देश के प्रतिष्ठित मीडिया शिक्षण संस्थान ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) में सोमवार को हिंदी पखवाड़े का शुभारंभ किया गया
देश के प्रतिष्ठित मीडिया शिक्षण संस्थान ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) में सोमवार को हिंदी पखवाड़े का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर ‘भारतीय भाषाओं में अंतर-संवाद’ विषय पर आयोजित वेबिनार में वरिष्ठ पत्रकार एवं माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र ने कहा, ‘भाषा का संबंध इतिहास, संस्कृति और परंपराओं से है। भारतीय भाषाओं में अंतर-संवाद की परंपरा काफी पुरानी है और ऐसा सैकड़ों वर्षों से होता आ रहा है, यह उस दौर में भी हो रहा था, जब वर्तमान समय में प्रचलित भाषाएं अपने बेहद मूल रूप में थीं। श्रीमद्भगवत गीता में समाहित श्रीकृष्ण का संदेश दुनिया के कोने-कोने में केवल अनेक भाषाओं में हुए उसके अनुवाद की बदौलत ही पहुंचा। उन दिनों अंतर-संवाद की भाषा संस्कृत थी, तो अब यह जिम्मेदारी हिंदी की है।’
मिश्र का यह भी कहना था, ‘भारतीय भाषाओं के बीच अंतर-संवाद में रुकावट अंग्रेजी के कारण आई और इसकी वजह हम भारतीय ही थे, जिन्होंने हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं के स्थान पर अंग्रेजी को अंतर-संवाद का माध्यम बना लिया। उन्होंने कहा कि हिंदी के विद्वानों, पत्रकारों और संस्थाओं को इस दिशा में कार्य करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने यह जिम्मेदारी नहीं निभाई। जब डॉ. राम मनोहर लोहिया ने ‘अंग्रेजी हटाओ’ अभियान शुरू किया, तो उसका आशय ‘हिंदी लाओ’ कतई नहीं था, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा प्रचारित किया गया। इससे राज्यों के मन में भ्रांति फैली। इसका निराकरण हिंदी के विद्वानों, पत्रकारों और संस्थाओं को करना चाहिए था। अन्य भारतीय भाषाओं के हिंदी के करीब आने का कारण मनोरंजन, पर्यटन और प्रकाशन क्षेत्र है। हिंदी की लोकप्रियता का श्रेय हिंदी के बुद्धिजीवियों को नहीं, अपितु इन क्षेत्रों को दिया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देखते हुए उससे कुछ अपेक्षाएं हैं। इसमें मातृभाषा में शिक्षा और भारतीय भाषाओं के प्रोत्साहन की बात हो रही है, अनुवाद की बात हो रही है। ऐसे में हिंदी से जुड़ी संस्थाएं यदि पहल करें तो हिंदी परस्पर आदान-प्रदान का व्यापक माध्यम बन सकती है।
जहां भाषा खत्म होती है, वहां संस्कृति भी दम तोड़ देती है: अद्वैता काला : मुख्य वक्ता, पटकथा लेखक एवं स्तंभकार अद्वैता काला ने कहा कि जहां भाषा खत्म होती है, वहां संस्कृति भी उसके साथ दम तोड़ देती है। हमें सभी भाषाओं को महत्व देना चाहिए, उन्हें समझना चाहिए और उनके संपर्क का माध्यम हिंदी है, इसे स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैसे भाषा बहुत निजी मामला है। इसके माध्यम से हम केवल दुनिया से ही नहीं, बल्कि स्वयं से भी संवाद करते हैं।
हिंदी की स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि फिल्मों की पटकथा और संवाद रोमन लिपि में लिखे जाते हैं, क्योंकि लोग हिंदी की लिपि नहीं पढ़ पाते, जबकि हिंदी मीडिया की पहुंच बहुत व्यापक है। सुश्री काला ने बताया कि उनकी खुद की हिंदी भी हिंदी में लेखन से जुड़ने के बाद ही बेहतर हुई और उन्हें लगता है कि शिक्षा प्रणाली यदि सही रही होती तो ऐसा नहीं होता। उनका सुझाव है कि बच्चों को अंग्रेजी और हिंदी के साथ-साथ कोई न कोई क्षेत्रीय भाषा भी पढ़ाई जानी चाहिए।
भाषाओं में अंतर-संवाद कोई नई बात नहीं: श्री मुकेश शाह: गुजराती भाषा के ‘साप्ताहिक साधना’ के प्रबंध संपादक मुकेश शाह ने कहा कि शब्दों को हमने ब्रह्म माना है और भाषाओं में अंतर-संवाद कोई नई बात नहीं है। उन्होंने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि बापू ने अंग्रेजी में ‘हरिजन’ प्रकाशित किया, लेकिन उसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने उसे गुजराती और हिंदी में भी स्थापित किया। उन्होंने गुजराती में 70 पुस्तकों की रचना करने वाले फादर वॉलेस और गुजरात में विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले सयाजीराव गायकवाड़ के योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उत्तर-दक्षिण भारत की भाषाओं में व्यापक अंतर होने के बावजूद उनमें अंतर-संवाद और अनुवाद होता आया है। उन्होंने कहा कि भाषाओं का राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण में योगदान होता है।
परस्पर आदान-प्रदान से ही भाषाएं समृद्ध होती हैं: स्नेहशीष सुर: कोलकाता प्रेस क्लब के अध्यक्ष स्नेहशीष सुर ने कहा कि हिंदी दिवस पर भारतीय भाषाओं के बीच अंतर-संवाद विषय पर विमर्श का आयोजन करके आईआईएमसी ने दर्शाया कि हिंदी दिवस केवल हिंदी के लिए नहीं है। सभी भाषाओं के बीच संवाद, संपर्क, उनके कल्याण तथा विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता के पास बहुत विशाल विरासत और व्यावसायिक कौशल है लेकिन यह कौशल अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होना चाहिए। समस्त भाषाएं आगे बढ़ें और उनकी पत्रकारिता आगे बढ़े, यह प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदी भारतीय भाषाओं के बीच संपर्क का माध्यम है, इसमें कोई दो राय नहीं है। बीतते समय के साथ हिंदी के साथ अन्य भाषाओं के लोगों की भी सहजता बढ़ी है और परस्पर आदान-प्रदान से दोनों ही भाषाएं समृद्ध होती हैं।
भाषा ही मेल-मिलाप कराती है: अमीर अली खा: हैदराबाद से प्रकाशित होने वाले उर्दू दैनिक ‘डेली सियासत’ के संपादक अमीर अली खान ने कहा कि पाकिस्तान ने जब उर्दू को अपनी राजभाषा बनाया, तो यहां हिंदी और उर्दू में अंतर आ गया। खान ने कहा कि भारत छोटे यूरोप की तरह है, इसे एक ही दिशा में नहीं ले जा सकते। यहां विविध भाषाएं हैं और भाषा ही मेल-मिलाप कराती हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी की किताबों को उर्दू में अनुवाद कराया जाना चाहिए, लेकिन अन्य भाषाओं की पुस्तकें भी हिंदी में अनुवाद होनी चाहिए। इससे अंतर-संवाद को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि अंतर संवाद को बढ़ावा देने में योगदान प्रदान कर हम खुद को गौरवान्वित समझेंगे।
समस्त भाषाएं, राष्ट्रीय भाषाएं हैं: प्रो. संजय द्विवेदी: विमर्श के अध्यक्ष एवं आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि सरकार की ओर से घोषित नई राष्ट्रीय नीति में सभी भारतीय भाषाओं को महत्व दिया गया है। हिंदी अकेली राष्ट्र भाषा नहीं है, क्योंकि समस्त भाषाएं इसी राष्ट्र के लोगों के द्वारा बोली जाती हैं, लिहाजा वे सभी राष्ट्रीय भाषाएं ही हैं। हर जगह संपर्क का माध्यम अंग्रेजी बन जाने से नुकसान पहुंचा है, क्योंकि बहुत कम लोग हैं, जो अंग्रेजी बोलते हैं। प्रो. द्विवेदी ने ऐसे अनेक विद्वानों का उल्लेख किया, जिन्होंने हिंदी और भाषायी पत्रकारिता में अभूतपूर्व योगदान दिया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषताएं गिनाते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में अंतर संवाद से वे एक-दूसरे के गुण अपनाएंगी और अंतत: सर्वव्यापी, सर्वग्राह्य बनेंगी। इससे भाषायी विद्वेष की भावना का अंत होगा, परंपराओं का समन्वय होगा और सभी को सामाजिक न्याय तथा आर्थिक न्याय प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि भाषायी विविधता और बहुभाषी समाज आज की आवश्यकता है और समस्त भाषाओं के लोगों ने ही विश्व में अपनी उपलब्धियों के पदचिह्न छोड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारत सदैव वसुधैव कुटुम्बकम की बात करता आया है और सभी भाषाओं को साथ लेकर चलने के पीछे भी यही भावना है।
भारतीय भाषाओं के बीच संवाद को व्यापक रूप से प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए : प्रो. आनंद प्रधान : आईआईएमसी के भारतीय भाषायी पत्रकारिता विभाग के प्रो. आनंद प्रधान ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं के बीच संवाद को व्यापक रूप से प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। हिंदी दिवस के अवसर पर इस विषय पर विमर्श का आयोजन इस दिशा में काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में बीच संवाद सैंकड़ों वर्षों से जारी है और इनका विकास भी साथ-साथ ही हुआ है। मसलन, बांग्ला और मैथिली में इतनी समानता है कि उनमें अंतर करना मुश्किल है, इसी तरह अवधी और ब्रज भाष तथा हिंदी और उर्दू में भी ऐसा ही है। इस संबंध में उन्होंने एक शोध का हवाला दिया। प्रो. प्रधान ने बताया कि हिंदी और उर्दू दैनिकों की भाषा पर हुए एक शोध में देखा गया कि उनमें केवल 23 प्रतिशत शब्द ही अलग थे। उन्होंने कहा कि वैसे ही हिंदी पत्रकारिता के विकास में मराठी, बांग्ला और दक्षिण भारतीय भाषाओं के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती।
इस कार्यक्रम में आईआईएमसी मुख्यालय, क्षेत्रीय केंद्रों के संकाय सदस्य, कर्मचारी अधिकारी, भारतीय सूचना सेवा के प्रशिक्षु और पूर्व छात्र शामिल हुए।
प्रसिद्ध फिल्म एडिटर निशाद युसुफ का बुधवार, 30 अक्टूबर की सुबह कोच्चि स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनकी उम्र 43 साल थी।
प्रसिद्ध फिल्म एडिटर निशाद युसुफ का बुधवार, 30 अक्टूबर की सुबह कोच्चि स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनकी उम्र 43 साल थी। मलयालम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका शव रात करीब 2 बजे कोच्चि के पनमपिल्ली नगर में उनके अपार्टमेंट में पाया गया। पुलिस ने अभी तक मौत का कारण नहीं बताया है। फिलहाल मामले की जांच चल रही है।
फिल्म एम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ केरल (FEFKA) डायरेक्टर्स यूनियन ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर निशाद युसुफ की मौत की पुष्टि की। फिल्म संगठन ने निशाद की तस्वीर साझा करते हुए मलयालम में लिखा, "मलयालम सिनेमा को एक नई दिशा देने वाले संपादक निशाद युसुफ के असमय निधन को फिल्म जगत जल्दी स्वीकार नहीं कर पाएगा। FEFKA डायरेक्टर्स यूनियन की ओर से श्रद्धांजलि।"
हालांकि, क्षेत्रीय मीडिया ने उनके निधन को आत्महत्या की संभावना के रूप में बताया है, लेकिन पुलिस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। *मातृभूमि* के अनुसार, केरल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और किसी भी संभावना को खारिज नहीं किया गया है।
निशाद युसुफ मलयालम और तमिल सिनेमा के लोकप्रिय फिल्म एडिटर थे। उन्होंने 'थल्लुमाला', 'उंडा', 'वन', 'सऊदी वेलक्का' और 'अडिओस अमिगोस' जैसी प्रमुख फिल्मों पर काम किया था। पिछले साल उन्होंने अपने करियर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट साइन किया था, जिसमें अभिनेता सूर्या और बॉबी देओल की पैन-इंडिया फिल्म 'कंगुवा' शामिल है, जो 14 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है।
FEFKA के अनुसार, निशाद के पास अन्य प्रोजेक्ट्स भी थे, जिनमें मोहनलाल और ममूटी की आने वाली फिल्म 'बाजूका' और 'अलप्पुझा जिमखाना' शामिल हैं। हरिप्पाड के निवासी निशाद को 2022 में 'थल्लुमाला' के लिए राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘e4m’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
दिल्ली में लोदी रोड स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में 28 अक्टूबर (सोमवार) को अपराह्न तीन बजे से आयोजित इस प्रार्थना सभा में श्रीमती ऊषा बत्रा को श्रद्धांजलि दी गई और उन्हें याद किया गया।
इस प्रार्थना सभा में डॉ. अनुराग बत्रा के परिजन, शुभचिंतक और तमाम मित्र शामिल हुए, जिन्होंने श्रीमती ऊषा बत्रा को याद करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी जिंदगी से जुड़ी कई घटनाओं व यादों का जिक्र किया।
बता दें कि श्रीमती ऊषा बत्रा का 25 अक्टूबर 2024 को देहांत हो गया था। वह लगभग साढ़े 83 वर्ष की थीं और पिछले कुछ दिनों से वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं। उनका इलाज दिल्ली के एक निजी अस्पताल में चल रहा था, जहां शुक्रवार की सुबह करीब छह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 25 अक्टूबर को ओल्ड गुरुग्राम के मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में दोपहर करीब 12:30 बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया।
श्रीमती ऊषा बत्रा लंबे समय तक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत रहीं। उन्होंने शिक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण संस्थान ‘राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (SCERT), हरियाणा में अपनी जिम्मेदारी निभाई। वह सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। श्रीमती ऊषा बत्रा को उनके स्नेह, दयालुता और आत्मीय व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था।
श्रीमती ऊषा बत्रा की श्रद्धांजलि सभा की कुछ तस्वीरें आप यहां देख सकते हैं।
पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है। CPI(M) के पूर्व विधायक तन्मय भट्टाचार्य पर एक महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है।
पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है। CPI(M) के पूर्व विधायक तन्मय भट्टाचार्य पर एक महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। महिला पत्रकार का कहना है कि इंटरव्यू के दौरान भट्टाचार्य उनके साथ आपत्तिजनक व्यवहार करते हुए उनकी गोद में बैठ गए।
महिला पत्रकार ने फेसबुक लाइव के जरिए इस घटना को साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि रविवार को जब वह तन्मय भट्टाचार्य का इंटरव्यू लेने उनके घर गई थीं, तो उन्होंने अनुचित व्यवहार करते हुए उनकी गोद में बैठने की कोशिश की। इसके बाद सोशल मीडिया पर मामला तेज़ी से वायरल हो गया और CPI(M) के भीतर हड़कंप मच गया।
घटना के बाद CPI(M) ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तन्मय भट्टाचार्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। CPI(M) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि पार्टी ने मामले की जांच के लिए एक आंतरिक कमेटी का गठन किया है। सलीम ने स्पष्ट किया कि पार्टी ऐसे किसी भी गलत व्यवहार का समर्थन नहीं करती और इस मामले को गंभीरता से लेकर उचित कार्रवाई करेगी।
CPI(M) ने कहा कि जांच पूरी होने तक भट्टाचार्य निलंबित रहेंगे और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि तन्मय भट्टाचार्य के खिलाफ पहले भी शिकायतें आई थीं, जिन्हें अब इस जांच में भी शामिल किया जा सकता है।
पत्रकार का कहना है कि उन्हें पहले भी तन्मय भट्टाचार्य के घर पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया कि भट्टाचार्य को लोगों को छूने की आदत है और वह पहले भी उनका हाथ छू चुके हैं। हालांकि, पहले उन्होंने डर के कारण इसकी शिकायत नहीं की, लेकिन इस बार की घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया।
महिला पत्रकार ने बताया कि जब उनका कैमरामैन इंटरव्यू के लिए फ्रेम सेट कर रहा था, तो उसने तन्मय भट्टाचार्य को एक जगह बैठने के लिए कहा। इसी दौरान, भट्टाचार्य ने इसका फायदा उठाते हुए पहले अपनी जगह पूछी और फिर अचानक आकर उनकी गोद में बैठ गए। इस घटना को याद करते हुए पत्रकार की आवाज कांप उठी।
महिला पत्रकार ने फेसबुक लाइव में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि CPI(M) अपने नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी, लेकिन उनका मानना है कि इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह कुछ व्यक्तियों की निजी प्रवृत्ति का परिणाम है। इस मामले की शिकायत बारानगर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई है और CPI(M) ने तन्मय भट्टाचार्य को निलंबित करते हुए आंतरिक जांच का आश्वासन दिया है।
गौरतलब है कि तन्मय भट्टाचार्य CPI(M) के सक्रिय सदस्य रहे हैं और उन्होंने 2016 से 2021 तक उत्तरी दमदम के विधायक के रूप में भी सेवा दी है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में काशी के अभूतपूर्व विकास की सराहना की। उपेंद्र राय का कहना था, ‘पीएम मोदी का लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद बनारस में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी है।'
महादेव की नगरी काशी में ‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) न्यूज चैनल की ओर से ‘काशी का कायाकल्प’ कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। बनारस कैंट स्थित होटल रमाडा में कॉन्क्लेव के मंच पर ‘भारत एक्सप्रेस’ के सीएमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री रविंद्र जायसवाल ने दीप प्रज्वलन किया।
कॉन्क्लेव में उपेंद्र राय ने काशी के गौरवशाली इतिहास और ‘कायाकल्प’ के बारे में बात की। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में काशी के अभूतपूर्व विकास की सराहना की। उपेंद्र राय का कहना था, ‘बनारस अब निरंतर प्रगति कर रहा है। पीएम मोदी का लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद बनारस में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पीएम द्वारा यहां काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनवाया गया। 2022 में 7 करोड़ से ज्यादा लोग बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने बनारस पहुंचे। यह संख्या और बढ़ सकती है।’
इसके साथ ही उपेंद्र राय का कहना था, ’बनारस का लिखित इतिहास तो 3 हजार साल पुराना है, हालांकि, जब महाभारत ग्रंथ पढ़ते हैं तो पता चलता है कि साढ़े 5 हजार वर्ष पूर्व, पितामह भीष्म हस्तिनापुर से काशी आए थे। भीष्म ने काशी नरेश की पुत्रियों- अंबा, अंबिका और अंबालिका के लिए आयोजित स्वयंवर में हिस्सा लिया था। इस स्वयंवर में भीष्म बिन बुलाए पहुंचे थे। उन्होंने वहां अन्य सभी राजाओं को चुनौती देते हुए राजकुमारियों का बलपूर्वक हरण किया और तीनों राजकुमारियों को अपने सौतेले भाई विचित्रवीर्य से विवाह करवाने के लिए हस्तिनापुर ले गए थे।’
उन्होंने आगे कहा, ’इस प्रकार हमारे पास काशी का साढ़े 5 हजार वर्ष पहले तक का लिखित इतिहास है। और बात जब सनातन धर्म की होती है, तो इसके 11,ooo वर्ष पुराना होने के प्रमाण मिलते हैं। दुनिया का कोई और मत या मजहब इतना पुराना नहीं है। सनातन धर्म को बाद में हिंदू धर्म कहा जाने लगा, इस हिंदू धर्म के भी 7 हजार साल पुराना होने के साक्ष्य मिलते हैं। जैन और बौद्ध धर्म का इतिहास लगभग 3 हजार साल पुराना है। ईसाई मजहब ढाई हजार साल पहले स्थापित किया गया। इस्लाम का इतिहास लगभग 1400 साल पुराना है। सिख संप्रदाय लगभग 500 साल पहले स्थापित हुआ।’
अपने वक्तव्य में मोक्ष का जिक्र करते हुए उपेंद्र राय बोले, ’अन्य सारे मत-मजहब नरक और स्वर्ग की सीढ़ी तक जाकर फंस जाते हैं। लेकिन सनातन धर्म मोक्ष की बात करता है और काशी मोक्षदायिनी नगरी है। धर्मग्रंथों में काशी को पृथ्वी का प्रवेश द्वारा कहा गया है। कहा जाता है कि जो एक बार काशी आकर बस जाता है और भगवान शिव-पार्वती का संवाद पढ़ेगा, तो वह कभी काशी छोड़कर नहीं जाता। उसकी वजह है कि काशी ‘मोक्ष’ प्रदान करने वाली नगर है। ‘मोक्ष’ वो है, जो आत्माओं को स्वर्ग-नरक से परे जाकर मिलता है। इसमें आत्मा सारे बंधनों से मुक्त हो जाती है।’
कॉन्क्लेव में राजनीति, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कई विशिष्ट अतिथियों ने हिस्सा लिया।
‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा
‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा।
दिल्ली में लोदी रोड स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में 28 अक्टूबर (सोमवार) को अपराह्न तीन बजे से होने वाली इस प्रार्थना सभा में श्रीमती ऊषा बत्रा को श्रद्धांजलि दी जाएगी और उन्हें याद किया जाएगा।
बता दें कि श्रीमती ऊषा बत्रा का 25 अक्टूबर 2024 को देहांत हो गया है। वह लगभग साढ़े 83 वर्ष की थीं और पिछले कुछ दिनों से वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं। उनका इलाज दिल्ली के एक निजी अस्पताल में चल रहा था, जहां शुक्रवार की सुबह करीब छह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
25 अक्टूबर को ओल्ड गुरुग्राम के मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में दोपहर करीब 12:30 बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया।
श्रीमती ऊषा बत्रा लंबे समय तक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत रहीं। उन्होंने शिक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण संस्थान ‘राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (SCERT), हरियाणा में अपनी जिम्मेदारी निभाई। वह सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। श्रीमती ऊषा बत्रा को उनके स्नेह, दयालुता और आत्मीय व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था।
श्रीमती ऊषा बत्रा के निधन पर कई प्रमुख हस्तियों और इंडस्ट्री के दिग्गजों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है और शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
BW बिजनेस वर्ल्ड के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की मां श्रीमती ऊषा बत्रा का शुक्रवार 25 अक्टूबर को निधन हो गया।
BW बिजनेस वर्ल्ड के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की मां श्रीमती ऊषा बत्रा का शुक्रवार 25 अक्टूबर को निधन हो गया। वह 83 वर्ष की थीं और आज सुबह करीब 6 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
बता दें कि वह वृद्धावस्था संबंधित बीमारियों से ग्रसित थीं और पिछले कुछ दिनों से दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
श्रीमती ऊषा बत्रा को उनकी दयालुता और स्नेह के लिए जाना जाता था और उनके जाने से परिवार, मित्र और करीबियों को गहरा आघात पहुंचा है।
उनका अंतिम संस्कार आज, 25 अक्टूबर को गुरुग्राम के मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में दोपहर 12:30 बजे होगा।
डॉ. अनुराग बत्रा और उनके परिवार को इस कठिन घड़ी में सहानुभूति और संवेदनाएं व्यक्त करते हुए विभिन्न इंडस्ट्री के दिग्गजों व मित्रों ने दुख प्रकट किया और श्रद्धांजलि अर्पित की।
'समाचार4मीडिया' ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वे दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और बत्रा परिवार को इस मुश्किल समय में धैर्य और शक्ति प्रदान करें।
जगदीप सिंह बुद्धिराजा अपने दयालु स्वभाव और पारिवारिक मूल्यों के लिए जाने जाते थे। परिवार के प्रति उनकी निष्ठा और समाज में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
डिजिटल मीडिया कंपनी ‘Arré’ के फाउंडर और ‘नेटवर्क18’ के पूर्व ग्रुप सीईओ बी. साई के ससुर जगदीप सिंह बुद्धिराजा का निधन हो गया है। वह साई कुमार की पत्नी शरण के पिता थे। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर वडोदरा (गुजरात) में अलकापुरी स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा।
जगदीप सिंह बुद्धिराजा अपने दयालु स्वभाव और पारिवारिक मूल्यों के लिए जाने जाते थे। परिवार के प्रति उनकी निष्ठा और समाज में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
जगदीप सिंह बुद्धिराजा के निधन पर तमाम गणमान्य लोगों और उनके शुभचिंतकों ने शोक जताते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है और ईश्वर से शोक संतप्त परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और आईआईएम की ओर से संयुक्त रूप से किया जा रहा है आयोजन, इस वर्ष के सम्मेलन की थीम है, ‘Celebrating 20 years of Community Radio in India’
‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) और ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) द्वारा सामुदायिक रेडियो के 20 वर्षों का जश्न मनाने के उपलक्ष्य में दिनांक 24-25 अक्टूबर, 2024 को जयपुर (राजस्थान) में 'क्षेत्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन (पश्चिम)' का आयोजन किया जा रहा है। इस दो दिवसीय सम्मेलन में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि भाग लेंगे। इस वर्ष के सम्मेलन की थीम है, ‘Celebrating 20 years of Community Radio in India’।
‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ की सीआरएस प्रमुख प्रो. संगीता प्रणवेंद्र ने बताया कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सामुदायिक रेडियो की उपलब्धियों का जश्न मनाना और इसके भविष्य की दिशा पर विचार-विमर्श करना है। सम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्रों में तकनीकी विकास, कार्यक्रम निर्माण, सामुदायिक सहभागिता और रेडियो के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने पर चर्चा की जाएगी। साथ ही, एक ओपन हाउस सेशन भी होगा, जहां प्रतिभागी अपने विचार और अनुभव साझा करेंगे।
यह सम्मेलन सामुदायिक रेडियो के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। इससे पहले वर्ष 2023 में नई दिल्ली और 2024 में चेन्नई में सफलतापूर्वक दो सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें सामुदायिक रेडियो के भविष्य पर व्यापक रूप से चर्चा की गई थी।
सामुदायिक रेडियो ने पिछले 20 वर्षों में जमीनी स्तर पर सामाजिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह सम्मेलन इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील को फ्रीलांस पत्रकारिता करने पर कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि वह "ऐसे दोहरे रोल की अनुमति नहीं देगी।"
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर कड़ा सवाल उठाया है कि एक वकील कैसे एक साथ वकालत और पत्रकारिता जैसे दो अलग-अलग पेशों में काम कर सकता है, जबकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत यह प्रतिबंधित है। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने साफ कहा कि किसी भी वकील को दोहरी भूमिका निभाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
लिहाजा इस बाबत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील को फ्रीलांस पत्रकारिता करने पर कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि वह "ऐसे दोहरे रोल की अनुमति नहीं देगी।" इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को नोटिस जारी कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है।
यह मामला उस वक्त सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ए.जी. मसीह की दो-जजों की पीठ पूर्व भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ एडवोकेट मोहम्मद कामरान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह जानकारी मिली कि वकील कामरान न केवल वकालत कर रहे हैं, बल्कि फ्रीलांस पत्रकार के तौर पर भी काम कर रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल को नोटिस जारी कर उनका पक्ष जानने की मांग की।
बार काउंसिल के नियम स्पष्ट रूप से यह कहते हैं कि कोई भी प्रैक्टिसिंग वकील किसी अन्य पेशे में नहीं लग सकता। इस नियम का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा, "उन्हें या तो वकील होना होगा या पत्रकार। हम इस तरह की प्रैक्टिस की अनुमति नहीं दे सकते।"
कोर्ट ने आगे कहा, "हम दोहरी भूमिका निभाने की इजाजत नहीं दे सकते। यह एक उच्च प्रतिष्ठित पेशा है। वह यह नहीं कह सकते कि वह फ्रीलांस पत्रकार हैं।"
गौरतलब है कि इससे पहले जुलाई 2024 में भी सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को यह निर्देश दिया था कि वे मोहम्मद कामरान द्वारा एक साथ वकालत और पत्रकारिता करने के मामले में आवश्यक कार्रवाई करें।
अब इस मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के जवाब का इंतजार है, जिससे यह साफ हो सकेगा कि वकीलों द्वारा किसी अन्य पेशे में शामिल होने को लेकर भविष्य में क्या नियम लागू होंगे।
अखिल भारतीय गुर्जर महासभा उप्र इकाई की ओर से ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-2 स्थित पटेल लोक संस्कृतिक संस्थान में सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती मनाई गई।
अखिल भारतीय गुर्जर महासभा उप्र इकाई द्वारा ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-2 स्थित पटेल लोक संस्कृतिक संस्थान में सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर देश की एकता-अखंडता के क्षेत्र में पत्रकारिता के माध्यम से उत्कृष्ट योगदान देने के लिए वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र बच्चन को ‘लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल स्मृति’ सम्मान से नवाजा गया। उन्होंने आयोजकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा है कि यह सम्मान उन्हें और बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा।
बता दें कि जितेन्द्र बच्चन करीब 37 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़े हैं। कई समाचार पत्र-पत्रिकाओं में वरिष्ठ पदों पर रहे हैं। अब तक उन्हें कई राष्ट्रीय सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। वह राजनीति, अपराध और समसामयिक विषयों पर निरन्तर लेखन कर रहे हैं।
इस मौके पर जितेन्द्र बच्चन का कहना था कि आज के दौर में अच्छी पत्रकारिता करना कठिन है और खोजी पत्रकारिता करना उससे भी अधिक कठिन है। लेकिन जब कोई सम्मान मिलता है या आपका लेखन सराहा जाता है तो काम करने की क्षमता बढ़ जाती है। हमारी भी यही कोशिश होगी कि हम अन्याय, अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ देश को अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकें।
कार्यक्रम में दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ कई प्रदेशों के गुर्जर नेता व सैकड़ों कार्यकार्ता उपस्थित रहे। इस अवसर पर कुछेक अन्य वरिष्ठ पत्रकारों व समाज सेवियों को भी सम्मानित किया गया। समारोह की अध्यक्षता पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर ने की।
राजस्थान से आए महासभा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बच्चू सिंह बैंसला ने जहां राजनैतिक व प्रशासनिक पदों पर गुर्जरों की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए अपनी कार्य योजना पर प्रकाश डाला, वहीं गोपीचंद गुर्जर ने समाज को संगठित व शिक्षित करने पर बल दिया।
मंच संचालन प्रोफेसर बी. एस. रावत ने किया। विशिष्ट अतिथि के तौर पर महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष व दिल्ली में निगम पार्षद रेणु चौधरी, युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुंदर चौधरी, पूर्व विधायक दादरी सतवीर गुर्जर, नगर पंचायत बिलासपुर के चेयरमैन संजय सिंह, ज़िला अध्यक्ष कांग्रेस दीपक चोटीवाला और लोकदल मंच के जिलाध्यक्ष जनार्दन भाटी के अलावा कई पत्रकार, समाजसेवी, अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के पदाधिकारी आदि उपस्थित रहे।