राज्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय रविवार को भोपाल में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की राष्ट्रीय पदाधिकारी बैठक को संबोधित कर रहे थे।
भविष्यवाणियां स्क्रिप्टेड टेक्स्ट नहीं होती हैं, जिन्हें लाइट, कैमरा और एक्शन की आवाज पर तैयार किया जा सकता है अथवा लिखा जा सकता है।
‘रीच’ (लोगों तक पहुंच) और ‘क्रेडिबिलिटी’ (विश्वसनीयता) के मामले में ‘पारंपरिक मीडिया’ और ‘डिजिटल मीडिया’ के बीच की दूरी लगातार कम होती जा रही है
राज्यसभा के उपसभापति के अनुसार सोशल मीडिया से आज पत्रकारिता के सामने साख का संकट खड़ा हो गया है।
टीवी चैनल्स की टीआरपी और ज्यादा से ज्यादा राजस्व जुटाने के ‘खेल’ में न्यूज का प्रसार और उसके इस्तेमाल के तरीकों में काफी बदलाव देखा गया है
पत्रकारिता धर्म भी विकट है। अगर किसी जन आंदोलन का कवरेज छोड़ दिया जाए तो आरोप लगने लगते हैं।
लगातार मिल रहे इस तरह के संकेतों को संयुक्त कर देखें तो साफ है कि अब हमें अपना घर ठीक करने की नौबत आ गई है