कहां-कहां गलतियां की हैं और उसका समाधान करें, तो न केवल समस्याएं मिट जाएंगी, बल्कि हमारा देश बदल जाएगा, जो कि मोदी जी का सपना और नारा है। दरअसल, सच वहीं खड़ा रहता है, चाहे लोगों का समर्थन मिले या न मिले।
कलियुग में मानव का मन इतना नीचे गिरेगा, उसका जीवन इतना पतित होगा कि वह सुध-बुध ही खो देगा। जी हां, यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रुकेगा, न ही सत्ता के वृक्षों से रुकेगा। यह रुकेगा मानव सेवा करने से, दुखी और गरीबों का सहारा बनने से। बेसहारों को सहारा देने से। बुजुर्गों का सम्मान करने से। एक कटु सच यह भी है- जो ज्ञानी होता है, उसे समझाया जा सकता है, जो अज्ञानी होता है, उसे भी समझाया जा सकता है, परंतु सच तो यही है कि जो अभिमानी और अहंकारी होता है, उसे कोई नहीं समझा सकता। हां, उसे वक्त जरूर समझा देता है।
समाचार4मीडिया.कॉम देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया में हम अपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
टैग्स