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गलती मीडिया की है, इसलिए समाचार4मीडिया मांगता है माफ़ी...

हम यानी समाचार4मीडिया देशवासियों से मांफी मांगते हैं...खबर की शुरुआत माफ़ी से करने का....

समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago

समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।

हम यानी समाचार4मीडिया देशवासियों से मांफी मांगते हैं...खबर की शुरुआत माफ़ी से करने का साहस कोई दूसरा संस्थान भले ही न कर पाए, लेकिन हमारे अंदर यह साहस भी है और अपनी बिरादरी की ओर से होने वाली गलतियों के लिए खुद माफ़ी मांगने की हिम्मत भी। हमें नहीं पता कि हमारे इस कदम को दूसरे सकारात्मक रूप में स्वीकार करेंगे या नहीं, मगर ऐसा करके हम मीडिया की विश्वसनीयता को बनाये रखने के भाव को महसूस ज़रूर कर पाएंगे। हम मानते हैं कि पत्रकारिता महज ख़बरों को सनसनीखेज़ रूप में पेश करना ही नहीं है, बल्कि तथ्यों को जांच-परखकर, उनकी सत्यता की पुष्टि करके पाठकों-दर्शकों के सामने प्रस्तुत करना है। इसीलिए हम तेज़ बनने की दौड़ में पत्रकारिता के सिद्धांतों एवं मूल्यों को तिलांजलि नहीं देते...यही हमारी कमाई है और यही कमाई हमारी आत्मसंतुष्टि की वजह... 

मसाला किंग के रूप में चर्चित एमडीएच के मालिक महाशय धर्मपाल के निधन की खबर शनिवार को सोशल मीडिया से होते हुए कई मीडिया हाउस की ब्रेकिंग न्यूज़ बन गई। आनन-फानन में प्रतिष्ठित कहे जाने वाले न्यूज़ पोर्टल ने इसे ब्रेकिंग टैग के साथ चस्पा कर दिया, पलक झपकते ही महाशय धर्मपाल को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला भी शुरू हो गया। लेकिन रविवार सुबह जब खबर की असलियत सामने आई तो तमाम मीडिया संस्थानों के लिए यह एक और शर्मिंदगी भरा दिन था। लगातार फैल रही इस फर्जी खबर को देखते हुए महाशय धर्मपाल के परिवार को बाकायदा वीडियो जारी करके यह बताना पड़ा कि वो बिल्कुल ठीक हैं। सबसे ज्यादा अफ़सोस की बात तो ये है कि अपनी गलती का भान होने के बावजूद किसी भी मीडिया संस्थान ने आगे बढ़कर माफ़ी मांगने की ज़हमत नहीं उठाई....यही वजह है कि समाचार4मीडिया उनकी तरफ से संपूर्ण देशवासियों और महाशय धर्मपाल के परिवार से माफ़ी मांगता है।

अमूमन होता ये है कि कोई खबर मीडिया से होते हुए सोशल मीडिया पर आती है, लेकिन इस मामले में उल्टा हुआ। मीडिया ने सोशल मीडिया पर चल रही खबर का संज्ञान लिया और बिना किसी पुष्टि के अपने पाठकों-दर्शकों के सामने परोस दिया। अब इसे आलस्य कहें या नाकारापन कि दिल्ली में बैठा मीडिया दिल्ली में रहने वाले महाशय धर्मपाल के परिवार से उनके निधन की असलियत नहीं जान पाया। किसी को जीते-जी स्वर्गवासी कर देना महज मामूली गलती नहीं बल्कि अक्षम्य अपराध है और इस अपराध में केवल नए या अनुभवहीन पत्रकार ही नहीं, बल्कि खुद को सर्वेसर्वा कहने वाले वे पत्रकार भी दोषी हैं, जो पत्रकारिता के मूल्यों एवं सिद्धांतों की दुहाई देते नहीं थकते। क्यों संबंधित मीडिया संस्थानों के प्रबंधन ने बिना जांच-पड़ताल के ऐसी ख़बरों पर आपत्ति नहीं उठाई और क्यों गलती की माफ़ी मांगने का साहस नहीं दिखाया, ये सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए? 

ऐसा नहीं है कि केवल महाशय धर्मपाल के संबंध में ही मीडिया का ये उतावला स्वरूप सामने आया है, ऐसी गलतियां अक्सर होती रहती हैं और शायद यही वजह है कि कुछ पत्रकार इन गलतियों को ‘आवश्यक गलती’ समझ बैठे हैं, जो टीआरपी बढ़ाने और खुद को दूसरों से आगे दिखाने के लिए ज़रूरी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में भी ऐसी ‘आवश्यक गलतियां’ हो चुकी हैं। उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि होने से पहले ही तमाम चैनल और न्यूज़पोर्टल उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर चुके थे। डिजिटल मीडिया युग में ब्रेकिंग का बहुत महत्व है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन ब्रेकिंग की सनक में किसी के बारे में कुछ भी चला देना कहाँ तक जायज है? यह निर्धारित करने का समय अब आ गया है। पत्रकारिता की पाठशाला से निकलने वाले प्रत्येक व्यक्ति को जीवन घुट्टी की तरह यह बात घोंटकर पिलाई जाती है कि बिना तथ्यों को परखे, सत्य को खंगाले किसी सूचना को खबर का रूप नहीं देना चाहिए, तो फिर यह गलती बार-बार क्यों हो रही है, क्या पत्रकारिता की पाठशाला के पाठ्यक्रम में बदलाव की आवश्यकता है या पत्रकारों ने मानवीय दृष्टिकोण या सही गलत के भेद को समझने का प्रयास करना छोड़ दिया है? 

एक तरफ तमाम मीडिया संस्थान स्पेशल कार्यक्रमों के माध्यम से जनता को फर्जी खबर और सोशल मीडिया के संबंधों की बारीकियों को समझाते हैं और दूसरी तरफ उसी सोशल मीडिया को अपने विश्वसनीय स्रोत के रूप में इस्तेमाल करते हैं? क्या ये नासमझी और जनता के साथ विश्वासघात नहीं? इसके अलावा यह सवाल भी महत्वपूर्ण है कि आखिर मीडिया को माफ़ी से इतना परहेज क्यों है? यदि एक पत्रकार या संस्थान दूसरों की गलती पर उनसे माफ़ी की अपेक्षा कर सकता है, उसे बड़ा मुद्दा बना सकता है, नैतिक मूल्यों की दुहाई दे सकता है, तो खुद अपनी गलती पर माफ़ी क्यों नहीं मांगता? क्या पत्रकारिता केवल दूसरों की गलती उजागर करने का नाम है? दरअसल, सरकार, प्रशासन, नेता और आम जनता की गलतियों को सामने लाने के लिए मीडिया है, लेकिन मीडिया की गलतियों को दर्शाने वाला कोई नहीं, यही वजह है कि बड़े-बड़े पत्रकार और संस्थान गलती करके भी आत्मग्लानि के भाव से पीड़ित नहीं होते। उन्हें अपनी गलती में कुछ ‘गलत’ दिखाई ही नहीं देता। जो आइना मीडिया हाउस दूसरों को दिखाते हैं, यदि उसी आइने में अपनी भी तस्वीर देख लें तो मीडिया की विश्वसनीयता भी बनी रहेगी और पत्रकारिता का मजाक भी नहीं उड़ेगा। और जब तक पत्रकारों में यह समझ विकसित नहीं हो जाती, समाचार4मीडिया उनकी गलतियों पर देशवासियों से माफ़ी मांगता रहेगा। क्योंकि शुरुआत किसी को तो करनी है।

 


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