3 अक्टूबर को नवरात्रि की शुरुआत ने भारत के प्रिंट इंडस्ट्री को उत्साहित कर दिया है। नेशनल और रीजनल दोनों ही तरह के बड़े दैनिक अखबारों ने विज्ञापनों में भारी उछाल दर्ज किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विज्ञापन को जारी करने की अनुमति देने से पहले, केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7 की तर्ज पर विज्ञापनदाताओं से एक स्व-घोषणा प्राप्त की जानी चाहिए।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गूगल और यूट्यूब पर 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने वाली पहली भारतीय राजनीतिक पार्टी बन गई है।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि उद्योगों में एक वस्तु की आड़ में दूसरे प्रतिबंधित उत्पाद (सरोगेट) के विज्ञापन के प्रसार पर रोक लगाने की जरूरत है।
सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में इस बारे में जानकारी दी है। यह खर्च वर्ष 2019-20 से 2023-24 की अवधि के दौरान किया गया है।
इस दौरान, 58,000 से अधिक ऐडवर्टाइजर्स ने ऐड देने के लिए प्रिंट सेक्टर को चुना।
इससे पहले सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया के एक वर्ग को ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित और प्रसारित करने से बचने का परामर्श जारी किया था।
केंद्र सरकार ने पिछले तीन वर्षों में मीडिया में विज्ञापनों पर 911.17 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
केंद्र सरकार ने भ्रमाक विज्ञापनों और ऐसे विज्ञापनों को चर्चित हस्तियों की ओर से पहचान दिए जाने पर रोकथाम के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं
सूचना-प्रसारण मंत्री ने बताया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान बीओसी द्वारा विज्ञापन जारी किए गए अखबारों की संख्या 3,500 और 5,800 के बीच रही।