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दुनिया को अलविदा कह गईं वरिष्ठ पत्रकार इरा झा

18 अक्टूबर की दोपहर उन्होंने दिल्ली स्थित ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ (AIIMS) में अंतिम सांस ली। चिकित्सकों के मुताबिक उनकी मृत्यु की वजह कार्डियक अरेस्ट है।

Last Modified:
Friday, 18 October, 2024
IRA JHA


वरिष्ठ पत्रकार इरा झा का निधन हो गया है। 18 अक्टूबर की दोपहर उन्होंने दिल्ली स्थित ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ (AIIMS) में अंतिम सांस ली। चिकित्सकों के मुताबिक उनकी मृत्यु की वजह कार्डियक अरेस्ट है।

इरा झा फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थीं। उन्हें कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में द्वारका स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर कल ही उन्हें एम्स में स्थानांतरित किया गया था, जहां आज दोपहर उनकी निधन हो गया। दो साल पहले उनकी बाईपास सर्जरी भी हुई थी।

बता दें कि छत्तीसगढ़ मूल की इरा झा हिंदी की तेजतर्रार पत्रकार थीं। साफ कहना, साफ लिखना और अपने तथ्यों व तर्कों पर टिके रहना उनकी खासियत थी।

'दिल्ली प्रेस' के अलावा वह 'नवभारत टाइम्स' और 'दैनिक हिन्दुस्तान' जैसे जाने-माने अखबारों में लंबे समय तक रहीं। उनके पति अनंत मित्तल देश के नामी बिजनेस संपादक रहे हैं। वह अपने पीछे एक पुत्र ईशान को छोड़ गई हैं।

इरा झा के निधन पर मीडिया जगत से जुड़े तमाम लोगों और उनके शुभचिंतकों ने दुख जताते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है और ईश्वर से उनके परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।  

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बढ़ते ऑनलाइन स्कैम से निपटने के लिए सरकार व Meta ने मिलाया हाथ

सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने गुरुवार को 'स्कैम से बचो' (Scam se Bacho) नामक राष्ट्रीय उपयोगकर्ता जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया।

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Friday, 18 October, 2024
ScamSeBacho87541

सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने गुरुवार को 'स्कैम से बचो' (Scam se Bacho) नामक राष्ट्रीय उपयोगकर्ता जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया। यह अभियान बढ़ते साइबर धोखाधड़ी और घोटालों से निपटने के लिए शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य नागरिकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से सुरक्षित रखना है।

यह पहल 'मेटा' (Meta) द्वारा शुरू की गई है और इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY),  गृह मंत्रालय (MHA), सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसका मकसद सरकार की साइबर सुरक्षा बढ़ाने और ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के प्रयासों को समर्थन देना है।

साइबर सुरक्षा के प्रति सरकार का मजबूत कदम 

संजय जाजू ने इस अभियान का समर्थन करते हुए कहा कि 'स्कैम से बचो' एक महत्वपूर्ण और समयानुसार पहल है, जो हमारे नागरिकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने की दिशा में उठाया गया एक आवश्यक कदम है। उन्होंने इसे डिजिटल सुरक्षा और सतर्कता को बढ़ावा देने के लिए सरकार का एक व्यापक प्रयास बताया, जो देश में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता और सावधानी की संस्कृति को मजबूत करेगा।

तेजी से बढ़ती साइबर चुनौतियां

भारत, जहां  900 मिलियन से अधिक इंटरनेट यूजर्स हैं, ने 'डिजिटल इंडिया' पहल के तहत डिजिटल विकास में अद्वितीय प्रगति की है और वह UPI लेन-देन में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बन चुका है। लेकिन इस डिजिटल प्रगति के साथ ही साइबर धोखाधड़ी के मामलों में भी तेजी आई है। वर्ष 2023 में 1.1 मिलियन से अधिक साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए, जो इस बढ़ते खतरे की ओर इशारा करते हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बढ़ते साइबर खतरे से निपटने और डिजिटल साक्षरता को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया है। इसी संदर्भ में, 'स्कैम से बचो' अभियान न केवल एक जागरूकता अभियान है, बल्कि इसे एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में देखा जा रहा है, जो भारतीय नागरिकों को साइबर खतरों से सुरक्षित रहने के लिए उपकरण और जानकारी प्रदान करेगा।

सजगता और डिजिटल सुरक्षा का माहौल बनाना है लक्ष्य

संजय जाजू ने इस अभियान के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत के हर नागरिक को साइबर खतरों से सुरक्षित रखना है। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य सरल है, लेकिन प्रभावशाली- एक डिजिटल सुरक्षा और सतर्कता की संस्कृति को स्थापित करना। मेटा की वैश्विक विशेषज्ञता का लाभ उठाकर, यह अभियान भारतीय नागरिकों को साइबर खतरों से बचाने के लिए सशक्त करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि हमारी डिजिटल प्रगति के साथ-साथ डिजिटल सुरक्षा भी मजबूत हो।"

इस अभियान से उम्मीद की जा रही है कि यह देश में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लोगों को साइबर अपराधों से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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DPDP एक्ट के तहत सरकारी संस्थानों पर भी लागू होंगी डेटा सुरक्षा की जिम्मेदारियां: MeitY

भारत सरकार ने हाल ही में 'डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट, 2023' के तहत डेटा फिड्यूशरी की जिम्मेदारियों को लेकर एक महत्वपूर्ण घोषणा की है।

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Friday, 18 October, 2024
Data Protection

भारत सरकार ने हाल ही में 'डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट, 2023' के तहत डेटा फिड्यूशरी की जिम्मेदारियों को लेकर एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। इस घोषणा के अनुसार, अब सरकारी संस्थानों को भी डेटा सुरक्षा के मामले में वही जिम्मेदारियां निभानी होंगी, जो निजी क्षेत्र की कंपनियों पर लागू होती हैं। यदि डेटा उल्लंघन होता है, तो सरकारी संस्थानों को भी उसी तरह के जुर्मानों का सामना करना पड़ेगा, जैसे निजी कंपनियों को करना पड़ता है।

डेटा गोपनीयता के क्षेत्र में बड़ा कदम 

यह घोषणा भारत में डेटा गोपनीयता के तेजी से बदलते परिदृश्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पहले ऐसा माना जाता था कि सरकारी संस्थान कड़े डेटा नियमों से बाहर होते हैं, लेकिन 'DPDP एक्ट' के तहत अब सभी डेटा संग्रहणकर्ता, चाहे वह सरकारी हों या निजी, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए जवाबदेह होंगे। इस कदम को डिजिटल प्रणाली में विश्वास और पारदर्शिता स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि अब सरकारी संस्थानों को भी उसी स्तर की निगरानी से गुजरना होगा जैसे निजी संगठनों को।

कार्यशाला में किया गया खुलासा 

यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा 14 अक्टूबर को आयोजित एक कार्यशाला में दी गई। यह कार्यशाला इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 100 प्रतिभागियों और MeitY के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला में यह भी बताया गया कि मंत्रालय अपने अधीनस्थ संस्थानों को डेटा सुरक्षा प्रथाओं पर प्रशिक्षित करने और अनुपालन प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए काम कर रहा है।

निजी और सरकारी दोनों के लिए समान जिम्मेदारियां 

यह घोषणा न केवल निजी संगठनों, बल्कि डिजिटल और मार्केटिंग व्यवसायों के लिए भी डेटा सुरक्षा उपायों के महत्व को बढ़ाती है। अब केवल निजी कंपनियों को ही नहीं, बल्कि सरकारी संस्थानों को भी मजबूत डेटा सुरक्षा नीतियों का पालन करना होगा। इससे डेटा सुरक्षा के मामले में एक समान वातावरण तैयार होगा, जहां सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों पर समान रूप से जिम्मेदारियां होंगी।

डेटा सुरक्षा का व्यापक प्रभाव 

जैसे-जैसे डिजिटल इकोसिस्टम का विस्तार हो रहा है, DPDP एक्ट का यह समावेशी दृष्टिकोण भारत में सभी क्षेत्रों में डेटा के संचालन को प्रभावित करेगा। इस एक्ट के तहत सभी संस्थानों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी, जिससे डेटा हैंडलिंग की प्रक्रियाएं अधिक सुरक्षित और जिम्मेदार होंगी। 

इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि यह भारत में डिजिटल क्षेत्र को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगा, और सभी संबंधित पक्षों के लिए भरोसेमंद डिजिटल इकोसिस्टम तैयार करेगा।

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नोएडा मीडिया क्लब ने 'फ्री स्पीच' अवॉर्ड के लिए आवेदन मांगे, जानिए कैसे करें एंट्री

नोएडा मीडिया क्लब ने 'फ्री स्पीच' अवॉर्ड के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारों से आवेदन मांगे हैं। इस बार यह अवॉर्ड 5 श्रेणियों में 15 पत्रकारों को दिया जाएगा।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 15 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 15 October, 2024
Awards

नोएडा मीडिया क्लब ने 'फ्री स्पीच' अवॉर्ड के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारों से आवेदन मांगे हैं। इस बार यह अवॉर्ड 5 श्रेणियों में 15 पत्रकारों को दिया जाएगा। एक श्रेणी में केवल हिंदी पत्रकार आवेदन कर सकते हैं। जबकि, चार श्रेणियों में सभी पत्रकार आवेदन कर सकते हैं। यह जानकारी नोएडा मीडिया क्लब के अध्यक्ष पंकज पाराशर ने दी है। उन्होंने कहा कि इस अवॉर्ड की शुरुआत वर्ष 2019 में की गई थी। अब इसे राष्ट्रीय स्वरूप दे रहे हैं।

1. हिंदी पत्रकारिता
यह पुरस्कार हिंदी में प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एक-एक पत्रकार को दिया जाएगा। जिनके समाचार में किसी घटना या मुद्दे की उत्कृष्ट, स्वतंत्र, गुणवत्तापूर्ण और प्रभावशाली कवरेज होगी।

प्रिंट, डिजिटल और ब्रॉडकास्ट, प्रत्येक श्रेणी के लिए एक-एक पुरस्कार दिया जाएगा। जिसमें राशि 50,000 रुपये, ट्रॉफी और प्रमाण पत्र हैं।

2. इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग

यह पुरस्कार प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया श्रेणी के एक-एक पत्रकार को दिया जाएगा। जिसकी रिपोर्ट ने किसी ऐसे पहलू को उजागर किया हो, जो सार्वजनिक हित का मसला है। जिसे उससे पहले तक मीडिया ने कवर नहीं किया है। एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि रिपोर्ट मौलिक हो, सशक्त हो और जिसने व्यवस्था पर प्रभाव डाला हो।

प्रिंट, डिजिटल और ब्रॉडकास्ट, प्रत्येक श्रेणी के लिए एक-एक पुरस्कार दिया जाएगा। जिसमें राशि 50,000 रुपये, ट्रॉफी और प्रमाण पत्र हैं।

3. लैंगिक समानता

यह पुरस्कार प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया श्रेणी के एक-एक पत्रकार को दिया जाएगा। जिसकी रिपोर्ट या रिपोर्ट सीरीज महिला सशक्तिकरण/लैंगिक समानता पर आधारित है।

प्रिंट, डिजिटल और ब्रॉडकास्ट, प्रत्येक श्रेणी के लिए एक-एक पुरस्कार दिया जाएगा। जिसमें राशि 50,000 रुपये, ट्रॉफी और प्रमाण पत्र हैं।

4. राष्ट्रीय एकता

यह पुरस्कार प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया श्रेणी के एक-एक पत्रकार को दिया जाएगा। जिसकी रिपोर्ट या रिपोर्ट सीरीज सामुदायिक सद्भाव पर आधारित है। सामुदायिक और सांप्रदायिक सद्भावना को बढ़ाती है। 

प्रिंट, डिजिटल और ब्रॉडकास्ट, प्रत्येक श्रेणी के लिए एक-एक पुरस्कार दिया जाएगा। जिसमें राशि 50,000 रुपये, ट्रॉफी और प्रमाण पत्र हैं।

5. बेस्ट फोटो जर्नलिस्ट

यह पुरस्कार तीन फोटो पत्रकारों को समाचार फोटोग्राफ के लिए दिए जाएंगे। यह फोटोग्राफ पूरी कहानी या घटनाक्रम को बयां करता हो। 

तीन पुरस्कार दिए जाएंगे, जिसमें प्रत्येक को राशि 50,000 रुपये, ट्रॉफी और प्रमाण पत्र हैं।

आवेदक इन नियमों पर दें ध्यान

- समाचार और फोटोग्राफ 15 अक्टूबर 2023 से 14 अक्टूबर 2024 के मध्य प्रकाशित/प्रसारित होने चाहिए।

- आवेदन ई-मेल (awardfreespeech@gmail.com) के माध्यम से कर सकते हैं। नोएडा मीडिया क्लब के पते (Noida Media Club, Second Floor, Ganga Shopping Complex, Sector 29, Noida, Gautam Buddh Nagar, Uttar Pradesh 201301) पर हार्डकॉपी के रूप में भेज सकते हैं।

- प्रिंट मीडिया वाले ई-मेल से एंट्री भेजने के लिए समाचार पत्र का ई-पेपर (समाचार प्रकाशन का अंक) अटैचमेंट में भेजें।

- ब्रॉडकास्ट/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वाले अपनी न्यूज़ क्लिप गूगल ड्राइव के यूआरएल के जरिए ई-मेल में पेस्ट करके भेजें। हमारी मेल आईडी को गूगल ड्राइव का एक्सेस दें।

- डिजिटल मीडिया वाले खबर की पीडीएफ ई-मेल में अटैच करें। खबर का यूआरएल इनबॉक्स में पेस्ट करके भेजें।

- एक आवेदक केवल एक समाचार/फोटोग्राफ की एंट्री भेजेगा।

- आवेदक अपना संक्षिप्त परिचय और पासपोर्ट साइज फोटो (अधिकतम 500 केबी) आवेदन के साथ भेजें। जिसमें अनुभव, संपर्क के लिए मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी लिखकर भेजें।

- आवेदन के साथ समाचार पत्र, न्यूज़ चैनल या डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के संपादक का संस्तुति पत्र पीडीएफ फॉर्मेट में भेजें।

- समाचार अथवा फोटोग्राफ के बारे में सारांश लिखकर भेजें। यह 500 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।

- आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 नवंबर 2024 है। इसके बाद प्राप्त होने वाले आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।

- क्षेत्रीय भाषा के पत्रकार मूल समाचार के साथ उसका अनुवाद हिंदी या अंग्रेजी में करके भेजेंगे।

- अधिक जानकारी के लिए नोएडा मीडिया क्लब से मोबाइल नंबर 8800625598 पर दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक संपर्क कर सकते हैं। वॉट्सऐप पर मैसेज भेजकर जानकारी मांग सकते हैं।

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नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार अशोक माथुर

लंबे समय से बीमार चल रहे अशोक माथुर ने जयपुर में ली अंतिम सांस, बीकानेर के मेडिकल कॉलेज को सौंपी जाएगी उनकी पार्थिव देह

Last Modified:
Monday, 14 October, 2024
Ashok Mathur

बीकानेर के वरिष्ठ पत्रकार अशोक माथुर का निधन हो गया है। करीब 72 वर्षीय अशोक माथुर लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रविवार की देर रात जयपुर में उन्होंने अंतिम सांस ली।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अशोर माथुर ने देहदान का संकल्प लिया हुआ था। ऐसेमेंउनकी पार्थिव देह को बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज को सौंपा जाएगा।

आठ अगस्त 1952 को जन्मे अशोक माथुर लंबे समय तक ‘लोकमत’ अखबार के संपादक रहे थे। बीकानेर के तमाम पत्रकारों ने उनके नेतृत्व में ही मीडिया में अपने करियर की शुरुआत की थी और पत्रकारिता के गुर सीखे थे।

अशोक माथुर के निधन पर तमाम पत्रकारों और शुभचिंतकों ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है और ईश्वर से शोक संतप्त परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।

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युवाओं की नैतिकता बचाने के लिए इंटरनेट कंटेंट पर सख्त नियंत्रण जरूरी: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100वें स्थापना दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय समाज, खासकर युवाओं के बीच नैतिक पतन पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

Last Modified:
Monday, 14 October, 2024
MohanBhagwat75648

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100वें स्थापना दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय समाज, खासकर युवाओं के बीच नैतिक पतन पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आजकल बच्चों को मोबाइल फोन के माध्यम से विभिन्न प्रकार की सामग्री देखने को मिल रही है, जिन पर कोई नियंत्रण नहीं है। इसमें कई बार आपत्तिजनक और हानिकारक सामग्री भी शामिल होती है, जो मानसिक रूप से परेशान करने वाली है।

भागवत ने कहा, "मोबाइल पर वो क्या देख रहे हैं और उनको क्या दिखाया जा रहा है, इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों के लिए दिखाए जा रहे विज्ञापनों और अनुचित सामग्री पर सख्त नियम बनाए जाने की जरूरत है, ताकि हमारी युवा पीढ़ी को इससे बचाया जा सके।

उन्होंने यह भी कहा कि नशे की लत युवाओं में तेजी से बढ़ रही है, जो समाज के मूलभूत ताने-बाने को कमजोर कर रही है। इस समस्या से निपटने के लिए समाज में नैतिकता और सद्गुणों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।

भागवत ने पारंपरिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने की बात कही, खासतौर पर महिलाओं के प्रति सम्मान के सिद्धांत "मातृवत् परदारेषु" (दूसरी महिलाओं को माता के समान समझना) को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब परिवार और मीडिया इन मूल्यों की उपेक्षा करते हैं, तो इसका समाज पर गंभीर असर पड़ता है।

उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि इन नैतिक मूल्यों को फिर से स्थापित करने के लिए परिवार, समाज और मीडिया को मिलकर प्रयास करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेश संकट और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को किया गिरफ्तार, धोखाधड़ी का आरोप

वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 10 October, 2024
Last Modified:
Thursday, 10 October, 2024
MaheshLanga7845

वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है। अहमदाबाद की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को उन्हें 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। महेश लांगा को 13 कंपनियों और उनके मालिकों के खिलाफ दायर एक कथित इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है।

इस मामले में लांगा के अलावा तीन अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिनकी पहचान अयाज इकबाल हबीब मालदार (30), अब्दुलकादर समद कादरी (33) और ज्योतिष मगन गोंडालिया (42) के रूप में हुई है। अहमदाबाद अपराध शाखा (डीसीबी) को इन चारों की 10 दिन की पुलिस कस्टडी मिली है। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अजीत राजियन ने बताया कि उन्होंने 14 दिनों की रिमांड मांगी थी, लेकिन अदालत ने 10 दिन की अनुमति दी।

अधिकारियों के अनुसार, यह धोखाधड़ी सरकार के खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने वाली बताई जा रही है, जिसमें आरोपी फर्जी बिलों के जरिए आईटीसी का गलत तरीके से लाभ उठा रहे थे। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि इस घोटाले में 220 से अधिक बेनामी कंपनियां शामिल हैं, जिनका संचालन जाली दस्तावेजों के आधार पर किया गया था।

क्राइम ब्रांच ने लांगा के घर पर छापा मारकर 20 लाख रुपये नकद, कुछ सोने के गहने और जमीनों के दस्तावेज भी जब्त किए हैं। यह कार्रवाई केंद्रीय जीएसटी विभाग की शिकायत के बाद अहमदाबाद, जूनागढ़, सूरत, खेड़ा और भावनगर में छापेमारी के बाद की गई।

केंद्रीय जीएसटी विभाग के अधिकारियों का आरोप है कि महेश लांगा की पत्नी और पिता के नाम पर जाली दस्तावेज बनाए गए, जिनका उपयोग उन फर्जी कंपनियों में संदिग्ध लेन-देन के लिए किया गया था। मामले की जांच अभी जारी है।

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डॉ. कर्ण सिंह के सार्वजनिक जीवन में 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हुआ अभिनंदन समारोह

लगभग उसी समय डॉ. सिंह ने अपने निजी जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया, उन्होंने नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी से विवाह किया। वे दोनों शालीनता और गरिमा के उदाहरण थे।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 08 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 08 October, 2024
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ऐसे मौक़े बहुत कम आते है जब देश की महान हस्तियाँ निष्पक्ष भाव से भाव विभोर होकर अपनी अभिव्यक्तियों को सार्वजनिक करती हैं। ऐसा ही सुअवसर नई दिल्ली में एक समारोह में देखने को मिला। अवसर था 93 वर्षीय पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह के सार्वजनिक जीवन में 75 वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली के इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित अमृत वर्ष अभिनंदन समारोह का जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का उपस्थित रहना और मंच पर कई बार एक दूसरे के साथ हँसी मजाक तथा परस्पर आदर सम्मान की भावनाओं की अभिव्यक्ति करना सभी उपस्थित लोगों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ गया।

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने अपने सम्बोधन में कहा मैं सचमुच बहुत अभिभूत हूँ, यह मेरे लिए एक ऐसा क्षण है जिसे मैं सदैव याद रखूँगा, इस स्थान पर, इस पद पर, इस अवसर पर मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वे डॉ. सिंह पर अपनी असीम कृपा बनाए रखें ताकि वे हमारे बीच बने रहें और अपने उत्कृष्ट गुणों, प्रेरक व्यवहार और विद्वत्तापूर्ण व्यक्तित्व के माध्यम से राष्ट्र और मानवता की सेवा करते रहें। मुझे सांसद, केंद्रीय मंत्री, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और अब उपराष्ट्रपति रहते हुए उनके अनुभव से लाभ उठाने का सौभाग्य मिला हैं।

धनखड़ ने कहा कि हाल ही में, मैं खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे उनके साथ कई अवसरों पर बातचीत करने का मौका मिला और मैं उनके गहन ज्ञान और अमूल्य मार्गदर्शन से प्रेरणा लेता रहा। पिछली बार मुझे डॉ. कर्ण सिंह के बारे में बोलने का सौभाग्य उनके 90वें जन्मदिन के अवसर पर मिला था। सार्वजनिक सेवा में उनकी यात्रा उसी दिन शुरू हुई जिस दिन उनका जन्म हुआ था। डॉ. सिंह की सादगी, विनम्रता और गर्मजोशी भरे व्यवहार की व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों ने लगातार समाज और राष्ट्र दोनों को लाभान्वित करते हुए इनकी व्यापक भलाई की है।

शायद आज के कार्यक्रम के आयोजकों के मन में 1949 का वह महत्वपूर्ण दिन था, जब उन्होंने डॉ. सिंह की 75 साल की सार्वजनिक सेवा का सम्मान करने का फैसला किया। लगभग उसी समय डॉ. सिंह ने अपने निजी जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया, जब उन्होंने नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी से विवाह किया। साथ में, वे दोनों शालीनता और गरिमा के उदाहरण थे, जो उन सभी के भी प्रिय थे, जिन्हें उन्हें जानने का सौभाग्य मिला। मेरे कई डोगरा मित्र डॉ. सिंह के व्यक्तिगत गुणों की प्रशंसा करते हैं तथा उनके ज्ञान और गर्मजोशी की प्रशंसा करते हैं, जबकि यशोराज्य लक्ष्मीजी को गहरे स्नेह, प्रेम और सम्मान के साथ याद करते हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. सिंह के योगदान को सिर्फ़ 75 वर्षों तक सीमित करना उनकी शानदार विरासत की व्यापकता को बयां नहीं कर सकता। फ्रांस में जन्मे, वे लाक्षणिक रूप से अग्नि में तप कर इतिहास के साक्षी बने और इतिहास में ऐसे भागीदार बने जिसका दावा बहुत कम लोग कर सकते हैं। डॉ. कर्ण सिंह उन कुछ लोगों में से हैं जिन्हें 75 वर्षों से अधिक समय तक बाहरी दृष्टि और बाहरी राजनीति के साथ अंदरूनी ध्यान के साथ राजनीति के अंदरूनी सूत्र होने का लाभ मिला। इस अर्थ में वे गणतंत्र से भी पुराने हैं।

धनखड़ ने कहा कि डॉ. कर्ण सिंह का योगदान विशाल और स्थायी है। जब भारत के पूर्व राजा महाराजाओं, राजकुमारों और देश की एकता को मजबूत करने में उनकी भूमिका का इतिहास लिखा जाएगा, तो निस्संदेह डॉ. सिंह को बहुत सम्मान दिया जाएगा। 1967 में शाही सुख-सुविधाओं से,विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक राज्य प्रमुख के रूप में, चुनावी राजनीति में नाटकीय परिवर्तन करने का उनका निर्णय एक साहसिक और दूरदर्शी कदम था।

ऐसा करके उन्होंने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, 13 मार्च 1967 को 36 वर्ष की आयु में वे केंद्रीय मंत्रिमंडल के सबसे कम उम्र के सदस्य बन गए। यह न केवल उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, बल्कि देश के युवाओं के आगमन का भी संकेत था, जो जिम्मेदारी उठाने और राष्ट्र के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार थे। डॉ. सिंह लंबे समय से अंतर-धार्मिक सद्भाव के हिमायती रहे हैं, उन्होंने कई सार्वजनिक बैठकों और सम्मेलनों में इसके लिए वकालत की है, जिनमें से कई का अच्छी तरह से दस्तावेजीकरण किया गया है।

पिछले कुछ वर्षों में, वे आध्यात्मिकता और दर्शन के क्षेत्र में इतने प्रमुख व्यक्ति बन गए हैं कि जब भी महान विचारकों का उल्लेख किया जाता है, तो उनका नाम स्वाभाविक रूप से सामने आता है। विवेकानंद की बात करें तो डॉ. सिंह का नाम दिमाग में आता है। अरबिंदो का जिक्र करें तो डॉ. सिंह उनके सबसे विद्वान शिष्यों में से एक के रूप में सामने आते हैं। उनके ज्ञान और काम का विशाल भंडार, जिसमें दर्जनों किताबें शामिल हैं, उनकी बौद्धिक खोज की गहराई को दर्शाता है। एक सच्चे कवि-दार्शनिक के रूप में उन्होंने दर्शन, आध्यात्मिकता और पर्यावरण जैसे विविध विषयों का अन्वेषण किया है। अपनी मातृभाषा डोगरी के प्रति उनका गहरा प्रेम उनकी लिखी कई किताबों में झलकता है।

धनखड़ ने कहा कि शायद उनकी सबसे कम सराहना की जाने वाली उपलब्धियों में से एक भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर बाघ भारत की वन्यजीव विरासत का प्रतीक बना हुआ है और “प्रोजेक्ट टाइगर” पहल के माध्यम से इसका अस्तित्व सुनिश्चित किया जा रहा है, तो यह काफी हद तक डॉ. सिंह की अटूट प्रतिबद्धता के कारण है। इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उन्हें कभी-कभी उनके विचारों और कार्यों में दृढ़ता और ताकत के लिए प्यार से “बाघ” के रूप में संदर्भित किया जाता है।

इस अवसर पर डॉ. कर्ण सिंह ने अपने सार्वजनिक जीवन के 75 वर्षों की गाथा का सिलसिलेवार ज़िक्र किया और देश के प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरू , इन्दिरा गांधी , राजीव गाँधी के अलावा फ़ारूख अब्दुल्ला आदि के साथ ही अपनी धर्म पत्नी, बच्चों,निजी सचिवों और निजी सेवकों तक के नामों का ज़िक्र किया। साथ ही बताया कि यदि सरदार वल्लभ भाई पटेल अमरीका जाकर इलाज कराने की सख्त हिदायत एवं सलाह नहीं देते तो मैं हमेशा व्हील चेयर पर ही रहता।

उन्होंने दिलचस्प क़िस्सा भी सुनाया कि मेरी पत्नी नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी के जीवन में आने के बाद उनके नाम के अनुरूप मुझे यश,राज और लक्ष्मी तीनों सुख मिलें लेकिन हमेशा की तरह एक बार उनकी सलाह नहीं मान कर मैंने अपना चुनाव क्षेत्र बदला था जिसके कारण मैं चुनाव हार गया और मन में इतनी निराशा आ गई कि मैने राजनीति छोड़ने का मन तक बना लिया लेकिन इन्दिराजी ने मुझे राज्यसभा भेजा। इस प्रकार संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में मुझे बीस बीस वर्षों जनता की सेवा का अवसर मिला।

भारतीय लोकतन्त्र की यह खूबी है कि श्रोताओं को जनतन्त्र के दो सितारों को एक साथ एक मंच पर अपने उद्गारों को इस तरह सुनने के सुनहरे पल का साक्षी बनने का अवसर मिला। देश की भावी पीढ़िया ऐसे प्रेरणास्पद पलों को आत्मसात् कर देश के जनतंत्र को और सुदृढ़ बनायेंगी ऐसी उम्मीद रखनी चाहिए।

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पत्रकारों की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग पर एफआईआर दर्ज करना अनुचित: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना मात्र के आधार पर पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।

Last Modified:
Monday, 07 October, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना मात्र के आधार पर पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान किया जाना चाहिए और संविधान के अनुच्छेद-19(1)(ए) के तहत पत्रकारों के अधिकार सुरक्षित हैं। 

यह टिप्पणी जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की याचिका पर की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। यह एफआईआर उनकी रिपोर्ट "यादव राज बनाम ठाकुर राज" को लेकर दर्ज की गई थी, जिसमें राज्य के सामान्य प्रशासन में जातिगत झुकाव की बात कही गई थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। पीठ ने कहा कि एफआईआर में कोई ठोस अपराध नहीं दिखता, बावजूद इसके याचिकाकर्ता को निशाना बनाया गया। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी। 

पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ एफआईआर राज्य के कानून प्रवर्तन तंत्र का दुरुपयोग है, जिसका उद्देश्य उनकी आवाज को दबाना है।

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‘जी मीडिया’ ने मोना जैन और पूजा दुग्गल को दी विदाई, यहां देखें फेयरवेल की झलकियां

मोना जैन यहां चीफ रेवेन्यू ऑफिसर और पूजा दुग्गल एचआर हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं, जहां से उन्होंने कुछ समय पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Saturday, 05 October, 2024
Last Modified:
Saturday, 05 October, 2024
MJPD

‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) ने चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद से मोना जैन और एचआर हेड के पद से पूजा दुग्गल के इस्तीफे के बाद उनके लिए 30 सितंबर को विदाई समारोह का आयोजन किया। इस फेयरवेल पार्टी में सहकर्मियों ने उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट किया और दोनों ने मिलकर केक काटा।  

बता दें कि मोना जैन और पूजा दुग्गल ने कुछ समय पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। दोनों इस्तीफे उस समय हुए, जब संगठन के भीतर महत्वपूर्ण उथल-पुथल चल रही थी।

गौरतलब है कि ‘जी’ में अपने कार्यकाल के दौरान, मोना जैन ने नेटवर्क के रेवेन्यू मैंडेट की जिम्मेदारी संभाली, जिसमें लीनियर व डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म शामिल थे। उन्होंने ब्रैंडेड कंटेंट के जरिए विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने की रणनीतियों पर भी काम किया।

‘जी मीडिया’ से पहले, मोना जैन ‘एबीपी नेटवर्क’ की चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के तौर पर कार्यरत थीं। नवंबर 2019 में ‘एबीपी नेटवर्क’ में शामिल होने से पहले, जैन ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (ऐड सेल्स) के पद पर साल 2014 से कार्यरत थीं। यहां अपने करीब पांच साल नौ महीने के कार्यकाल में नेटवर्क की दिल्ली ब्रांच की कमान उन्हीं के हाथों में थी। इसके अलावा वह ‘Zee Café’, ‘Zee Studio’, ‘Anmol, Zindagi’, ‘Salaam’ और ‘Jagran’ की नेशनल क्लस्टर हेड भी रह चुकी हैं1। 

मोना जैन को मीडिया इंडस्ट्री में तीन दशक से ज्यादा का अनुभव है। ‘ZEEL’ में अपनी जिम्मेदारी निभाने से पहले वह ‘Vivaki Exchange’ की सीईओ और ‘Cheil Communications’ में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर भी रह चुकी हैं।

वहीं, पूजा दुग्गल की बात करें तो उन्होंने पिछले साल मई में इस मीडिया नेटवर्क में जॉइन किया था। पूजा दुग्गल को इंडस्ट्री में काम करने का 17 साल से ज्यादा का अनुभव है। ‘जी मीडिया’ से पहले वह ‘एचटी डिजिटल स्ट्रीम्स’ (HT Digital Streams) में एचआर हेड (डिजिटल बिजनेस) के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं।

‘एचटी मीडिया’ से पहले वह ‘रेचैम आरपीजी प्रा. लि.’ (Raychem RPG Pvt Ltd) में करीब पांच साल तक एचआर हेड रह चुकी हैं। पूर्व में वह ‘जिंदल स्टील’ (Jindal Steel) में सीनियर मैनेजर (ग्लोबल, एचआर) के पद पर काम करने के अलावा SISTEMA Shyam Teleservices और Right Management में भी अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।

पूजा दुग्गल ने दिल्ली में ‘गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी’ से इंफॉर्मेशन सिस्टम्स में ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा उन्होंने मुंबई के NMIMS (Narsee Monjee Institute of Management Studies) से एमबीए (Human Resources and Finance) किया है।

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‘भारत एक्सप्रेस’ के CMD उपेंद्र राय 'राष्ट्र चेतना अवॉर्ड' से सम्मानित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के माउंट आबू में ब्रह्माकुमारीज संस्था की ओर से आयोजित चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Saturday, 05 October, 2024
Last Modified:
Saturday, 05 October, 2024
Upendra Rai

राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू में शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ब्रह्माकुमारीज संस्था की ओर से आयोजित चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। यहां ‘भारत एक्सप्रेस' (Bharat Express) न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय राय को ‘राष्ट्र चेतना अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपेंद्र राय ने कहा, ‘हमारे देश में अध्यात्म और धर्म को मिलाकर देखने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन मैंने जब से इस विषय को थोड़ा बहुत समझा और जाना, तो पाया कि आध्यात्मिकता और धर्म बिल्कुल अलग-अलग हैं, इसलिए थोड़ी बात धर्म पर और थोड़ी बात अध्यात्मिकता पर होनी चाहिए। धर्म जिन लोगों ने पाया, पैदा किया शायद उनके जीवन में कभी क्रांति का सूत्रपात हुआ होगा, तब कोई धर्म पैदा हुआ होगा, लेकिन हम जिस धर्म को मानते हैं, वह हमारा बपौती है, क्योंकि वह हमें मिला हुआ है।’

उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में न कभी कोई क्रांति हुई नहीं और न कोई परिवर्तन आया. इसलिए जब मैं सोचता हूं इस पड़ाव पर आकर तो मुझे लगता है कि अपने बच्चों को किसी धर्म की शिक्षा नहीं देनी चाहिए, बल्कि उसे वो सारी सुविधाएं मुहैया कराना चाहिए, जिससे वो सारे धर्मों को पढ़े। उसे मैं किसी भी धर्म का न बनाऊं, बल्कि ये आजादी दूं कि तुम जिस धर्म को चाहो वो पढ़ो और जिस दिन तु्म्हें मौज आ जाए, तुम्हारी आत्मा झूम उठे, उस दिन तुम उसी धर्म को अपना लेना, क्योंकि धर्म अनेक हैं और सभी धर्मों ने परमात्मा तक पहुंचने के रास्ते बताए हैं, लेकिन सभी रास्ते सही नहीं हैं, कोई एक रास्ता पकड़कर ही अंतिम तक पहुंचा जा सकता है। अगर मैं इसे दूसरे शब्दों में कहूं, तो साध्य और साधन महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि वो रास्ता महत्वपूर्ण है, जो एक दिन मंजिल में तब्दील हो जाता है।

उनका कहना था, ’जैसे कोई चित्रकार है, कोई कवि है या फिर कोई गणितज्ञ है  और कवि को हम अगर गणित का धर्म दे दें तो शायद उसे उस रास्ते पर चला नहीं जाएगा। कवि का मन बड़ा निर्मल होता है, वो गणित के सवालों को, पहेलियों को शायद सुलझाते-सुलझाते फेल हो जाए, ठीक ऐसा ही हम सबके जीवन में भी होता है। हम अपने दिमाग में इतना ज्यादा कूड़ा-करकट भर लेते हैं कि मूल्यवान चीजों को रखने की जगह ही नहीं बचती है। अध्यात्म हमें सिखाता है कि जीवन में मूल्यवान चीजों के लिए कम मूल्यवान चीजों को जितनी तन्मयता से छोड़ता चला जाता है, वही जीवन में सही अर्थों में अध्यात्मिक संतुलन को प्राप्त करता है, लेकिन अक्सर हम देखते हैं कि जो हमने रहीम के दोहे में पढ़ा है कि ‘साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय’. रहीम कहते हैं कि साधु और सज्जन का स्वभाव सूप की तरह होना चाहिए. जो व्यर्थ को हटा दे और मूल्यवान चीजों को बचा ले, आध्यात्म भी हमें यही सिखाता है।’

इस मौके पर उपेंद्र राय ने कहा, ’अगर हम रास्ते पर पड़ा कंकड़-पत्थर या फिर कांटा किसी दूसरे के लिए उठाकर फेंक दें या फिर किसी के आंगन में जाकर वहां पर झाड़ू लगा दें, यही अध्यात्म है। इसके अलावा जो भी है वो सिर्फ कर्मकांड है, जिससे जीवन में सिर्फ कूड़ा-कचरा के अलावा कुछ भी इकट्ठा नहीं होता है। अध्यात्म हमारे रोज के जीवन का हिस्सा है, लेकिन संतत्व उसकी मंजिल है।’

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