कोरोना के इस ख़ौफनाक सिलसिले के दरम्यान पीड़ित मानवता की सेवा करने वाली इलाज पद्धतियों के बारे में इन दिनों नए सिरे से बहस चल पड़ी है।
हाल ही में इंदौर का एक परिवार उजड़ गया। एक चर्म रोग विशेषज्ञ ने इंदौर विश्वविद्यालय की एक प्रोफेसर, उसके पति और बेटे का कोरोना का इलाज शुरू कर दिया।
देशभर में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों के लिए अदालती कार्यवाही को कवर करने के लिए एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया है
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का यह कथन स्वागत योग्य है कि पत्रकारों को अदालती कार्रवाई कवर करने के लिए अदालत परिसर तक आने की ज़रूरत नहीं है।
कोरोना की इस भीषण आपदा में पत्रकारिता के तमाम अवतार यदि व्यवस्था की नाकामियों को उजागर करते हैं तो इसे राष्ट्रीय हित से जोड़कर नहीं देखा जा सकता।
पत्रकारों पर कोरोना काल कहर बनकर टूटा है। अपने फर्ज को अंजाम देते हमारे अनेक साथी शहीद हुए हैं।
वह तीन महीने पहले जनवरी की एक ठंडी रात थी। हम लोग आदिवासी इलाकों में कोरोना का दुष्प्रभाव और सामुदायिक भाव से उसके मुकाबले पर दो डॉक्युमेंट्री बनाने के लिए
अरसे बाद प्रेस क्लब ऑफ इंडिया को एक खांटी पेशेवर पत्रकार अध्यक्ष के रूप में मिला है। भाई उमाकांत लखेड़ा मेरे बहुत पुराने मित्र और भाई जैसे हैं।
बीते दिनों अखबारों के पन्नों, टेलिविजन और सोशल मीडिया के तमाम मंचों पर कवरेज में कोरोना का खौफ दिखाई देने लगा है।