दुनिया दहशत में है। कोरोना काल बन गया है। मौत से अधिक मौत का डर है। भय के भूत की तरह। हर बड़े मुद्दे पर गैर जिम्मेदारी दिखाता हिंदी टीवी मीडिया
याद कीजिए, संसार के सारे कार्टूनिस्टों के सिरमौर आर.के. लक्ष्मण ने करीब आधी शताब्दी तक भारत के करोड़ों पाठकों के दिलों पर राज किया है।
दिल्ली हिंसा के दौरान मीडिया की भूमिका को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता आर.के. सिन्हा ने सवाल उठाए हैं
ट्रंप अहमदाबाद में थे और हर चैनल ट्रंप के पीछे। सुबह से दोपहर तक ट्रंप और मेलानिया के व्यवहार और बॉडी लैंग्वेज पर चैनल ऐसे बहस कर रहे थे, जैसे उन्नाव वाली चाची और फूफा पर
शहर एक। दृश्य दो। एक में दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क के राष्ट्रपति तोपों की सलामी लेते हैं,उनकी पत्नी बच्चों के साथ खुशनुमा माहौल में वक्त बिताती हैं
यह नौबत भी आ गई। दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तो मीडिया मुद्दों पर दो फाड़ हो गया
दिल्ली चुनाव में अब लगभग सौ घंटे बचे हैं। डेढ़-दो महीने तक प्रचार की हड़बोंग में इस बार पत्रकारिता की अनेक परंपराएं और नियम टूट गए और आत्म अनुशासन के किले ढह गए
देश के सबसे तेज चैनल की एंकर अंजना ओम कश्यप जब शाहीन बाग पहुंचीं तो शाहीन बाग ने आंचल खोलकर उनका स्वागत किया।
वैसे तो हिंदुस्तान की परम्परा है कि बच्चे लड़ रहे हों तो बड़े बीच में नही पड़ते
फिल्म की तर्ज पर देश के हालात भी कुछ ऐसे ही हो गए हैं। लोग तौबा कर रहे हैं,खासतौर पर पत्रकार