प्रजातंत्रीय भारत में समाजवाद क्यों नहीं आ रहा है, इसका उत्तर तो स्पष्ट है। समाजवाद के रास्ते में...
वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री आलोक मेहता ने हिंदी पत्रकारिता के बड़े नाम राजेंद्र माथुर को उनकी पुण्यतिथि पर अपनी श्रद्धांजलि दी है।
वह राजेंद्र माथुर का पहला तार था। छतरपुर जैसे छोटे से कस्बे में किसी नौजवान पत्रकार को ‘नईदुनिया’ के प्रधान संपादक का तार।
भारतीय पत्रकारिता में राजेंद्र माथुर जी और मनोहर श्याम जोशी जी ने सैकड़ों पत्रकारों को तैयार किया और उन्हें लेखन के लिए व पत्रकारिता को नई दृष्टि देने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में देश भर से बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी जुटेंगे, दो राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कारों के तहत एक लाख 11 हजार और 51 हजार रुपए भी दिए जाएंगे
अनुच्छेद 370 की विदाई कोई आसान काम नहीं था। कमोबेश हर दल इसके पक्ष में था, लेकिन सत्ता में रहते हुए उसे हटाने का साहस कोई नहीं कर पाया
नौ अप्रैल की दोपहर देश की हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में यादगार दोपहर बन गई
हिंदी पत्रकारिता के यशस्वी संपादक राजेन्द्र माथुर का स्मरण उनके जन्म दिन पर आज समाचार4मीडिया ने किया है...
वरिष्ठ पत्रकार और आउटलुक हिंदी पत्रिका के प्रधान संपादक आलोक मेहता ने अपनी किताब ‘सपनों में बनता देश’ में राजेन्द्र माथुर के बारे में लिखा है-
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक शिवअनुराग पटैरया ने अपनी किताब ‘पकारिता के युग निर्माता- राजेंद्र माथुर’ में राजेंद्र माथुर के व्यक्तित्व का कुछ इस तरह से विवेचन किया है: