होम / विचार मंच / क्या आप पत्रकारिता के ‘मसीहानंद’को पहचानते हैं? ये दर्शकों को डराता है...

क्या आप पत्रकारिता के ‘मसीहानंद’को पहचानते हैं? ये दर्शकों को डराता है...

बाबा मसीहानंद अपने आसन पर बैठा है। लड़की ठीक उसके सामने घबराई सकुचाई बैठी है...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago

पत्रकारिता के मसीहानंदों को पहचानिए। मनोविज्ञान में कहा गया है कि जिस चीज़ के लिए मना किया जाए इंसान सबसे ज्यादा वही करना चाहता है.. वैसे ही जब आपको हिंदू-मुसलमान के खेल से बचने के लिए बोलकर किसी उग्र हिंदू भीड़ से मिलवाया जा रहा होता है तो उस खेल से बचिएअपने ब्लॉग (www.sushantsinha.news) में ये स्क्रिप्ट लिखी टीवी पत्रकार सुशांत सिन्हा ने। उनकी लिखी ये पूरी स्क्रिप्ट आप यहां पढ़ सकते हैं-

पत्रकारिता के मसीहानंदऔर उग्र हिंदूभीड़ की स्क्रिप्ट!

दृश्य 1: बाबा मसीहानंद अपने आसन पर बैठा है। लड़की ठीक उसके सामने घबराई सकुचाई बैठी है। मसीहानंद ने लड़की को कहना शुरू किया है कि घबराने की ज़रूरत नहीं है, ऊपरवाला सब देखता है और अच्छे लोगों के साथ बुरा नहीं होता। लेकिन चौथी ही लाइन में मसीहानंद लड़की को डराने लगता है कि दुनिया में कैसे जिस्म के भूखे भेड़िए घूम रहे हैं। हर तरफ़ लड़कियों का बलात्कार हो रहा है.. उसकी आबरू भी खतरे में है। और फिर वो लड़की को कमरे में ले जाता है। लड़की को अपनी आगोश में ले लेता है। लड़की घबरा जाती है, पूछती है कि ये तो गलत है। बाबा मसीहानंद बताता है कि गलत तो वो है जो बाहर हो रहा है, यहां तो वो उसकी आगोश में सुरक्षित है.. वो तो उसका भला चाहता है। जो वो कह रहा है वही सत्य है और लड़की को खुद को उसे समर्पित कर देना चाहिए।

दृश्य 2: पत्रकारिता के मसीहानंद अपनी कुर्सी पर बैठ चुके हैं। दर्शक टीवी के सामने घबराया सकुचाया बैठा है। पत्रकारिता के मसीहानंद ने दर्शकों को बताना शुरू किया है कि कैसे हिंदू-मुसलमान को लड़ाने की साज़िश हो रही है जबकि समाज एक है और कोई किसी का बुरा नहीं चाहता। लेकिन चौथी ही लाइन में मसीहानंद दर्शकों को डराने लगता है कि देश में कैसे एक भीड़ पैदा हो गई है। कैसे हिंदुओं की ये भीड़ आतुर बैठी है हमला करने को। कोई है जो आपके लड़के को उस हिंदू भीड़ का हिस्सा बना रहा है। दर्शक घबरा जाता है। लेकिन वो मन में सोचता है कि उसका सामना तो ऐसी भीड़ ने नहीं हुआ अभी तक। पर मसीहानंद उसे समझाता है कि देश का सच वही है जो पत्रकारिता का मसीहानंद समझा रहा है। वो दर्शकों का भला चाहता है और इसी लिए हिंदू भीड़ और उसके आतंक से आगाह कर रहा है। जो वो कह रहा है वही सत्य है और दर्शक को खुद को उसे समर्पित कर देना चाहिए।

सवालपत्रकारिता के मसीहानंद एक तरफ तो हिंदू-मुसलमान को भाई बताते हैं, समान बताते हैं लेकिन दूसरी तरफ भीड़ को हिंदू-मुसलमान में क्यों बांटते हैं? इस उग्र हिंदू भीड़ की ज़मीन क्यों तैयार कर रहे हैं? उसका डर क्यों पैदा कर रहे हैं?

जवाबसब जानते हैं कि भीड़-भीड़ होती है। चाहे वो श्रीनगर में मस्जिद के बाहर एक पुलिस अफसर को पीट पीटकर मार देने वाली भीड़ हो या फिर यूपी में अखलाक की जान ले लेने वाली भीड़। लेकिन क्यों कुछ लोग श्रीनगर वाली भीड़ को सिर्फ हिंसक भीड़ और यूपी वाली भीड़ को उग्र हिंदू भीड़ के बीच बांट देते हैं85 करोड़ हिन्दुओं की आबादी वाले मुल्क में 100-50 या कुछ हजार लोग पूरे हिन्दू समाज का चेहरा कैसे हो सकते हैं? प्रतिशत निकालिएगा तो .001% भी नहीं होंगे लेकिन बीते कुछ साल से एक उग्र हिंदू भीड़ आपके आसपास हमले के लिए तैयार बैठी है कि स्क्रिप्ट इसलिए लिखी जा रही है ताकि समाज बंट सके। बंट सके उस अनदेखे डर के नाम पर जिसको जानबूझकर बार बार दिखाने की कोशिश की जा रही है। मुसलमान को ये लगे कि उसके लिए मौजूदा सरकार खतरा है, अगर यही सरकार लौटी तो ये उग्र हिंदू भीड़ इतनी बड़ी हो जाएगी कि उसका रहना मुश्किल हो जाएगा और यही वो डर है जो मुस्लिम वोट बैंक को सरकार के खिलाफ़ एक जुट कर सकता है। इतना ही नहीं, हिंदूओं का बड़ा लिबरल वर्ग भी इस डर से भर सकता है कि वाकई उनका बच्चा उग्र भीड़ का हिस्सा न बन जाए और हिन्दुओं का वो वोट भी मौजूदा सरकार के पक्ष में जाने से रुक जाए। ऐसे में इस पूरे डर को पैदा करने की वजह हिंदू मुसलमान को आमने सामने खड़ा कर देना है ताकि 2019 में सियासी समीकरण पलट सके और इन मसीहानंदों के राजनीतिक आकाओं को फायदा पहुंच सके।

सवालतो क्या ये सच नहीं कि 2014 के बाद से ही हिन्दू-मुसलमान के बीच टकराव बढ़ गया है?

जवाबनहीं। इस मुल्क में हिन्दू-मुसलमान हमेशा से मिलकर रहने के बावजूद गाहे बगाहे टकराते भी रहे हैं। बीते 50 सालों में (1967-2017) इस देश ने 58 बहुत बड़े दंगे देखे हैं जिनमें 12,828 लोगों की जान गई है। इतना ही नहीं, बीते 50 सालों में 17 ऐसे दंगे जिनमें 100 से ज्यादा लोगों की जानें गई हो उनमें से 9 कांग्रेस और उसके गठबंधन शासित राज्यों में हुए, 4 दूसरी पार्टियों के राज में और 1 बीजेपी के राज में हुआ। कहने का मतलब ये कि इस देश में दंगों का भी इतिहास रहा है और दूसरी पार्टियों के राज में भी दंगे होने का इतिहास रहा है लेकिन आपको बीते कुछ वक्त से बार बार यही समझाया जाता रहा है कि देश में आजादी के बाद से अमन-चैन था और सारी हिंसा और टकराव साल 2014 के बाद से शुरू हुआ।

सवालक्या इस देश में मुसलमानों पर अत्याचार नहीं हुए?

जवाबबिलकुल हुए। कांग्रेस के नेता सलमान खुर्शीद ने भी माना है कि कांग्रेस के दामन पर मुसलमानों के खून के धब्बे हैं। यानि अत्याचार हुए होंगे तभी तो खून के धब्बे लगे होंगे, चाहे जिस पार्टी पर लगें। लेकिन सच ये भी है कि इस देश में अत्याचार सिर्फमुसलमानों पर हो रहे हों ऐसा ही नहीं है। कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार का भी खौफनाक इतिहास है। इतना ही नहीं आजादी के पहले चले जाइए तो बाबा साहब अम्बेडकर अपनी किताब (थॉट्स ऑन पाकिस्तान) में लिख चुके हैं कि कैसे 1920 में विद्रोह तो अंग्रेज़ों के खिलाफ था लेकिन हिन्दू महिलाओं का भी बलात्कार हुआ था.. 1924 में कोहाट में दंगे हुए तो 155 लोग मारे गए और हिंदुओं को शहर छोड़ना पड़ा था। यानि हिन्दू बहुसंख्यक भले हो लेकिन उसे भी अत्याचार सहने पड़े हैं। 1984 में सिखों ने जो सहा वो कौन नहीं जानता। दलित आज भी अत्याचार सह रहे हैं। यानि अत्याचार किसी एक के हिस्से ही नहीं आया इस मुल्क में और जो आपको ऐसा बताकर बरगला रहे हैं दरअसल वो भी आप पर अत्याचार कर रहे हैं क्योंकि उन्हें आपसे नहीं आपके वोट भर से मतलब है।

सवालक्या करना चाहिए फिर?

जवाबपत्रकारिता के मसीहानंदों को पहचानिए। मनोविज्ञान में कहा गया है कि जिस चीज़ के लिए मना किया जाए इंसान सबसे ज्यादा वही करना चाहता है.. वैसे ही जब आपको हिंदू-मुसलमान के खेल से बचने के लिए बोलकर किसी उग्र हिंदू भीड़ से मिलवाया जा रहा होता है तो उस खेल से बचिए। ऐसे लोग न हिंदू के हैं, न मुसलमान के। रेप को हिंदू मुसलमान बनाते हैं तो देखिए क्या होता हैकोई रेप में देवी-स्थानको ज्यादा अहमियत देने लगता है तो कोई मदरसे में हुए रेप को मुद्दा बनाने लगता है जबकि मुद्दा तो उस पीड़िता का दर्द होना चाहिए था। रेप कमरे में हो, देवी स्थान में या मदरसे मेंरेप, रेप होता है। लेकिन कैसे आपको हिंदू मुसलमान के लिए तैयार कर दिया जाता है उसे समझिए। आज रेप पर हो रहा है कल किसी और मुद्दे पर होगा। बाहर निकलिए और देखिए, कैसे एक ही ऑफिस में हिंदू भी काम कर रहा है और मुसलमान भी। मिलकर रहिएगा तो ऐसे लोगों से बच पाइएगा। चंद मुसलमान आतंकी हर मुसलमान को आतंकी नहीं बना सकते तो चंद हिंदुओं का कुकृत्य हर हिंदू को मुसलमान के खिलाफ नहीं दिखा/बता सकता। सोचिएगा।


समाचार4मीडिया.कॉम देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया में हम अपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी रायसुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं। 

 


टैग्स
सम्बंधित खबरें

‘भारत की निडर आवाज थे सरदार वल्लभभाई पटेल’

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन ऐसी विजयों से भरा था कि दशकों बाद भी वह हमें आश्चर्यचकित करता है। उनकी जीवन कहानी दुनिया के अब तक के सबसे महान नेताओं में से एक का प्रेरक अध्ययन है।

20 hours ago

भारत और चीन की सहमति से दुनिया सीख ले सकती है: रजत शर्मा

सबसे पहले दोनों सेनाओं ने डेपसांग और डेमचोक में अपने एक-एक टेंट हटाए, LAC पर जो अस्थायी ढांचे बनाए गए थे, उन्हें तोड़ा गया। भारत और चीन के सैनिक LAC से पीछे हटने शुरू हो गए।

2 days ago

दीपावली पर भारत के बही खाते में सुनहरी चमक के दर्शन: आलोक मेहता

आने वाले वर्ष में इसके कार्य देश के लिए अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की नींव रख सकते हैं।

2 days ago

अमेरिकी चुनाव में धर्म की राजनीति: अनंत विजय

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार हो रहे हैं। डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है।

2 days ago

मस्क के खिलाफ JIO व एयरटेल साथ-साथ, पढ़िए इस सप्ताह का 'हिसाब-किताब'

मुकेश अंबानी भी सेटेलाइट से इंटरनेट देना चाहते हैं लेकिन मस्क की कंपनी तो पहले से सर्विस दे रही है। अंबानी और मित्तल का कहना है कि मस्क को Star link के लिए स्पैक्ट्रम नीलामी में ख़रीदना चाहिए।

1 week ago


बड़ी खबरें

'जागरण न्यू मीडिया' में रोजगार का सुनहरा अवसर

जॉब की तलाश कर रहे पत्रकारों के लिए नोएडा, सेक्टर 16 स्थित जागरण न्यू मीडिया के साथ जुड़ने का सुनहरा अवसर है।

9 hours ago

‘Goa Chronicle’ को चलाए रखना हो रहा मुश्किल: सावियो रोड्रिग्स

इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म पर केंद्रित ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ‘गोवा क्रॉनिकल’ के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ सावियो रोड्रिग्स का कहना है कि आने वाले समय में इस दिशा में कुछ कठोर फैसले लेने पड़ सकते हैं।

5 hours ago

रिलायंस-डिज्नी मर्जर में शामिल नहीं होंगे स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल 

डिज्नी इंडिया में स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल ने रिलायंस और डिज्नी के मर्जर के बाद बनी नई इकाई का हिस्सा न बनने का फैसला किया है

9 hours ago

फ्लिपकार्ट ने विज्ञापनों से की 2023-24 में जबरदस्त कमाई

फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने 2023-24 में विज्ञापन से लगभग 5000 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले साल के 3324.7 करोड़ रुपये से अधिक है।

1 day ago

क्या ब्रॉडकास्टिंग बिल में देरी का मुख्य कारण OTT प्लेटफॉर्म्स की असहमति है?

विवादित 'ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल' को लेकर देरी होती दिख रही है, क्योंकि सूचना-प्रसारण मंत्रालय को हितधारकों के बीच सहमति की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

1 day ago