होम / विचार मंच / कुमार पंकज के कीबोर्ड से: मुलायम ने चला दांव, ब्रैंड अखिलेश में ‘पाल बंधु’ का तड़का...

कुमार पंकज के कीबोर्ड से: मुलायम ने चला दांव, ब्रैंड अखिलेश में ‘पाल बंधु’ का तड़का...

कुमार पंकज  वरिष्ठ पत्रकार

समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 years ago

कुमार पंकज 
वरिष्ठ पत्रकार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं।  उनकी सुर्खियां जिन भी वजहों से है लेकिन इसके पीछे 'पाल बंधु' यानी रामगोपाल और शिवपाल की भूमिका महत्वपूर्ण है। भले ही समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की दृश्टि से 'पाल बंधु' खलनायक की स्थिति में हो लेकिन अखिलेश की ब्रैंडिग करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी हैं और उन्होने जो भी दांव खेला है वह काफी सोच-समझकर खेला है। सियासत की अपनी मजबूरियां होती हैं और सत्ता को हस्तांतरण करने की अपनी मजबूरी। मुलायम सिंह यादव के सामने यह दोनों मजबूरियां आज खुलकर सामने आ गई हैं। सियासत में लंबे समय से संघर्ष के साथी रहे नेताओं को साधना मुलायम की मजबूरी है तो सत्ता हस्तांतरण में भी बड़े बेटे अखिलेश को मजबूत बनाना पिता का दायित्व। मुलायम ने भले ही शिवपाल के कहने पर बेटे को पार्टी से निकाल दिया लेकिन दूसरी चाल उन्होने यह भी चली कि रामगोपाल को भी पार्टी से निकाल दिया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मुलायम दोनों ही भाइयों की सियासी चाल से वाकिफ न हो। दोनों तरफ से ही वह इस चीज को समझ रहे हैं कि अगर शिवपाल या रामगोपाल कोई भी अखिलेश के साथ जुड़ा रहा तो दोनों ही नुकसान कर सकते हैं, क्योंकि शिवपाल की स्वयं की महत्वाकांक्षा है तो रामगोपाल की अपने बेटे को युवा चेहरे के रुप में उभारने की महत्वाकांक्षा।
शिवपाल और रामगोपाल की चाल को मुलायम भी भली भांति समझते हैं लेकिन इन सबके बावजूद अखिलेश की ब्रैंडिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। यही कारण है कि जबसे अखिलेश ने सत्ता संभाली है, बीच-बीच में मुलायम नसीहत देकर अखिलेश की ब्रैंडिंग करते रहे हैं। समाजवादी पार्टी की सियासत को नजदीक से जानने वाले समझ सकते हैं कि हिंदी पट्टी का नये हीरो अखिलेश यादव की सोच दूरदर्शी है और वे अगले 20-25 साल तक देश और प्रदेश की सियासत में महत्वपूर्ण दखल रखने वाले हैं।
पिछले दो दिनों के घटनाक्रम में अखिलेश यादव की जो छवि उभरकर सामने आई है वह दक्षिण के नेताओं की तरह है। इससे पहले उत्तर भारत की सियासत में कभी भी अपने नेता को चाहने वाले इस तरह से विरोध-प्रदर्शन करते नजर नहीं आए।
मीडिया ने भी अखिलेश की ब्रैंडिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। नोटबंदी से उपजे हालात और नए साल के जश्‍न की तैयारियों के बीच अखिलेश यादव साल 2016 के अंत में सबसे ज्यादा टीवी पर दिखाई देने वाला चेहरा बन गए। वजह पूरा देश जानता है। विरोधियों की नजर में पिता के लायक पुत्र को नालायक की दृष्ठि से जरुर देखा जा सकता है लेकिन पुत्र के फैसले को पिता दिल से स्वीकार भी कर रहे हैं। कुछ ऐसे दृश्य जिसकी झलक न तो आम जनता को मिली है और न ही मीडिया वालों को इसलिए उन दृश्यों पर भी गौर करने की जरुरत है। मुलायम सिंह यादव पुत्र को मजबूत करने के लिए उन सलाहकारों से भी दूरी बनाने की दिशा में अग्रसर हैं जिन्होने अखिलेश को कमजोर करने के लिए पूरी ताकत लगा दी। अखिलेश मुख्यमंत्री रहते हुए भी कई फैसले ले नहीं पाते थे क्योंकि कुछ फैसलों पर रामगोपाल का कब्जा था तो कुछ पर शिवपाल का। इसलिए विरोधी प्रदेश में कई मुख्यमंत्री होने की बात करते रहे। इसलिए पिता का दायित्व निभाते हुए मुलायम ने पुत्र के लिए वो रास्ता तैयार कर दिया है जिसमें अब किसी की छत्रछाया न हो। यानी की अखिलेश हर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हों। आज अखिलेश  ने जो फैसला लिया है वह उसी की एक बानगी है।
समाजवादी पार्टी टूटे या बिखरे एक बात साफ हो गई है कि अखिलेश अब एक ब्रैंड बन गए और मीडिया भी इस ब्रैंड को हाथों-हाथ ले रहा है। टीम अखिलेश के लिए यह फक्र की बात हो सकती है कि आज दो महत्वपूर्ण लोग जो कि अखिलेश की बराबरी में खड़ा होने का दंभ भरते थे वे रामगोपाल और शिवपाल अब टीम अखिलेश के लिए महज एक कार्यकर्ता भर रह गए हैं। पाल बंधुओं ने अखिलेश की ब्रैंडिंग में ऐसा तड़का लगा दिया है कि अब यह ब्रैंड जल्दी कमजोर होने वाला नहीं है। बाकी तो रही सही मजबूती मीडिया समय-समय पूरा ही करता रहता है।


टैग्स
सम्बंधित खबरें

‘भारत की निडर आवाज थे सरदार वल्लभभाई पटेल’

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन ऐसी विजयों से भरा था कि दशकों बाद भी वह हमें आश्चर्यचकित करता है। उनकी जीवन कहानी दुनिया के अब तक के सबसे महान नेताओं में से एक का प्रेरक अध्ययन है।

4 hours ago

भारत और चीन की सहमति से दुनिया सीख ले सकती है: रजत शर्मा

सबसे पहले दोनों सेनाओं ने डेपसांग और डेमचोक में अपने एक-एक टेंट हटाए, LAC पर जो अस्थायी ढांचे बनाए गए थे, उन्हें तोड़ा गया। भारत और चीन के सैनिक LAC से पीछे हटने शुरू हो गए।

1 day ago

दीपावली पर भारत के बही खाते में सुनहरी चमक के दर्शन: आलोक मेहता

आने वाले वर्ष में इसके कार्य देश के लिए अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की नींव रख सकते हैं।

1 day ago

अमेरिकी चुनाव में धर्म की राजनीति: अनंत विजय

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार हो रहे हैं। डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है।

1 day ago

मस्क के खिलाफ JIO व एयरटेल साथ-साथ, पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

मुकेश अंबानी भी सेटेलाइट से इंटरनेट देना चाहते हैं लेकिन मस्क की कंपनी तो पहले से सर्विस दे रही है। अंबानी और मित्तल का कहना है कि मस्क को Star link के लिए स्पैक्ट्रम नीलामी में ख़रीदना चाहिए।

1 week ago


बड़ी खबरें

क्या ब्रॉडकास्टिंग बिल में देरी का मुख्य कारण OTT प्लेटफॉर्म्स की असहमति है?

विवादित 'ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल' को लेकर देरी होती दिख रही है, क्योंकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय को हितधारकों के बीच सहमति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

17 hours ago

फ्लिपकार्ट ने विज्ञापनों से की 2023-24 में जबरदस्त कमाई

फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।

18 hours ago

ZEE5 ने मनीष कालरा की भूमिका का किया विस्तार, सौंपी अब यह बड़ी जिम्मेदारी

मनीष को ऑनलाइन बिजनेस और मार्केटिंग क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है और उन्होंने Amazon, MakeMyTrip, HomeShop18, Dell, और Craftsvilla जैसी प्रमुख कंपनियों में नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाई हैं।

9 hours ago

विनियमित संस्थाओं को SEBI का अल्टीमेटम, फिनफ्लुएंसर्स से रहें दूर

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भारत के वित्तीय प्रभावशाली व्यक्तित्वों, जिन्हें 'फिनफ्लुएंसर' कहा जाता है, पर कड़ी पकड़ बनाते हुए एक आदेश जारी किया है।

18 hours ago

डॉ. अनुराग बत्रा की मां श्रीमती ऊषा बत्रा को प्रार्थना सभा में दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘e4m’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।

15 hours ago