हालांकि सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि वो बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी के सामने काफी कमजोर प्रत्याशी हैं।
वजह बताई गई कि वो नहीं चाह रही थीं को दोनों भाई-बहन एक साथ एक ही वक्त में अपनी अपनी सीटों पर फंस जाये और बाकी जगह प्रचार पर उल्टा असर हो।
राहुल गांधी इस बार भी दो लोकसभा सीटों पर ताल ठोक रहे हैं। वह वायनाड के साथ-साथ रायबरेली से भी चुनाव लड़ रहे हैं।
कोई भी ऐसा नहीं है जो राहुल गांधी को समझा सके कि डर के आगे जीत है। पहले डर से आगे तो निकलो।
कांग्रेस ने ऐसी चुप्पी साध रखी है कि न पार्टी और न ही राहुल गांधी के सर्मथकों को समझ आ रहा है कि क्या जवाब दें। सवाल ये कि, मामला फंसा कहां है?
चंद्रशेखर रावण या आजाद जी से कभी मुलाकात नहीं हुई, पर दलित वंचित समाज के मुद्दों पर उनकी मुखरता और सामाजिक न्याय पर उनकी प्रतिबद्धता असंदिग्ध है।
छह दिन पहले कुछ दबंगों ने एक पत्रकार के घर में घुसकर उसे और घरवालों को लाठी-डंडों से पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
चुनावी मौसम में नेताओं के साथ पसीना बहाते-बहाते पत्रकार भी उनकी शैली अपनाने लगे हैं