राजस्थान के पाली में आयोजित श्री विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी स्मृति राष्ट्रीय व्याख्यानमाला एवं साहित्यकार सम्मान समारोह में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया।
'जब पत्रकार तनाव में रहते है, तब वे जनता को तनावपूर्ण खबरें देने का माध्यम बनते हैं। जो हम दूसरों को देंगे, वही हमें मिलेगा, चाहे वो खुशी हो या तनाव। यही कुदरत का नियम है
कोरोना संकट के बहाने भारत के दुख-दर्द, उसकी जिजीविषा, उसकी शक्ति, संबल, लाचारी, बेबसी, आर्तनाद और संकट सब कुछ खुलकर सामने आ गए हैं। इन सात दशकों में जैसा देश बना या बनाया गया है
संकट कितने भी बड़े, गहरे और लाइलाज हों। एक नायक को उम्मीदों और सपनों के साथ ही होना होता है। वह चाहकर भी निराशा नहीं बांट सकता। अवसाद नहीं फैला सकता।
कोरोना संकट पर दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के संवाद ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा
एक वर्ग मीडिया को कोसने में सारी हदें पार कर रहा है तो दूसरा वर्ग मानता है कि जो हो रहा है, वह स्वाभाविक है