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हिम्मती पत्रकार बनें शोभा जी, बोले वरिष्ठ पत्रकार निर्मलेंदु
निर्मलेंदु एग्जिक्यूटिव एडिटर, ‘राष्ट्रीय उजाला’ शोभा डे ने इस बार सुषमा स्वराज को सलाह दे दी। उनकी सलाह पर ट्विटर ने कहा, ट्वीट ऐसा करो जो शोभा दे! जी हां
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago
निर्मलेंदु
एग्जिक्यूटिव एडिटर,
‘राष्ट्रीय उजाला’
शोभा डे ने इस बार सुषमा स्वराज को सलाह दे दी। उनकी सलाह पर ट्विटर ने कहा, ट्वीट ऐसा करो जो शोभा दे! जी हां हम भी शोभा जी को यही कहना चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने अगर नोटबंदी पर कही होती, तो मैं कुछ नहीं लिखता।
उन्होंने अगर पीएम पर टिप्पणी की होती, तो इस पर भी मैं कुछ नहीं रिएक्ट करता। लेकिन उन्होंने एक न केवल सभ्य, शालीन और प्रतिभाशाली व्यक्तित्व पर चोट कर दिया। शोभा जी आप फिल्मों तक ही सीमित रहें, तो अच्छी बात है। आप गोविंदा पर लिखें, सलमान पर लिखें, और भी फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने ऐक्टर और ऐक्ट्रेस पर लिखें, तो बात समझ में आ जाती है, लेकिन कभी आप ओलिम्पिक जानेवाली टीम इंडिया पर लिख देती हैं, तो कभी आप सुषमा स्वराज पर लिख देती हैं।
आपके नाम से यह शोभा नहीं देता शोभा जी। नोटबंदी में इतने लोग मारे गये, उस पर आपकी कलम नहीं चली। लोग रात रात भर परेशान रहे, उस पर आपकी कलम नहीं चली। बेरोजगारी बढ़ गई, उस पर आपकी कलम नहीं चली, हजारों की तादाद में मजदूर मारे गये, उस पर आपकी कलम नहीं चली। कुछ घरों में शादियां नहीं हुर्इं, उस पर आपकी कलम नहीं चली। लेकिन सुषमा पर ही क्यों? सुषमा जी ने ऐसा कोई काम नहीं किया, जिस पर आप इस तरह से लिखें। शर्म आती है इस तरह की बिगड़ैल पत्रकारिता पर। क्या आपको नहीं लगता कि हमारे विदेश मंत्री कमाल की हैं। क्या आपको नहीं लगता कि उनसे हमें कुछ सीखना चाहिए। ये वही विदेश मंत्री हैं, जिन्होंने पत्रकारिता के शिखर पुरुष एस पी सिंह की किताब का विमोचन किया था। जब वह भाषण दे रही थीं, तो ऐसा लग रहा था कि वह कल रात को एस पी सिंह से मिल कर आई हैं। मेरा मानना यही है कि यदि लगातार पवित्र विचार करते रहेंगे, तो बुरे संस्कारों को दबाने में आसानी होगी। एक गलत शब्द इंसान की जिंदगी बदल देता है। याद रखें, प्रत्येक व्यक्ति प्रतिभावान है। लेकिन यदि आप किसी मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से आंकेंगे, तो वह अपनी पूरी जिन्दगी यह सोच कर बिता देगी कि वह मूर्ख है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आप बुद्धिमान हैं। आप लेखिका हैं। इसलिए ध्यान रखें, सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय और योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए। कुछ कहने से पहले सोचें, परखें, जानें, उसकी खुद ही आलोचना करें, फिर लिखें। आप क्या लिख रही हैं, उस पर युवा पीढ़ी क्या प्रतिक्रिया करती है, यह भी देखना होगा। दरअसल, बच्चों पर निवेश करने की सबसे अच्छी चीज है अपना समय, उत्तम विचार और अच्छे संस्कार। ध्यान रखें, एक श्रेष्ठ बालक का निर्माण सौ विद्यालय को बनाने से भी बेहतर है। इसलिए ऐसा लिखें जिस पढ़कर बच्चे सोचने पर मजबूर हो जाएं कि वाह वाह, क्या लिखा? शोभा जी ने रियो ओलिंपिक में गए भारतीय खिलाड़ियों पर भी टिप्पणी की थी। इस बार सुषमा पर ट्विट करके उन्होंने एक बार फिर ओखली में सिर दे दिया है। अब अपने बयानों को लेकर विवादों में पड़ने वाली शोभा डे ने विदेशमंत्री सुषमा स्वराज को सलाह दी है कि वह ट्वीट जरा कम करें। मेरा सवाल यह है कि क्यों वे ट्विट कम करें। शोभा जी आप उनके बॉस नहीं हैं। हालांकि डे ने इस ट्वीट में स्वराज को टैग नहीं किया, लेकिन इसके बावजूद ट्विटर की दुनिया को उनकी यह टिप्पणी हजम नहीं हुई और इसीलिए उन्हें अलग अलग प्रतिक्रियाएं मिलनी शुरू हो गर्इं। बता दें कि डे ने शुक्रवार को ट्वीट में लिखा था - सुषमा स्वराज : 2017 का वादा - शांत रहें और ट्वीट न करें। एक ट्विटर यूजर श्वेता झलानी ने लिखा कि राखी सावंत भी आपसे बेहतर बातें करती हैं। हमारी विदेशमंत्री कमाल की हैं। उनका सम्मान कीजिए। वहीं एक और ट्वीट में लिखा गया कि किसी दिन शोभा डे को एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया जाएगा और स्वराज को मदद के लिए ट्वीट ही करेंगी। सर रवींद्र जडेजा नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया - शोभा डे - 2017 का वादा - ट्वीट ऐसा करो जो शोभा दे..' वहीं एक ट्वीट के मुताबिक डे ने ऐसा जानबूझकर लिखा है। वह सुषमा स्वराज को टैग कर सकती थीं लेकिन उनमें ऐसा करने की हिम्मत नहीं है।Sushma Swaraj : Resolution for 2017 - Keep calm and stop tweeting.
— Shobhaa De (@DeShobhaa) January 13, 2017
@DeShobhaa haha even Rakhi sawant sounds better then you. She is just incredible Foreign Minister we ever had. Do respect her. — shweta jhalani (@shwetajhalani) January 13, 2017
हमें दार्शनिक प्लूटार्क की यह बात याद रखनी होगी कि केवल थोड़े से कुकर्म, बहुत से गुणों को दूषित करने में समर्थ होते हैं। अब बीजेपी के मंत्री अनिल विज ने कहा, नोटों से भी हटेंगे गांधी। जब बीजेपी की ओर से इसका विरोध हुआ, तो तुरंत अपने बयान को वापस ले लिया। हमारा मानना यही है कि ऐसे बयान लोग देते ही क्यों हैं कि बाद में यू टर्न लेना पड़े। हालांकि माफी मांगना पत्रकारों की आदत नहीं होती, क्योंकि वे सर्वगुणसंपन्न होते हैं। वे जो लिखते-पढ़ते हैं, वे ही ब्रह्मवाक्य होते हैं। दरअसल, हमे एक सीनियर पत्रकार से ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके। दूसरों का सम्मान करना भी एक कला है। हमेशा पॉजिटिव सोचना भी एक कला है। दरअसल, हर व्यक्ति में नेगेटिव तत्व होते हैं, लेकिन हम यदि पॉजिटिव सोचेंगे, तो उसका रिजल्ट पॉजिटिव ही होगा।
मुझे एक कहानी याद आ रही है। यह कहानी है नारद और श्रृष्ण भगवान की। इसे हमारी दादी सुनाया करती थीं। एक दिन नारद जी गुनगुनाते हुए भगवान कृष्ण के पास पहुंचे। वे प्रसन्न मुद्रा में बैठे हुए थे। उन्हें जरूरत से ज्यादा प्रसन्न देखकर नारद मुनि ने कहा कि चलिए प्रभु थोड़ा टहल आते हैं। देखते हैं कि देश की हालत कैसी है। प्रभु ने कहा चलिए। टहलते टहलते वे पूरा देश घूम आए। सब खुश थे, तो कुछ दुखी भी थे। लेकिन अचानक नारद जी ने चलते चलते प्रभु से अपना हाथ मुंह में रख कर कहा, प्रभु आगे मत जाइए। प्रभु ने पूछा कि क्यों? नारद जी ने कहा, मुंह ढंक लीजिए। फिर प्रभु ने पूछा क्यों? प्रभु आगे की तरफ निकलते गये। और अचानक देखा कि एक कुत्ता मृत पड़ा है। वह कुत्ता इतना जल चुका था कि गंध आ रही थी। नारद जी ने उन्हें फिर रोका, लेकिन प्रभु आगे बढ़ते ही गये। प्रभु को अब समझ में आ गया कि नारद जी उन्हें आगे जाने से क्यों रोक रहे थे। उन्होंने नारद जी को कहा कि दुर्गंध आ रही है, इसलिए आप मुझे रोक रहे हैं। लेकिन क्या आपने उसकी आंखें देखंीं। वे आंखें आज भी चमक रही हैं। नारद जी समझ गये कि कमियों को न देखें, खूबियों को देखेंगे, तो जिंदगी स्वर्ग बन जाएगा।
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