चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब हर किसी को नतीजों का इंतजार है, जो दो मई को घोषित किए जाएंगे।
बीते दिनों अखबारों के पन्नों, टेलिविजन और सोशल मीडिया के तमाम मंचों पर कवरेज में कोरोना का खौफ दिखाई देने लगा है।
पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि का बयान बेहद गंभीर बहस की मांग करता है। तीन दिन पहले अपने चार पन्ने के बयान में दिशा ने पत्रकारिता को जमकर कोसा है।
कोविड-19 के दौरान तब्लीगी जमात की मीडिया कवरेज को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के हलफनामे से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं है।
संपादकों की संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (Editors Guild of India) ने पिछले दिनों हुई घटनाओं को लेकर सरकार पर कई आरोप लगाए हैं।
हाथरस गैंगरेप मामले को कवर कर रहे पत्रकारों के साथ यूपी सरकार के प्रशासन ने जिस तरह से बदसलूकी की, उसकी एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने निंदा की है
बीते सप्ताह गलवान में चीन के साथ खूनी संघर्ष मीडिया के सभी रूपों में छाया रहा। इस दरम्यान शुरू के तीन-चार दिन तक चीन के बयान एक के बाद एक आते रहे और भारतीय अधिकृत बयान आने में कुछ समय लगा।
तो आशंकाएं सच होने लगी हैं। हिन्दुस्तान की पत्रकारिता पिछले 73 साल में अपने सबसे बुरे दौर में जा पहुंची है। कमर तो पहले ही टूटी हुई थी। रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी है।
पत्रकारिता को अगर लोकतंत्र में चौथा स्तंभ कहा जाता है, तो प्रश्न यह है कि इस महत्वपूर्ण स्थान की क्या हम रक्षा कर पा रहे हैं?
‘रिपब्लिक टीवी’ के संपादक अरनब गोस्वामी से मुंबई में दस-बारह घंटे की पूछताछ इन दिनों बहस का मुद्दा है।