कहा भी जाता है कि कोई कार्य या कार्यक्रम अपने नाम से अपने जनता के बीच एक संदेश देने का प्रयत्न करता है।
तात्पर्य यह कि लोकतंत्र की सर्वोच्च पंचायत की गरिमा बनाए रखने के लिए सदन की सभी बैंचों से प्रयास किए गए तभी संसद शान से काम कर पाई।
अक्सर इसकी एक वजह बाज़ार भी बताई जाती है, जिसके चलते अब समाचार पत्रों या न्यूज़ चैनलों में संपादक नहीं, प्रबंधन होते हैं।