पहली बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने भारत की एकता अखंडता को महफूज रखने और भारत के संविधान के पालन की शपथ ली है। यह परिवर्तन शुभ है, यह संविधान की जय है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बुधवार, 16 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के सीएम पद की शपथ ली। इसी के साथ उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित राज्य के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में आईएनडीआईए को बहुमत मिला।
इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस को सबसे ज्यादा 42, कांग्रेस को 6 और सीपीआई (एम) को एक सीट मिली। सरकार बनाने के लिए 48 सीटों (पांच नॉमिनेट विधायक समेत) की जरूरत होती है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी भावना व्यक्त की।
उन्होंने एक्स पर लिखा, संविधान को लेकर मचते रहने वाले सियासी ग़दर के बीच एक बड़ी घटना ये हुई कि पहली बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने भारत की एकता अखंडता को महफूज रखने और भारत के संविधान के पालन की शपथ ली है। यह परिवर्तन शुभ है, यह संविधान की जय है।
यह तब संभव हो पाया जब मोदी सरकार ने धारा 370 हटा कर राज्य को देश की मुख्यधारा से जोड़ा। आपको बता दें, उमर को राजनीति अपने पिता की तरह ही विरासत में मिली। उमर ने अपनी शुरुआती शिक्षा भारत के एक बोर्डिंग स्कूल से पूरी की। फिर श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (SRCC) दिल्ली विश्वविद्यालय ग्रेजुएट किया। आगे की शिक्षा उन्होंने लंदन से पूरी की।
संविधान को लेकर मचते रहने वाले सियासी ग़दर के बीच एक बड़ी घटना ये हुई कि पहली बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने भारत की एकता -अखंडता को महफूज रखने और भारत के संविधान के पालन की शपथ ली है--- यह परिवर्तन शुभ है --- यह संविधान की जय है ---यह तब संभव हो पाया जब मोदी सरकार ने धारा…
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) October 18, 2024
अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक, भारतीय रॉ अधिकारी रहे विकास यादव ने पिछले साल गर्मियों में सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश रची।
संघीय जांच ब्यूरो (FBI) ने भारतीय नागरिक विकास यादव को मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल किया है। साथ ही, उसके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट भी जारी हुआ है। यादव पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप है।
इस जानकारी के सामने आने के बाद, स्वाति चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की और अजित डोभाल की आलोचना की। उन्होंने लिखा, यदि आपको अजीत डोभाल की पूर्ण अयोग्यता और अक्षमता के अधिक दस्तावेजी प्रमाण की आवश्यकता है, तो एफबीआई की 'वांछित सूची' पर एक रॉ अधिकारी।
'देसी बॉन्ड' के सेवानिवृत्त होने और बागवानी करने का समय आ गया है। उनके इस पोस्ट पर पत्रकार विष्णु शर्मा ने उन्हें करारा जवाब दिया। उन्होंने इस पोस्ट की रिपोस्ट करते हुए लिखा, कांग्रेस के जमाने में रॉ अधिकारियों को नेताओं का दांत के डॉक्टर से अपॉइंटमेंट और आईबी के अधिकारियों को पार्टी कितनी सीटें जीत रही है या किताबों के चैप्टर ढूँढने में लगाया जाता था।
आपको बता दें, अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक, भारतीय रॉ अधिकारी रहे विकास यादव ने पिछले साल गर्मियों में सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश रची। दावा किया गया कि 39 वर्षीय यादव कैबिनेट सचिवालय में कार्यरत था, जहां भारत की विदेशी खुफिया सेवा अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW) का मुख्यालय है। यादव अब सरकारी कर्मचारी नहीं है।
कांग्रेस के जमाने में रॉ अधिकारियों को नेताओं का दांत के डॉक्टर से अपॉइंटमेंट और IB के अधिकारियों को पार्टी कितनी सीटें जीत रही है या किताबों के चैप्टर ढूँढने में लगाया जाता था ?#VikasYadav #Raw #FBI https://t.co/ICUE6ED2wh
— Vishnu Sharma (@vishuITV) October 18, 2024
मीटिंग में विधायक कृष्ण बेदी ने नायब सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसका अनिल विज और आरती राव ने समर्थन किया। फिर सभी विधायकों ने नायब सैनी के नाम पर सहमति दे दी।
हरियाणा में नायब सिंह सैनी ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे। कल पंचकूला में बीजेपी विधायक दल की मीटिंग में उन्हें नेता चुना गया। मीटिंग में विधायक कृष्ण बेदी ने नायब सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसका अनिल विज और आरती राव ने समर्थन किया। फिर सभी विधायकों ने नायब सैनी के नाम पर सहमति दे दी।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अपनी राय दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, नायब सिंह सैनी हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए। अनिल विज और कृष्ण बेदी ने प्रस्ताव किया। अमित शाह उपस्थित थे तो हर तरह की सहमति होनी ही थी। हरियाणा में अमित शाह का पर्यवेक्षक बनकर जाना कांग्रेस के साथ पार्टी के भीतर भी स्पष्ट संदेश देता है।
आपको बता दें, नायब सिंह सैनी दूसरी बार आज हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के कई दिग्गज नेता इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। सैनी के अलावा कई विधायकों को मंत्री पद की शपथ भी दिलाई जा सकती है।
नायब सिंह सैनी हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए। अनिल विज और कृष्ण बेदी ने प्रस्ताव किया। अमित शाह उपस्थित थे तो हर तरह की सहमति होनी ही थी। हरियाणा में अमित शाह का पर्यवेक्षक बनकर जाना कांग्रेस के साथ पार्टी के भीतर भी स्पष्ट संदेश देता है।
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) October 16, 2024
जम्मू कश्मीर में एक संतुलित मंत्रिमण्डल बना कर उमर अब्दुल्ला ने सकारात्मक संदेश दिया है। जम्मू क्षेत्र से ज़्यादा विधायक न होने के बावज़ूद वहाँ से उप मुख्यमंत्री सहित दो मंत्री हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेने वाले नैशनल कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन उमर अब्दुल्ला ने अपनी मंत्रिपरिषद में जम्मू क्षेत्र के हिंदुओं को समान प्रतिनिधित्व देने का निर्णय लिया और चौधरी को उप मुख्यमंत्री का पद मिला।
मीडिया से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, मैंने कहा था कि हम जम्मू को यह महसूस नहीं होने देंगे कि सरकार में उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने एक्स पर लिखा, जम्मू कश्मीर में एक संतुलित मंत्रिमण्डल बना कर उमर अब्दुल्ला ने सकारात्मक संदेश दिया है। जम्मू क्षेत्र से ज़्यादा विधायक न होने के बावज़ूद वहाँ से उप मुख्यमंत्री सहित दो मंत्री जिनमें दो हिंदू हैं के ज़रिए मुख्यमंत्री ने सरकार, पार्टी, इस सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्र का हित साधा है।
आपको बता दें, पांच साल बाद जम्मू-कश्मीर को निर्वाचित सरकार मिली है। हालांकि इस बीच अनुच्छेद 370 के तहत हासिल विशेष दर्जा तो समाप्त हो ही गया। ऐसे में नई सरकार के मुखिया के तौर पर उमर अब्दुल्ला के सामने आम लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कठिन चुनौती है।
जम्मू कश्मीर में एक संतुलित मंत्रिमण्डल बना कर उमर अब्दुल्ला ने सकारात्मक संदेश दिया है।जम्मू क्षेत्र से ज़्यादा विधायक न होने के बावज़ूद वहाँ से उप मुख्यमंत्री सहित दो मंत्री जिनमें दो हिंदू हैं के ज़रिए मुख्यमंत्री ने सरकार,पार्टी,इस सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्र का हित साधा है।
— विनोद अग्निहोत्री Vinod Agnihotri (@VinodAgnihotri7) October 16, 2024
लोकसभा चुनाव की तरह महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ 48 सीटों के उप चुनाव में भी जाति का बोलबाला रहने वाला हैं। कारण भारतीय समाज पूरी तरह जातिवादी है।
चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव का ऐलान कर दिया है। वहीं, 48 सीटों के उप चुनाव की भी घोषणा कर दी गई है। चुनाव परिणाम 23 नवंबर को आएंगे। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर का मानना है कि चुनावों में जाति का बोलबाला रहने वाला है।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और लिखा, लोकसभा चुनाव की तरह महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ 48 सीटों के उप चुनाव में भी जाति का बोलबाला रहने वाला हैं। कारण भारतीय समाज पूरी तरह जातिवादी है और इस कारण भारतीय राजनीति बुरी तरह जातिवाद से विदग्ध है।
नेता जानते है कि राजनीति में जाति की जकड़न बहुत बड़ी है,और भारतीय राजनीति में कामयाब होने के लिए जातिविहीनता के आदर्शवाद से नहीं, बल्कि जातिगत गर्व के यथार्थवाद से मदद मिलेगी। ऐसा भी नहीं कि जाति की राजनीति इस देश में कोई अपराध है।
बहुत सारी पार्टियां जातिगत पहचानों की राजनीति करती हैं। मंडल, कमंडल की लंबी चलीखदबदाहट के बीच भारतीय राजनीति में जातियों की अपरिहार्यता बढती चली गई है। लेकिन पिछड़ी जातियों के ऐतिहासिक हितों की नुमाइंदगी की तरह राजनीति एक बात है और जातिगत गुरूर का राजनीति दूसरी बात।
भारतीय राजनीति में दोनों बातें हो रही हैं। एक तरफ़ पिछड़ा हितों की गोलबंदी भी चल रही है और दूसरी तरफ़ अगड़े अहंकार की घेराबंदी भी। फ़िलहाल भारतीय राजनीति को इससे मुक्ति नहीं हैं। आपको बता दें, महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म होगा। झारखंड की बात करें तो राज्य में विधानसभा का कार्यकाल अगले साल पांच जनवरी को समाप्त होने वाला है।
लोकसभा चुनाव की तरह महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ 48 सीटों के उप चुनाव में भी जाति का बोलबाला रहने वाला हैं,कारण भारतीय समाज पूरी तरह जातिवादी है और इस कारण भारतीय राजनीति बुरी तरह जातिवाद से विदग्ध है.
— sameer chougaonkar (@semeerc) October 16, 2024
नेता जानते है कि राजनीति में जाति की जकड़न बहुत बड़ी है,और…
राज्य गठन के बाद अब तक चार बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें तीन बार पांच चरण में और एक बार तीन चरण में वोट डाले गए थे।
झारखंड विधानसभा चुनाव दो चरण में होंगे। 13 नवंबर को पहले फेज की वोटिंग होगी, जिसमें 43 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। दूसरे फेज की वोटिंग 20 नवंबर को होगी, जिसमें 38 सीट पर वोट डाले जाएंगे। 23 नवंबर को काउंटिंग होगी और नतीजे आएंगे। जबसे झारखंड राज्य बना है, उसके बाद यह पहली बार है जब चुनाव दो चरण में होंगे।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और चुनाव आयोग की तारीफ़ की है। उन्होंने एक्स पर लिखा, चुनाव आयोग ने 2019 में झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसम्बर तक पांच चरणों में चुनाव कराया था। इस बार दो चरणों में मतदान होगा। महाराष्ट्र में एक चरण।
लोकसभा चुनाव में सात चरणों को लेकर आयोग की आलोचना हुई थी। भारत जैसे देश में अब दो-तीन को छोड़ दें तो ज्यादातर राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति संतोषजनक है। हमारे पास इतने सुरक्षा बल एवं अन्य संसाधन हैं कि कम चरणों में चुनाव कराए जा सकते हैं।
आपको बता दें, राज्य गठन के बाद झारखंड में पहली बार विधानसभा का चुनाव दो चरण में हो रहा है। राज्य गठन के बाद अब तक चार बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें तीन बार पांच चरण में और एक बार तीन चरण में वोट डाले गए थे।
इस बार दो चरण में ही 81 विधानसभा सीटों पर मतदान होने वाला है। भारत निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में 2 करोड़ लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसमें एक करोड़ 29 लाख महिला और एक करोड़ 31 लाख पुरुष मतदाता शामिल है।
चुनाव आयोग ने 2019 में झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसम्बर तक पांच चरणों में चुनाव कराया था। इस बार दो चरणों में मतदान होगा। महाराष्ट्र में एक चरण। लोकसभा चुनाव में सात चरणों को लेकर आयोग की आलोचना हुई थी। भारत जैसे देश में अब दो-तीन को छोड़ दें तो ज्यादातर राज्यों में कानून…
— Awadhesh Kumar (@Awadheshkum) October 15, 2024
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर अपने राजनयिकों और संगठित अपराध का इस्तेमाल कर उसके नागरिकों पर हमला करने का आरोप लगाया है।
भारत और कनाडा के रिश्तों में एक बार फिर कड़वाहट देखने को मिल रही है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर अपने राजनयिकों और संगठित अपराध का इस्तेमाल कर उसके नागरिकों पर हमला करने का आरोप लगाया है।
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर जांच में भारतीय राजनयिकों को जोड़ने पर भारत ने सख्त रुख दिखाया है। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और भारत सरकार को अमेरिका से भी सावधान रहने की बात कही है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, भारत को कनाडा के साथ ही अमेरिका से भी सावधान रहना चाहिए। वह भी खालिस्तानी आतंकियों को वैसे ही भारत के खिलाफ मोहरा बना रहा है, जैसे कनाडा। सावधान दुनिया भर के सिखों को भी रहना चाहिए, क्योंकि खालिस्तानी उनकी छवि खराब करने का काम कर रहे हैं।
खालिस्तानी और कुछ नहीं, पगड़ीधारी जिहादी ही हैं। आपको बता दें, भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है और कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित करने का भी फैसला किया। भारत सरकार ने इन्हें 19 अक्टूबर की रात 12 बजे तक भारत छोड़ने को कहा है।
भारत को कनाडा के साथ ही अमेरिका से भी सावधान रहना चाहिए। वह भी खालिस्तानी आतंकियों को वैसे ही भारत के खिलाफ मोहरा बना रहा है, जैसे कनाडा। सावधान दुनिया भर के सिखों को भी रहना चाहिए, क्योंकि खालिस्तानी उनकी छवि खराब करने का काम कर रहे हैं। खालिस्तानी और कुछ नहीं, पगड़ीधारी जिहादी…
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) October 15, 2024
वैसे भी चाणक्य नीति में शत्रु से पार पाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद तो आधुनिक समर नीति में 'जंग में सब कुछ जायज' है, जैसे सिद्धांत को स्वीकार्यता मिल चुकी है।
भारत और कनाडा के संबंध ज्यादा खराब स्थिति में पहुंच गए हैं। कनाडा ने आरोप लगाया है कि उसकी धरती पर मौजूद भारतीय एजेंट खालिस्तान समर्थक तत्वों को निशाना बनाने के लिए लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
संयोग से ये आरोप ऐसे समय सामने आए हैं, जब लॉरेंस बिश्नोई गैंग एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के लिए चर्चा में है। इस मामले पर पत्रकार प्रणव सिरोही ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, पता नहीं कि विदेश में 'अज्ञात व्यक्ति' वाले मामले से लारेंस बिश्नोई ग्रुप का कोई जुड़ाव है या नहीं और यह सही भी है या गलत, लेकिन सच यही है कि स्टेट यानी देश को तमाम (विरोधी) नॉन-स्टेट इलीमेंट्स की चुनौती झेलनी पड़ती है और ऐसी सभी चुनौतियों की काट कानूनी-नैतिक दायरे में रहकर नहीं की जा सकती है।
वैसे भी चाणक्य नीति में शत्रु से पार पाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद तो आधुनिक समर नीति में 'जंग में सब कुछ जायज' है, जैसे सिद्धांत को स्वीकार्यता मिल चुकी है। शिवाजी महाराज का भी सिद्धांत रहा कि छिपे हुए दुश्मनों से छापामार तरीके से ही निपटा जाता है।
आपको बता दें, ये पहली बार नहीं है जब कनाडा ने इस तरह सबूत पेश किए बिना आरोप पर आरोप लगाए हैं। निज्जर हत्याकांड में भी कनाडा अब तक कोई सबूत पेश नहीं कर सकी है लेकिन उसने ये जरूर कह दिया कि उसको मारने में भारतीय एजेंटों की भूमिका है। जिसके बाद भारत सरकार ने कनाडा के इस बयान को मनगढ़ंत बताया था।
पता नहीं कि विदेश में 'अज्ञात व्यक्ति' वाले मामले से लारेंस बिश्नोई ग्रुप का कोई जुड़ाव है या नहीं और यह सही भी है या गलत, लेकिन सच यही है कि स्टेट यानी देश को तमाम (विरोधी) नॉन-स्टेट इलीमेंट्स की चुनौती झेलनी पड़ती है और ऐसी सभी चुनौतियों की काट कानूनी-नैतिक दायरे में रहकर नहीं…
— Pranav Sirohi (@pranavsirohi) October 15, 2024
पिछले 18 सालों में चित्रा त्रिपाठी ने हर जगह अपनी शर्तों पर नौकरी की है। लोगों का प्यार मिला और उन्होंने मुझे देश का बड़ा पत्रकार बना दिया।
हाल ही में 'आजतक' को छोड़कर 'एबीपी समूह' से जुड़ी एंकर चित्रा त्रिपाठी की छवि को सोशल मीडिया के माध्यम से धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। एक्स पर निगार परवीन नाम की एक यूजर ने लिखा कि चित्रा त्रिपाठी को 'आजतक' से टीआरपी न लाने के लिए निकाला गया था और 'एबीपी न्यूज' में भी उन पर वही दबाब है।
निगार की इस पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए चित्रा त्रिपाठी ने इसका जवाब दिया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, बीते 18 सालों में चित्रा त्रिपाठी ने हर जगह अपनी शर्तों पर नौकरी की है। लोगों का प्यार मिला और उन्होंने मुझे देश का बड़ा पत्रकार बना दिया।
एक छोटे से शहर की बेहद सामान्य परिवार की लड़की एबीपी न्यूज़ जैसे चैनल में वाइस प्रेसिंडेट कैसे बन गई? ये बात लोगों को हज़म नहीं हो रही है। जिस दिन आजतक छोड़ा था उस दिन सुबह से रात तक 10 घंटे की एक ही दिन में एंकरिंग की थी, जो मेरा पैशन है। मेरा शो लगातार TRP का नंबर 1 शो रहा है।
आजतक के लोग मेरा बहुत सम्मान और प्यार करते हैं। जीवन में किसी भी व्यक्ति को बड़े मौक़े हमेशा नहीं मिलते, जब मिलें तो अपनी क़ाबिलियत पर भरोसा रखकर उसे स्वीकार करना चाहिये। आप एक महिला है, दूसरी महिला से जलें मत, बल्कि बराबरी करने के लिये मेहनत करे।
इस ट्वीट की शुरू की दो लाइन आप हटा दें, वरना एक बड़े चैनल की एंकर की छवि ख़राब करने के लिये मैं आप पर लीगल कारवाई करूंगी। मुझे नौकरी से कहां से निकाला गया है? मेरे बारे में इस तरह की बातें करके किसके इशारे पर आप मुझे बदनाम कर रही हैं? माफ़ी मांगे, ट्वीट डिलीट करें, वरना अपने उपर लीगल कारवाई के लिये तैयार रहें।
बीते 18 सालों में चित्रा त्रिपाठी ने हर जगह अपनी शर्तों पर नौकरी की है.लोगों का प्यार मिला और उन्होंने मुझे देश का बड़ा पत्रकार बना दिया.
— Chitra Tripathi (@chitraaum) October 16, 2024
एक छोटे से शहर की बेहद सामान्य परिवार की लड़की एबीपी न्यूज़ जैसे चैनल में #वाइसप्रेसिंडेट कैसे बन गई ? ये बात लोगों को हज़म नहीं हो रही है.… https://t.co/UQtMfbNPy1
हरियाणा की ऐतिहासिक जीत कितनी महत्वपूर्ण और बड़ी है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगता है कि विधायक दल की बैठक के लिए बतौर पर्यवेक्षक स्वयं गृह मंत्री अमित शाह जा रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को हरियाणा भाजपा विधायक दल की बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाया है, जो हरियाणा के अगले मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे। राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पार्टी का सीएम चेहरा घोषित किया गया था।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, बीजेपी के लिए हरियाणा की ऐतिहासिक जीत कितनी महत्वपूर्ण और बड़ी है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगता है कि विधायक दल की बैठक के लिए बतौर पर्यवेक्षक स्वयं गृह मंत्री अमित शाह जा रहे हैं।
2022 में यूपी के बाद ऐसा पहली बार होगा जब नए मुख्यमंत्री का चयन सीधे गृह मंत्री की निगरानी में होगा। राज्य में बाज़ी पलटने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई और अब उनका इस बैठक में पर्यवेक्षक के रूप में जाना एक बड़ा राजनीतिक संदेश है।
इस बैठक में नायब सिंह सैनी को फिर से विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने की औपचारिकता पूरी होगी। आपको बता दें, हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में BJP ने तीसरी बार जीत हासिल की है। चुनाव के नतीजे आठ अक्टूबर को घोषित किए गए थे। राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में BJP को 48 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस ने 37 सीटें जीतीं।
बीजेपी के लिए हरियाणा की ऐतिहासिक जीत कितनी महत्वपूर्ण और बड़ी है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगता है कि विधायक दल की बैठक के लिए बतौर पर्यवेक्षक स्वयं गृह मंत्री अमित शाह जा रहे हैं। 2022 में यूपी के बाद ऐसा पहली बार होगा जब नए मुख्यमंत्री का चयन सीधे गृह मंत्री की निगरानी में होगा।…
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) October 13, 2024
कनाडा की सरकार ने निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर आरोप लगाए थे। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कनाडाई सरकार पर आरोपों के सबूत शेयर ना करने की बात भी कही।
कनाडा से तनाव के बीच भारत ने वहां से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनायिकों को वापस बुला लिया है जबकि दिल्ली में कनाडा के छह डिप्लोमैट को भारत ने निष्कासित कर दिया है। कनाडा की सरकार ने निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर आरोप लगाए थे और तब से दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।
विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी करते हुए कनाडाई सरकार पर आरोपों के सबूत शेयर ना करने की बात भी कही। वहीं वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, कनाडा को भारत का जवाब टॉप क्लास था।
भारत-कनाडा संबंध बद से बदतर होते जा रहे हैं। एक तरफ तो दिलजीत दोसांझ से स्टेडियम भरे जा रहे हैं और कनाडा में अन्य शीर्ष भारतीय कलाकार। दूसरी ओर ट्रूडो पूरी तरह से वोट बैंक उन्मुख राजनीति कर रहे हैं। आपको बता दें, सितंबर 2023 में, ट्रूडो ने भारत के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए भारतीय एजेंटों को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल बताया गया था।
भारत ने इस तरह के आरोपों को साफ तौर पर 'मोटिवेटेड' करार दिया था। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो का कहना है कि यह कोई विकल्प नहीं है जो कनाडा ने कनाडा-भारत संबंधों में तनाव पैदा करने के लिए चुना गया है। भारत एक महत्वपूर्ण लोकतंत्र है।
The Indian response to @JustinTrudeau has been top class today. The Indo Canada relationship is only going from bad to worse. On one hand there are stadiums being filled by @diljitdosanjh and other top Indian performers in Canada. On the other is the total vote bank oriented…
— bhupendra chaubey (@bhupendrachaube) October 14, 2024