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मदर्स डे पर चित्रा त्रिपाठी ने अपनी पुरानी यादों को कुछ यूं किया शेयर...
साल 2012 की बात है, जुलाई के आखिरी हफ्ते में लंदन में थी...
समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago
चित्रा त्रिपाठी
सीनियर न्यूज एंकर, एबीपी न्यूज ।।
साल 2012 की बात है, जुलाई के आखिरी हफ्ते में लंदन में थी। ऑफिस के काम से वहां जाना हुआ था। पहले तय था कि दस दिनों में लौट आना है। उसके बाद समय बढ़ता गया और मेरे दिल की धड़कनें भी। अगस्त का पहला हफ्ता कैसे बीत रहा था वो भी उस जगह जहां जाना किसी का भी ड्रीम हो सकता है।
मैं पहली बार विदेश गई थी। लंदन बेहद खूबसूरत शहर है। वहां का रहन-सहन, स्टाइल आकर्षित करता है। लेकिन एक वक्त के बाद मुझे वो बोझिल लग रहा था।वजह आगे आप जानेंगे। मन बेहद परेशान और दुखी। फिर पता चला कि लंदन से मेसिडोनिया में एक कार्यक्रम में जाना है और वहां रुककर 12 तारीख को देर शाम हम मुंबई पहुंचेंगे। आमतौर पर नई जगह ट्रैवल करना मुझे बेहद पसंद है और विदेश जाने का मौका बार-बार नहीं मिलता।
मैसिडोनिया का अर्थ है मां की दुनिया और यहां पर मदर टेरेसा का जन्म हुआ था। मध्यम वर्गीय लोगों का देश जिसे खुदा ने बेहद खूबसूरती बख्शी है। वहां हम लोग एक मीटिंग में शामिल हुए और फिर घूमने निकल गए, लेकिन अंदर ही अंदर सवाल कि घर कब पहुचूंगी?
जैसे-तैसे 12 की शाम मुंबई पहुंची। 13 को ऑफिस का काम खत्म कर शाम की फ्लाइट से लखनऊ का टिकट लेकर सीधे लखनऊ। वहां से फोर व्हीलर से गोरखपुर के लिए निकल पड़ी। मैं इंडिया से बाहर थी इसलिए कुछ समय मेरी मां बेटे के साथ नोएडा और फिर उसे लेकर गोरखपुर आ गईं। मेरी दादी के चारों धाम की यात्रा के बाद श्रीमद्भागवत की कथा का कार्यक्रम घर पर रखा था और हमने प्लान किया कि जिस दिन भागवत कथा का समापन होगा उस दिन हम बर्थ डे गोरखपुर में सेलिब्रेट करेंगे। उसी के हिसाब से पूरा कार्यक्रम तय था। बहुत सारे रिश्तेदार घर पर आए हुए थे। 14 अगस्त, रात के 12 बज गए मैं लखनऊ से गोरखपुर के रास्ते में थी। बेटे का चौथा जन्मदिन। अंदर से मैं बहुत दुखी थी कि बारह बजते ही मुझे उसके पास होना चाहिये था लेकिन भाग-दौड़ के बाद भी यह संभव नहीं हो पाया। रात के तीन बजे मैं गोरखपुर पहुंची। बेटे को बहुत सारा प्यार किया, वो सो रहा था लेकिन मैं मन ही मन मैं उससे माफी मांग रही थी और भगवान के प्रति आभार की मैं कम से कम उसके जन्मदिन पर उसके साथ थी। वरना जीवन भर भागदौड़ भरी जिंदगी में कभी अपने आपको माफ नहीं कर पाती।
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