होम / विचार मंच / टीवी पत्रकार डॉ. प्रवीण तिवारी ने बताई केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे की अंतिम इच्छा...
टीवी पत्रकार डॉ. प्रवीण तिवारी ने बताई केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे की अंतिम इच्छा...
शांत चित्त चेहरा, हमेशा बनी रहने वाली मुस्कान और गंभीरता से सभी की बात को सुनने की कला ये वो बातें हैं जो मेरे जेहन में स्व. अनिल माधव दवे की स्मृतियों को हमेशा जिंदा रखेंगी...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago
केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अनिल माधव मोदी सरकार में पर्यावरण मंत्री थे, 61 साल की उम्र में उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह एम्स में भर्ती थे, वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व सीनियर एंकर डॉ. प्रवीण तिवारी ने एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने बताया कि पर्यावरण संत अनिल माधव दवे एक बड़ी योजना पर काम कर रहे थे। उनकी अंतिम इच्छा क्या थी आप वरिष्ठ पत्रकार के इस लेख में पढ़ सकते हैं-
पर्यावरण संत अनिल माधव दवे कर रहे थे एक बड़ी योजना पर काम, ये थी उनकी अंतिम इच्छा
दवे जी इस तकनीक से बहुत प्रभावित थे क्योंकि वो मध्य प्रदेश के हर गांव में पीने का शुद्ध पानी देने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे थे। पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक सोच का होने की वजह से वो जानते थे कि पानी को शुद्ध करने की उपलब्ध तकनीक पानी को बहुत बर्बाद करती हैं और पानी के पोषक तत्वों को भी खत्म कर देती हैं।
इसी
मकसद के साथ उन्होंने हाल ही में सिंगापुर के वैज्ञानिकों से मुलाकात की थी और एक
ऐसा ही प्लांट भोपाल के नजदीक रामनगर में नर्मदा के किनारे अपने आश्रम में लगवाया
था। इस प्लांट का पानी आस पास के गांव के लोगों ने छः महीने तक इस्तेमाल किया और
इसके बाद उन्होंने इस तकनीक पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए अपनी पूरी सांसद
निधि लगा दी। ये प्रोजेक्ट उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण था और इसीलिए वे खुद लगातार
इस पूरे प्रोजेक्ट पर नजर बनाए हुए थे।
अच्छी बात ये है कि अपने निधन से पहले वो मध्यप्रदेश के कई गांवों के लिए शुद्ध पेयजल की एक आधार शिला रख गए हैं। उन्होंने प्रदेश के कई जिलों के कलेक्टरों को इस तरह की तकनीक के साथ प्लांट लगाने के लिए निर्देश जारी कर दिए थे।
दवे जी आरओ तकनीक के सख्त खिलाफ थे। उनका मानना था कि ये तकनीक न सिर्फ पानी की जबरदस्त बर्बादी करती है बल्कि पानी की गुणवत्ता को भी पूरी तरह खत्म कर देती है। ये तकनीक पानी के सभी मिनरल्स को खत्म करती है जो हमारे शरीर पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। आज के दौर में इतनी गहन समझ के राजनेताओं का मिलना बहुत मुश्किल है। वे लगातार अध्ययन करते रहते थे और नए शोधों के बारे में खुद को अपडेट रखते थे। नर्मदा को बचाने के लिए उन्होंने एक बड़ा अभियान चलाया और ये राष्ट्र उनके इस अमूल्य योगदान को कभी नहीं भूलेगा।
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि यही पर्यावरण संत अनिल माधव दवे की अंतिम इच्छा भी थी कि इस देश के सभी लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जाए। उन्होंने सिर्फ ये सपना ही नहीं देखा बल्कि इस पर आगे बढ़ते हुए मध्य प्रदेश में अपनी पूरी सांसद निधि का इस्तेमाल कर अन्य नेताओं के सामने एक मिसाल भी पेश की है। एक दूरदृष्टा राजनीतिज्ञ और पर्यावरण विद् अनिल माधव दवे जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
समाचार4मीडिया.कॉम देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया में हम अपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
टैग्स