विज्ञापनों की कमी की वजह से प्रिंट मीडिया इंडस्ट्री को मार्च और अप्रैल यानी दो महीने में लगभग 4000-4500 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।
भारतीय मीडिया का यह सबसे त्रासद समय है। छीजते भरोसे के बीच उम्मीद की लौ फिर भी टिमटिमा रही है। उम्मीद है कि भारतीय मीडिया आजादी के आंदोलन में छिपी अपनी गर्भनाल से एक बार फिर वह रिश्ता जोड़ेगा
प्रिंट इंडस्ट्री कोरोना वायरस के प्रकोप के साथ ही विज्ञापन राजस्व में कमी और न्यूज प्रिंट पर कस्टम ड्यूटी के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रही है
फर्स्ट रेस्पॉन्डर्स’ सीरीज के तहत ‘मलयाला मनोरमा’ के चीफ फोटोग्राफर रिजो जोसेफ ने कोविड-19 की कवरेज के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया
महामारी कोरोनावायरस (कोविड-19) की कवरेज में तमाम पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात जुटे हुए हैं। ‘
हमारी सहयोगी अंग्रेजी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ‘फर्स्ट रेस्पॉन्डर’ (First Responders) नामक सीरीज के तहत उन पत्रकारों से बात करती है
देशव्यापी लॉकडाउन के बीच लोगों की अखबार पढ़ने की आदत में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है।
इस तरह की घटनाओं को प्रेस की आजादी के लिए बताया खतरा, महाराष्ट्र सरकार से की कार्रवाई की मांग
कोरोनावायरस (कोविड-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन के कारण कुछ समय के लिए अखबारों की प्रिंटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन (वितरण) पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा।
आईएनएस और एसोसिएशन ऑफ रेडियो ऑपरेटर्स ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों पर बकाया राशि के भुगतान के लिए डीएवीपी से कई बार अनुरोध किया है